Tuesday, August 16, 2016

रक्षाबंधन Raksha Bandhan

भाई -बहन के पवित्र प्रेम के प्रतीक का उत्सव रक्षाबंधन 26 अगस्त को

श्रावण मास की पूर्णिमा को मनाये जाने वाला रक्षाबंधन का पर्व भाई-बहन के प्रेम का अनुपम उदाहरण है. इस बार यह त्योहार 26 अगस्त, दिन रविवार को प्रातःकाल से अपराह्न 04:16 बजे तक मनाया जायेगा,क्योंकि इसके बाद पूर्णिमा समाप्त हो जाएगी।

बहनों को इस पर्व का बड़ी ही बेसब्री से इंतजार रहता है. जब बहनें अपने भाइयों की कलाई पर रक्षा सूत्र बांधती है तो वे यह कामना करती हैं कि उसके भाई के जीवन में कभी कोई कष्ट न हो, वह उन्नति करें और उसका जीवन सुखमय हो. वहीं भाई भी इस रक्षा सूत्र को बंधवाकर गौरवांवित अनुभव करते हैं और जीवन भर अपनी बहन की रक्षा करने की कसम खाते है. भाई बहन मे परस्पर स्नेह व प्यार इस पर्व की गरिमा को और बढ़ा देता है।

विशेष

पूजा की थाली में ये 7 चीजें अनिवार्य रूप से होनी चाहिए

इस दिन सभी बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधने से पहले एक विशेष थाली सजाती है. इस थाली में 7 खास चीजें होनी चाहिए.

 1. कुमकुम
 2. चावल
 3. नारियल
 4. रक्षा सूत्र (राखी)
 5. मिठाई
 7. गंगाजल से भरा कलश

पूजा की थाली में क्यो रखना चाहिए ये खास 7 चीजें -

1. कुमकुम -

तिलक मान-सम्मान का भी प्रतीक है. बहन कुमकुम का तिलक लगाकर भाई के प्रति सम्मान प्रकट करती है तथा भाई की लंबी उम्र की कामना भी करती है. इसलिए थाली में कुमकुम विशेष रूप से रखना चाहिए।

2. चावल -

चावल शुक्र ग्रह से भी संबंधित है. शुक्र ग्रह के प्रभाव से ही जीवन में भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है. तिलक लगाने बाद तिलक के ऊपर चावल भी लगाए जाते हैं. तिलक के ऊपर चावल लगाने का भाव यह है कि भाई के जीवन पर तिलक का शुभ असर हमेशा बना रहे. तथा भाई को समस्त भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त हों।

3. नारियल -

बहन अपने भाई को तिलक लगाने के बाद हाथ में नारियल देती है. नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है. श्री यानी देवी लक्ष्मी का फल. यह सुख - समृद्धि का प्रतीक है. बहन भाई को नारियल देकर यह कामना करती है कि भाई के जीवन में सुख और समृद्धि हमेशा बनी रहे और वह लगातार उन्नति करता रहे. यह नारियल भाई को वर्षपर्यंत अपने घर मे रखना चाहिए।

4. रक्षा सूत्र (राखी) -

बहन राखी बांधकर अपने भाई से उम्र भर रक्षा करने का वचन लेती हैं. भाई को भी ये रक्षा सूत्र इस बात का अहसास करवाता रहता है कि उसे हमेशा बहन की रक्षा करनी है. रक्षा सूत्र का अर्थ है, वह सूत्र (धागा) जो हमारे शरीर की रक्षा करता है. रक्षा सूत्र बांधने से त्रिदोष शांत होते हैं. त्रिदोष यानी वात, पित्त और कफ. हमारे शरीर में कोई भी बीमारी इन दोषों से ही संबंधित होती है. रक्षा सूत्र कलाई पर बांधने से शरीर में इन तीनों का संतुलन बना रहता है. ये धागा बांधने से कलाई की नसों पर दबाव बनता है, जिससे ये तीनों दोष निंयत्रित रहते है।

5. मिठाई -

राखी बांधने के बाद बहन अपने भाई को मिठाई खिलाकर उसका मुंह मीठा करती है.  मिठाई खिलाना इस बात का प्रतीक है कि बहन और भाई के रिश्ते में कभी कड़वाहट न आए, मिठाई की तरह यह मिठास हमेशा बनी रहे।

6. दीपक -

राखी बांधने के बाद बहन दीपक जलाकर भाई की आरती भी उतारती है. इस संबंध में मान्यता है कि आरती उतारने से सभी प्रकार की बुरी नजरों से भाई की रक्षा हो जाती है. आरती उतारकर बहन कामना करती है कि भाई हमेशा स्वस्थ और सुखी रहे।

7. गंगाजल से भरा कलश -

राखी की थाली में गंगाजल से भरा हुआ एक कलश भी रखा जाता है. इसी जल को कुमकुम में मिलाकर तिलक लगाया जाता है. हर शुभ काम की शुरुआत में जल से भरा कलश रखा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी कलश में सभी पवित्र तीर्थों और देवी-देवताओं का वास होता है. इस कलश की प्रभाव से भाई और बहन के जीवन में सुख और स्नेह सदैव बना रहता है।

रक्षाबंधन के अवसर पर वैदिक राखी बाँधें।
इस राखी को बनाने मे 5 वस्तुओं की आवश्यकता होती है ।

1. दूब (घास)
2. अक्षत (चावल)
3. केसर
4. चन्दन
5. पीली सरसों के दाने

इन पाँचों वस्तुओं को रेशम के कपडे में बाँध दें या सिलाई कर दें . फिर उसे कलावा में पिरो दें , इस प्रकार आपकी वैदिक राखी तैयार होती है ।

वैदिक राखी में प्रयुक्त चीजो का महत्व -
1. दूब
2. अक्षत
3. केसर
4.  चंदन
5. पीली सरसों के दाने

1. दूब-

राखी मे दूब की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार दूब का अंकुर बो देने पर तेजी से फैलता है और हजारों की संख्या में उग जाता है. उसी प्रकार भाई का वंश और उसके सद्गगुणों का विकास हो. सदाचार मन की पवित्रता तेजी से बढती जाये।

2. अक्षत -

राखी मे अक्षत की अवधारणा यह है कि हमारी भाई के प्रति श्रद्धा कभी क्षत - विक्षत न हो. सदैव बनी रहे।

3. केसर -

राखी मे केशर की अवधारणा यह है कि  जिस प्रकार केसर की प्रकृति तेज होती है उसी प्रकार हमारा भाई भी तेजस्वी हो. उसके जीवन में आध्यात्मिकता एवं भक्ति का तेज कभी भी कम न हो।

4.  चंदन -

राखी मे चंदन की अवधारणा यह है कि चंदन सुगंध और शीतलता देता है उसी प्रकार भाई के जीवन में कभी मानसिक तनाव न हो. उसका जीवन सुगंध और शीतलता से ओतप्रोत हो।

5. पीली सरसों के दाने -

राखी मे पीली सरसों के दाने की अवधारणा यह है कि जिस प्रकार सरसों की प्रकृति तीक्ष्ण होती है उसी प्रकार उसका भाई समाज के दुर्गुणों एवं बुराइयों को समाप्त करने में तीक्ष्ण बने।

वैदिक राखी बाँधने की विधि -

पांच वस्तुओं से बनी हुई एक राखी को सर्वप्रथम अपने ईष्ट के चित्र पर अर्पित करनी चाहिए. फिर बहनें अपने भाई को, माता अपने बच्चों को, दादी अपने पोते को शुभ संकल्प करके बांधे.

राखी बांधते समय यह श्लोक बोलें –

''येन बद्धो बलिःराजा दानवेन्द्रो महाबलः ।

तेन त्वामनुबध्नामि रक्षे मा चल मा चलः ।।

Related topics-

● विद्यार्थियों के लिए कुछ उपाय Some tips for students

Monday, August 8, 2016

नाग पंचमी Nag Panchami

नाग पंचमी बल, पौरुष,ज्ञान,बुद्धि,एवं तर्क शक्ति के स्पर्धा का पर्व है।
Nag Panchami is a festival of force, prowess, knowledge, wisdom, and rational power.
यह पर्व नाग जाति के प्रति श्रद्धा एवं सम्मान निवेदन के साथ मनाया जाता है।
This festival is celebrated with reverence and respect for the Nag Jati.
इस दिन दूध,लावा चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करने का विधान है।
This day is the law of offering milk, lava and worshiping serpent god.

Related Post-

● कालसर्प योग Kalsarp Yoga


● भगवान शिव को कौन सा पुष्प चढ़ाएं? Which flower to Lord Shiva?





Tuesday, August 2, 2016

धन चाहें तो अपनाएं ये उपाय If you want money, then take these measures

दरिद्रता को शास्त्रों मे मृत्यु माना गया है। जीवन बिना धन के नहीं चल सकता। रोजमर्रा के जीवन के लिए आपको धन की आवश्यकता तो पड़नी ही है। धन हमेशा से ही भौतिक सुख सुविधाओं का भी पर्याय बना हुआ है।
हर व्यक्ति धन कमाने के लिए हर संभव प्रयास करता है। कुछ लोग धन कमाने  में आगे होते हैं तो कुछ थोड़े कम।
पर जो असफल रह जाते हैं, वे इसके लिए अनेक प्रकार के उपाय करते हैं। यहां कुछ ऐसे ही नुस्खे हैं जिन्हें अगर आप आस्था और विश्वास से आजमाएं तो आप भी धनवान बन सकते हैं।

1. प्रत्येक गुरुवार को तुलसी के पौधे में दूध अर्पित करने से आर्थिक संपन्नता की वृद्धि होती है।
2. बरगद के वृक्ष की छांव में यदि कोई पौधा उग आया हो तो उसे मिट्टी सहित खोद कर निकालें और अपने घर में लगाएं। जिस गति से वह पौधा बढ़ेगा उतनी ही गति से आपकी समृद्धि में वृद्धि होगी।
3. माह के पहले बुधवार की रात्रि में कच्ची हल्दी की एक गांठ भगवान श्रीकृष्ण को अर्पित करें और अगले दिन गुरुवार को उसे पीले धागे में बांधकर अपनी दाहिनी भुजा पर धारण करें। इससे आर्थिक संपन्नता में वृद्धि होगी।
4. धन रखने के स्थान पर पान के पत्ते में शमी की लकड़ी को लपेटकर रखने से धन का अभाव कभी नहीं रहता।
5. नियमित रूप से केले के वृक्ष में जल अर्पित करने और दोनों समय शुद्ध घी का दीपक जलाने से आर्थिक समृद्धि होगी।
6. रविपुष्य योग में मदार की जड़ लाकर दाएं हाथ में पहनने से आर्थिक समृद्धि में वृद्धि होती है।
7. यदि आपके पास धन नहीं रुकता हो तो किसी भी माह के पहले शुक्रवार को चांदी की डिब्बी में काली हल्दी, नागकेशर व सिंदूर को साथ रखकर मां लक्ष्मीजी के चरणों से स्पर्श करवाकर धन रखने के स्थान पर रख दें। फिर इसका प्रभाव देखे

8.अगर आप धनवान बनना चाहते हैं तो आप अपने पर्स में हमेशा 5 इलायची जरूर रखें।

9.यदि आप सुंदर बीवी चाहते हैं तो हर गुरुवार सुबह पांच इलायची, पीले वस्त्र के साथ किसी गरीब को दान दें।

10.अगर लाख मेहनत करने पर भी मनचाहा वेतन या प्रमोशन नहीं मिल रहा है तो आज से ही रोज रात में एक हरे कपड़े में एक इलायची को बांधकर तकिये के नीचे रखकर सो जाएं और प्रात: उसे घर के किसी बाहरी व्यक्ति को दे दीजिए। 

आज्ञाचक्र aagyaachakra

आज्ञाचक्र aagyaachakra


मनुष्य का शरीर शक्तियों का भण्डार है।
इन शक्तियों को समझ कर इनका भरपूर लाभ उठाया जा सकता हैे। यूँ तो पूरे शरीर में सात चक्र हैं उनमें आज्ञा चक्र भी एक नाम आता है। यह चक्र मस्तक के बीच दोनों भौहों के मध्य में स्थित है, जहाँ सब लोग बिंदी या तिलक लगाया करते हैं।यह अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।
आज्ञा चक्र के साधक सदा निरोग, सम्मोहक और त्रिकालदर्शी माने जाते हैं। कुंडलिनी के इसी आज्ञा चक्र को योग साधनाओं द्वारा जागृत करके किसी भी स्त्री /पुरुष का भुत भविष्य देखा जा सकता है। वर्तमान/तत्काल वह क्या सोंच रहा है यह आसानी से पता लगाया जा सकता है।
पुरे शरीर में स्थित, लौह तत्व अधिकांश मात्रा मे आज्ञा चक्र पर ही स्थित होता है इस कारण चुम्बकीय प्रभाव भी यही पर होता है।

अतः जब इस चक्र का जब हम ध्यान करते हैं तो हमारे शरीर में एक विशेष चुम्बकीय उर्जा का निर्माण होने लगता है उस उर्जा से हमारे अन्दर के दुर्गुण ख़त्म होकर, आपार एकाग्रता की प्राप्ति होने लगती है। विचारों में दृढ़ता और दृष्टि में चमक पैदा होने लगती है। तत्पश्चात जहाँ कहीं भी अपनी दृष्टि जाती है तो वहां के बारे में या उसके बारे में अंतर्रुपी ढंग से ज्ञान-अनुभव होने लगता है कि, सच्चाई क्या है।सामने वाले पुरुष या स्त्री के मन में क्या है बिना बताये पता लग जाता है।
आपके प्रति उसके अन्दर कैसी भावना है। वह आपके लिए नुकसानदायक है या फायदेमंद। ये सब कुछ जानकारी मिल जाती है और यह जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि होती है, जब आप अपने आज्ञाचक्र को जागृत करने का प्रयत्न करेंगे। सौभाग्य से आपकी आज्ञाचक्र जागृत हो जाता है तो दुनिया में आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाएगा, इसके जागरण से पूरा शरीर सम्मोहन की उर्जा से आप्लावित हो जाता है जिससे किसी बीमार व्यक्ति को स्पर्श करके ही रोग मुक्त कर सकते हैं। किसी अपराधी प्रवृति के युवक या युवती की गलत सोंच को ख़त्म कर उसे सही राह पर लाया जा सकता है। रात दिन तनाव में रहने वाले व्यक्ति को तनावमुक्त जा सकता है। किसी की उलझी हुई गुथियों को सुलझाया जा सकता है। नशा पान करने वालों को पूर्ण स्वस्थ किया जा सकता है।

Related topics:-

● त्राटक Tratak

● Benefits of positive energy सकारात्मक ऊर्जा के लाभ

● Kundalini Chakras Significance in Our Life कुण्डलिनी चक्रों का हमारे जीवन में महत्व

Monday, August 1, 2016

खोई हुई वस्तु की जानकारी Lost information

          खोई हुई वस्तु की जानकारी

              Lost information


कोई भी सामान खोना/चोरी होना आज
के समय मे सामान्य बात है।
अंक विद्या में गुम हुई वस्तु के बारे में प्रश्र किया जाए तो उसका जवाब
बहुत हद तक सच साबित होता है।
जैसे:-
सर्व प्रथम आप 1 से 108 के बीच का एक अंक मन मे सोचे।
और उस अंक को 9 से भाग दें। शेष जो अंक आये तो आगे लिखे अनुसार उसका
उत्तर होगा।
 शेष अंक 1 ( सूर्य का अंक है )
पूर्व में मिलने की आशा है।

शेष अंक 2 ( चंद्र का अंक है )
वस्तु किसी स्त्री के पास होने की
आशा है पर वापस नहीं मिलेगी।

शेष अंक 3 ( गुरु का अंक है )
वस्तु वापिस मिल जायेगी। मित्रों और परिवार के लोगों से पूछें।

शेष अंक 4 ( राहु का अंक है )
ढूढ़ने का प्रयास व्यर्थ है। वस्तु आप की
लापरवाही से खोई है।

शेष अंक 5 ( बुध का अंक है )
आप धैर्य रख्खें वस्तु वापस मिलने की आशा है।

शेष अंक 6 ( शुक्र का अंक है )
वस्तु आप किसी को देकर भूल गए हैं।

घर के दक्षिण पूर्व या
रसोई घर में ढूंढने की कोशिश करें।

शेष अंक 7 ( केतु का अंक है )
चिंता न करें खोई वस्तु मिल जायेगी।

शेष अंक 8 ( शनि का अंक है )
खोई वस्तु मिलने की आशा नहीं है। वस्तु को भूल
जाएँ तो अच्छा है।

शेष अंक 9 या 0 ( मंगल का अंक है )
यदि खोई वस्तु आज मिल गई तो ठीक अन्यथा मिलने
की कोई आशा नहीं है।

उदाहरण :- के लिए अगर प्रश्नकर्ता ने 83 अंक कहा है तो
83 को 9 से भाग दें
83÷9 = 2
शेष आया 2 जो चंन्द्र का अंक है।
वस्तु किसी स्त्री के पास है पर वापस प्राप्त नही होगी।


खोये सामान की जानकारी मिलेगी अथवा नहीं मिलेगी?Information will be found or will not be found on the missing luggage?



इसके लिए सभी नक्षत्रों को चार बराबर भागों में बाँट दिया गया है. एक भाग में सात नक्षत्र आते हैं. उन्हें अंध, मंद, मध्य तथा सुलोचन नाम दिया गया है. इन नक्षत्रों के अनुसार चोरी की वस्तु का दिशा ज्ञान तथा फल ज्ञान के विषय में जो जानकारी प्राप्त होती है वह एकदम सटीक होती है.
नक्षत्रों का लोचन ज्ञान ।

अंध लोचन नक्षत्र

रेवती, रोहिणी, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, विशाखा, पूर्वाषाढा, धनिष्ठा.

मंद लोचन नक्षत्र

अश्विनी, मृगशिरा, आश्लेषा, हस्त, अनुराधा, उत्तराषाढा, शतभिषा.

मध्य लोचन नक्षत्र

भरणी, आर्द्रा, मघा, चित्रा, ज्येष्ठा, अभिजित, पूर्वाभाद्रपद.

सुलोचन नक्षत्र नक्षत्र

कृतिका, पुनर्वसु, पूर्वाफाल्गुनी, स्वाति, मूल, श्रवण, उत्तराभाद्रपद.

यदि वस्तु अंध लोचन में खोई है तो वह पूर्व दिशा में शीघ्र मिल जाती है।

यदि वस्तु मंद लोचन में गुम हुई है तो वह दक्षिण दिशा में होती है और गुम होने के 3-4 दिन बाद कष्ट से मिलती है।

यदि वस्तु मध्य लोचन में खोई है तो वह पश्चिम दिशा की ओर होती है और एक गुम होने के एक माह बाद उस वस्तु की जानकारी मिलती है. ढाई माह बाद उस वस्तु के मिलने की संभावना बनती है।

यदि वस्तु सुलोचन नक्षत्र में गुम हुई है तो वह उत्तर दिशा की ओर होती है. वस्तु की ना तो मिलती है और न ही उसकी सूचना प्राप्त होती है।

तीसरी विधि से ज्ञात करना


तिथि वार और नक्षत्र एकत्रित कर उसमें प्रहर की संख्या मिलाकर आठ से गुणा करें।

फिर उसमें सात का भाग देने पर यदि 
एक शेष बचे तो खोई हुई वस्तु जमीन में गड़ी समझे, 
दो बचे तो नष्ट वस्तु किसी बर्तन में रखी जाने, 
तीन बचे तो पानी में समझे, 
चार शेष बचे तो आकाश आदि में छिपाई हुई समझे, 
पाँच शेष बचे तो नष्ट वस्तु भूसी में छिपाई जाने, 
छः शेष बचे तो गोबर में छिपी जाने,
और सात शेष बचे तो नष्ट वस्तु राख में छिपाई समझें।(बृ.ज्यो.सा.१४०)

 सूत्र:-    तिथि+वार+नक्षत्र+प्रहर×8=प्राप्त फल÷7=शेष


गुम वस्तु की प्राप्ति हेतु दिव्य मंत्र-

जीवन में भूलना, गुमना, चले जाना, बलात ले लेना अथवा लेने के बाद कोई भी वस्तु वापस नहीं मिलना ऐसी घटनाएं स्वाभाविक रूप से घटि‍त होती रहती है।
यदि आप का कोई भी सामान खो गया है या मिल नही रहा तो अपने पूजाघर मे
एक देशी घी का दीपक लगाकर पूर्व अथवा उत्तर दिशा की ओर मुंह करके बैठें। अपनी गुम वस्तु की कामना को उच्चारण कर भगवान विष्‍णु के सुदर्शन चक्रधारी रूप का ध्यान करें इस मंत्र का विश्वासपूर्वक जप 1008 बार करें।इससे
गुम हुई चीज या अपना फसा धन प्राप्ति होने की सम्भावना प्रबल हो जाती हैl
मंत्र :-  ॐ ह्रीं कार्तविर्यार्जुनो नाम राजा बाहु सहस्त्रवान।
यस्य स्मरेण मात्रेण ह्रतं नष्‍टं च लभ्यते।
Related Post-


● प्रश्न विचार Question idea
● आपका लकी मोबाइल नंबर कैसे जानें how to         know Your lucky mobile number
● गणित के जरिये जानिए आपके कितने साले व साली है ?
● अनैतिकता Immorality

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...