Tuesday, October 18, 2016

दीपावली से पहले एक महा संयोग

नवरात्रों के बाद दिपावली की गिनती शुरू हो जाती है, लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली से पहले एक ऐसा महासंयोग पड़ रहा है, जो सदियों में एक बार आता है। जी हां, लगातार 15 घंटे होंगे अति शुभ।
दीपावली से पहले रवि पुष्य अमृत सिद्धि योग 23 अक्टूबर, रविवार को 15 घंटे का होगा। विद्वानों का मानना है कि ये महामुहूर्त है ऐसे में इस दौरान धनतेरस व दिवाली से पहले खरीदारी करना अति शुभ होगा। इस बार धनतेरस से पहले आने वाला रवि पुष्य नक्षत्र का संयोग श्रीवत्स योग व अहोई अष्टमी, कालाष्टमी एवं सूर्य बुध के एक साथ होने से बनेगा। बुधादित्य राजयोग के साथ बाजार में धन वर्षा कराएगा।
गौरतलब है कि इस साल दीपावली से 8 दिन और धनतेरस से 6 दिन पहले रविवार को रवि पुष्य नक्षत्र का महासंयोग बन रहा है। इस दिन खरीदारी का विशेष महत्व माना गया है। रवि पुष्य अपने आप में श्रेष्ठ नक्षत्र में माना जाता है।दीपावली के पहले 15 घंटे का रवि पुष्य नक्षत्र रहेगा। दिवाली के पहले 23 अक्टूबर को खरीदी के लिए अनुकूल मुहूर्त रवि पुष्य नक्षत्र आ रहा है। यह पुष्य नक्षत्र एक दिन पूर्व 22 अक्टूबर शनिवार को रात्रि 8:41 बजे से लग जाएगा, जो रविवार को रात्रि 8:41 तक रहेगा।
इसकी अवधि रविवार के दिन 15 घंटे रहेगी। पुष्य नक्षत्र को सभी नक्षत्रों का राजा माना जाता है, इसलिए इसमें की गई खरीदी समृद्धि कारक होती है। पुष्य नक्षत्र की धातु सोना है, जिसे खरीदने से अत्याधिक लाभ मिलेगा। 22 को शनि पुष्य व 23 को रविपुष्य का योग बनने से भूमि, भवन, वाहन व अन्य स्थाई सम्पत्ति में निवेश करने से प्रचुर लाभ प्राप्त होगा।
रवि-पुष्य (23 अक्टूबर) के लिए महामुहूर्त
सोना-चांदी, बर्तन, कपड़ा, इलेक्ट्रानिक के सामान, बही खाता खरीदने का महा मुहूर्तप्रात: 9 से 10:30 लाभ रहेगा।प्रात:10:30 बजे से 12 अमृत रहेगा।दोपहर 1:30 से 3 शुभ रहेगा।शाम 6 से 7:30 शुभ रहेगा।शाम 7:30 से 9 अमृत तक।
स्थिर लग्न वृश्चिक प्रात:काल 8:13 से 10:13 बजे तक।स्थिर लग्न कुंभ लग्न दोपहर 2:22 से 3:55 बजे तक।स्थिर लग्न वृषभ सायंकाल 7से रात 9 बजे तक रहेगा।

करवाचौथ

करवा चौथ का त्यौहार इस बार बुधवार को मनाया जा रहा है।
बुधवार को शुभ कार्तिक मास का रोहिणी नक्षत्र है।
इस दिन चन्द्रमा अपने रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।
इस दिन बुध अपनी कन्या राशि में रहेंगे।
इसी दिन गणेश चतुर्थी और कृष्ण जी का रोहिणी नक्षत्र भी है।
बुधवार गणेश जी और कृष्ण जी दोनों का दिन है।
ये अद्भुत संयोग करवाचौथ के व्रत को और भी शुभ फलदायी बना रहा है।
इस दिन पति की लंबी उम्र के साथ संतान सुख भी मिल सकता है।
करवाचौथ के दिन श्री गणेश, मां गौरी और चंद्रमा की पूजा की जाती है।
चंद्रमा पूजन से महिलाओं को पति की लंबी उम्र और दांपत्य सुख का वरदान मिलता है।

विधि-विधान से ये पर्व मनाने से महिलाओं का सौंदर्य भी बढ़ता है।
करवाचौथ की रात सौभाग्य प्राप्ति के प्रयोग का फल निश्चित ही मिलता है।

करवा चौथ के व्रत के नियम और सावधानियां

ज्योतिष के जानकारों की मानें तो करवाचौथ का ये व्रत हर सुहागिन की जिंदगी संवार सकता है, लेकिन इसके लिए इस दिव्य व्रत से जुड़े नियम और सावधानियों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. करवाचौथ के व्रत में क्या करें और क्या ना करें…।

केवल सुहागिनें या जिनका रिश्ता तय हो गया हो वही स्त्रियां ये व्रत रख सकती हैं।
व्रत रखने वाली स्त्री को काले और सफेद कपड़े कतई नहीं पहनने चाहिए।
करवाचौथ के दिन लाल और पीले कपड़े पहनना विशेष फलदायी होता है।
करवाचौथ का व्रत सूर्योदय से चंद्रोदय तक रखा जाता है।
ये व्रत निर्जल या केवल जल ग्रहण करके ही रखना चाहिए।
इस दिन पूर्ण श्रृंगार और अच्छा भोजन करना चाहिए।
पत्नी के अस्वस्थ होने की स्थिति में पति भी ये व्रत रख सकते हैं।

       करवाचौथ व्रत की उत्तम विधि

करवाचौथ के व्रत और पूजन की उत्तम विधि के बारे जिसे करने से आपको इस व्रत का 100 गुना फल मिलेगा:----

सूर्योदय से पहले स्नान कर के व्रत रखने का संकल्पत लें।
फिर संपूर्ण शिव परिवार और श्रीकृष्ण की स्थापना करें।
गणेश जी को पीले फूलों की माला, लड्डू और केले चढ़ाएं।
भगवान शिव और पार्वती को बेलपत्र और श्रृंगार की वस्तुएं अर्पित करें।
श्री कृष्ण को माखन-मिश्री और पेड़े का भोग लगाएं।
उनके सामने मोगरा या चन्दन की अगरबत्ती और घी का दीपक जलाएं।

मिटटी के कर्वे पर रोली से स्वस्तिक बनाएं।
कर्वे में दूध, जल और गुलाबजल मिलाकर रखें और रात को छलनी के प्रयोग से चंद्र दर्शन करें और चन्द्रमा को अर्घ्य दें।
इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार जरूर करें, इससे सौंदर्य बढ़ता है।
इस दिन करवा चौथ की कथा कहनी या फिर सुननी चाहिए।
कथा सुनने के बाद अपने घर के सभी बड़ों का चरण स्पर्श करना चाहिए।
फिर पति के पैरों को छूते हुए उनका आर्शिवाद लें।
पति को प्रसाद देकर भोजन कराएं और बाद में खुद भी भोजन करें।

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