Tuesday, June 27, 2023

चाँदी का हाथी silver elephant

 चाँदी का हाथी घर में रखेंगे तो मिलेंगें अद्भुत फायदे



चाँदी के हाथी के उपाय silver elephant remedies

● चाँदी का हाथी के उपाय लालकिताब, वास्तु, और समृद्धि

●चाँदी का हाथी चमका देगा आपकी किस्मत
●लाल किताब का चमत्कारी उपाय चाँदी का हाथी
●राहु की टेढ़ी चाल को सीधा करेगा चाँदी का हाथी
●हाथी की सूंढ़ ऊपर की ओर हो या नीचे की ओर
●चाँदी का हाथी रखने के फायदे
●चाँदी का हाथी
●silver elephant

●चांदी का हाथी बनाएगा आपको धनवान, शुभ दिशा में रखने से बढ़ेगी घर में सुख-शांति
●चाँदी का हाथी और वास्तु
●चाँदी का हाथी कहाँ रखते हैं?
●चाँदी का हाथी का मुंह किधर होना चाहिए?
●घर में चाँदी का हाथी रखने के लाभ
●हाथी की सूंड



हाथी भगवान गणपति और माता लक्ष्मी दोनों की कृपा दिलाता है। 
हमारे शास्त्रों में ग्रह दोष दूर करने के लिए और सुख शांति संपन्नता के लिए कई प्रतीकों का उल्लेख किया गया है।

वास्तु शास्त्र में भी  हाथी को सौभाग्यशाली और धर्म का प्रतीक मानते हुए इसकी मूर्ति को घर में रखने के लाभ बताए गए हैं।

अगर आप चांदी का हाथी नही रख सकते, तो हाथी की पीतल की मूर्ति भी रख  सकते हैं।

चाँदी का हाथी घर में शुभ समाचार लाता है, धन से सम्बन्धित परेशानी को दूर करता है, सफलता को आपके निकट लाता है। धन-सम्पदा में वृद्धि करता है।आपसी रिश्तों में   माधुर्य लाता है। घर को अनैतिकता से दूर रखता है। घर में सात्विक्त और पवित्र वातावरण बनता है। 

वास्तु शास्त्र में भी हाथी को घर के लिए सौभाग्यशाली बताया गया है। घर की उत्तर दिशा में छोटी सी ठोस चाँदी की हाथी की मूर्ति रखने से घर में सुख शांति और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। इससे भगवान गणपति और माता लक्ष्मी का आशीर्वाद मिलता है।

अपने पास या घर में हाथी रखने वाले व्यक्ति की इच्छाशक्ति मजबूत होती है। सन्तान प्राप्ति होती है। बौद्धिक विकास होता है और सामाजिक  स्तर पर मान-सम्मान में वृद्धि होती है। 

हाथी बहुत समझदार प्राणी है यह शक्ति, लंबी आयु, निष्ठा, ज्ञान औऱ धैर्य का जीता जागता प्रमाण है।

घर की उत्तर दिशा में हाथी का जोड़ा रखने से सकारात्मक ऊर्जा आती है और धन लाभ होता है। 

यदि जन्मपत्रिका  में पांचवें या बारहवें स्थान पर राहु बैठा हो तो घर में हाथी की मूर्ति रखने से राहु की शान्ति होती है।ऐसे जातकों को हमेशा अपने साथ 60 ग्राम चाँदी से बना ठोस हाथी रखना चाहिए।

 
घर में चाँदी के हाथियों का जोड़ा रखने से धन के नए-नए श्रोत खुलते हैं और कार्य व्यवसाय में उन्नति की संभावनाएं बनती हैं।

अगर हाथी की मूर्ति को अध्ययन कक्ष(study room) में रखा जाए तो बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है औऱ मस्तिष्क में एकाग्रता आती है। इससे बच्चों का पढ़ाई में मन लगता है और उनका दिमाग तेज होता है।


वास्तु के अनुसार हाथी के जोड़े की मूर्ति को मुख्य द्वार के बिलकुल सामने रखा जाए तो धन के रास्ते घर तक आते हैं,धन प्राप्ति के नए-नए श्रोत बनते हैं,गुड लक जागता है यानी भाग्य के दरवाजे खुल जाते हैं।


शयनकक्ष (Bedroom) में हाथी की मूर्ति जोड़े में रखी जाए तो पति-पत्नी के संबंधों में मधुरता आती है तथा पति-पत्नी में वैचारिक मतभेद खत्म होते हैं।

हाथी की मूर्ति दक्षिण या पश्चिम दिशा में नहीं रखनी चाहिए।

अगर धन लाभ के लिए घर या दुकान में हाथी की मूर्ति रख रहे हैं तो हाथी की सूंड ऊपर की ओर उठी हुई होनी चाहिए।

अगर परिवार में सुख शांति के लिए हाथी की मूर्ति रख रहे हैं तो हाथी की सूंड नीचे की ओर झुकी हुई होनी चाहिए।

 यदि आप चाँदी का हाथी नही रख सकते हैं तो हाथी की पीतल या पत्थर की मूर्ति रख  सकते हैं।

चाँदी के हाथी का जोड़ा रखते समय उनके मुख एक दूसरे के सामने होने चाहिए, विपरीत दिशा में नहीं।

● लाल किताब के अनुसर घर में या जेब में ठोस चाँदी का हाथी रखना चाहिए। इससे संतान को कष्ट नहीं होता,जीवन सुखी होता है और व्यापार में भी लाभ मिलता है।

● चाँदी के हाथी की मूर्ति घर में रखने से मन में सकारात्मक उर्जा का निर्माण होता है तथा कार्यक्षेत्र में सफलता मिलती है। 

● सेहत, सुख और शांति के लिए घर की उत्तर पूर्व दिशा में चाँदी का ठोस हाथी रखें।

● पीतल का हाथी बैठक कक्ष में रखा जाए तो यह शांति और समृद्धि  का कारक है। इसी के साथ यह जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिलाता है।

●जिस हाथी की तस्वीर या मूर्ति में उसकी सूंड झुकी हो उसे लिविंग एरिया में लगाना चाहिए। इससे घर में सुख शांति बढ़ती है। और यदि हाथी की सूंड ऊपर की ओर उठी हुई है तो इससे तरक्की होती है, धन और संपत्ति बढ़ती है।



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● चाँदी के कुछ अद्भुत प्रयोग Some amazing uses of silver

Sunday, June 18, 2023

पितृ दिवस father's day

पितृ दिवस father's day



 एक पिता अपने बेटे को हंसना बोलना तो सिखाता ही है, उंगली पकड़कर पथरीली राह पर चलना भी बताता है। जीवन के हर उतार चढ़ाव से सतर्क करते हुए बेटे को सुखी देखना ही पिता का आखिरी उद्देश्य होता है।

आजकल कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। आधुनिक परिवेश में जी रहा बच्चा पिता का सम्मान करना भूल जाता है।अपने कर्म को भूल जाता है। यही कारण है कि पिता पुत्र के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है। बेटा पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार तो चाहता है, लेकिन पिता की सेवा करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाता। इसके लिए वह कभी-कभी माता-पिता को वृद्धाश्रम तक में भेज देता है। कभी कभी पिता स्वयं ही परेशान होकर घर छोड़कर चले जाते हैं। इस फादर्स डे पर जानिए पिता से रिश्ते मजबूत करने के लिए क्या क्या उपाय किए जा सकते हैं? इसमें पुत्र के स्वयं का भी कल्याण निहित है।

पुत्र को देना चाहिए सूर्य भगवान को अर्घ्य :- आचार्य पं०-विजय कुमार शुक्ल ने बताया कि "अगर हम ज्योतिषी आधार की बात करते हैं तो नवम भाव, नवम भाव का स्वामी और पितृकारक सूर्य अगर कुंडली में अच्छी और शुभ स्थिति में है। केंद्र और त्रिकोण में है, तो ऐसी स्थिति में पिता पुत्र के बीच अच्छे संबंध बने रहते हैं। पुत्र पिता का आज्ञाकारी बना होता है पिता की सेवा करता है। प्रेम भाव और सम्मान करता है। यदि स्थिति विपरीत हो, सूर्य यदि राहु शनि आदि क्रूर और पापी ग्रहों से पीड़ित हो, इन ग्रहों से युति या दृष्टि सम्बन्ध हो, तो पिता और पुत्र के बीच में दरार आ जाती है, दूरियां बढ़ जाती है,आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं।
ऐसी स्थिति में समाधान के लिए पुत्र को सूर्य देवता को ताम्रपात्र से अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य में रक्तचन्दन,रक्तपुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
इससे पिता पुत्र के बीच वैचारिक मतभेद/दूरियां कम होंगी और सूर्य नारायण की कृपा भी जातक पर होगी

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सुन्दर काण्ड sundarakaand


Saturday, June 17, 2023

मुख्यद्वार Main door

मुख्यद्वार Main door




अक्सर लोग यह प्रश्न करते हैं कि मुख्य द्वार कहाँ पर होना चाहिए?

और यह प्रश्न इसलिए भी उनके मन में आता है क्योंकि हमारे ग्रन्थों में पूर्व और उत्तर मुख वाले भूखण्ड को सर्वश्रेष्ठ माना गया है।
लेकिन पश्चिम और दक्षिण मुख वाले भूखण्ड भी कुछ लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं होते हैं।

तो आज हम बात करते हैं अपने घर के मुख्यद्वार की।
अर्थात् आपके भवन का जो मुख है उसमें मुख्यद्वार कहाँ पर होना चाहिए?

●वास्तु के अनुसार घर का मुख्यद्वार
●भवन के मुख्य द्वार का विचार
●मुख्‍य द्वार की सही दिशा लाए जीवन में खुशहाली
●मुख्‍य द्वार की सही दिशा से मिलते हैं कई लाभ 

दिशा से तात्पर्य यह है कि आपका भवन पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण किसी भी दिशा की ओर मुख का है लेकिन उसमें प्रवेश करने के लिए मुख्यद्वार कहाँ पर हो?

वास्‍तुशास्‍त्र में मुख्‍य द्वार की सही दिशा के कई लाभ बताए गए हैं।
साधारणतया किसी भी भवन में मुख्‍य रूप से एक या दो द्वार मुख्‍य द्वारों की श्रेणी के होते हैं जिनमें से प्रथम मुख्‍य द्वार से हम भवन की सीमा में प्रवेश करते हैं। द्वितीय से हम भवन के अन्दर  प्रवेश करते हैं। भवन के मुख्य द्वार का हमारे जीवन से एक घनिष्ठ संबंध है।

मुख्यद्वार और वास्तु के सिद्धान्त

वास्तु के सिद्धान्तों के अनुसार मुख्यद्वार की सही स्थिति गृहस्वामी को लक्ष्मी (संपदा), ऐश्वर्य, पारिवारिक सुख एवं वैभव प्रदान करते हैं। जबकि गलत दिशा में स्थित मुख्य द्वार जीवन में अनेक समस्याओं को उत्पन्न करता है।
बहुमंजिला इमारतों में अपने फ्लैट का द्वार हमारा मुख्यद्वार होता है।
यदि किसी कारणवश आप उपरोक्त दिशा में मुख्य द्वार का निर्माण न कर सके तो भवन के मुख्य (आंतरिक) ढांचे में प्रवेश के लिए उपरोक्त में से किसी एक दिशा को चुन लेने से भवन के मुख्‍य द्वार का वास्तुदोष समाप्त हो जाता है।

आईये हम जानते हैं कि मुख्यद्वार कहाँ बनाया जाए?

यदि भूखण्ड को चारों दिशाओं में 9 भागों में बांटा जाए तो कुल मिलाकर 32 कोष्ठक बनते हैं। यह ईशान से घड़ी की चाल की दिशा से चलते हुए आग्नेय, नैऋत्य एवं वायव्य होते हुए ईशान तक 1 से संख्या 32 तक होते हैं। यदि मुख्य द्वार पूर्व दिशा में बना हो तो कोष्ठक तीन और चार सर्वश्रेष्ठ हैं। इसी प्रकार दक्षिण में 11 12  या 13, पश्चिम में 20 21 तथा उत्तर में 27 28 व 29 कोष्ठक सर्वश्रेष्ठ हैं।
यदि भूखंड विदिशा में हो तो दिशा सूचक यंत्र से ईशान कोण ढूंढ लें। भूखण्ड पर पूर्वोक्त विधि के अनुसार 32 कोष्ठक बना ले और पूर्व निर्धारित स्थानों में द्वार का निर्माण करें।

अब आपके मन में यह प्रश्न उठ रहा है कि यह नियम नए निर्माण में लागू हो सकता है लेकिन  पहले से बने हुए भवन में यदि मुख्यद्वार सही स्थिति में नहीं है तो क्या करना चाहिए?
इसका उत्तर है कि

●यदि दो द्वार हैं तो उनमें से एक का सही स्थिति में होना आवश्यक है।
●द्वार को सही स्थिति में करा लिया जाए।
●मुख्यद्वार की दहलीज पर चांदी का तार लगाएं।
●उत्तम मुहूर्त में वास्तुयन्त्र को प्रतिष्ठित करा कर उसकी स्थापना करें।

●घर में पञ्चगव्य की धूनी करें।

●सायंकाल में मुख्यद्वार पर गोमय दीप प्रज्वलित करें।

इसे वीडियो में देखें-मुख्यद्वार का विचार

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जीवन मे उन्नति हेतु कुछ उपाय Some Tips for Advancing Life

सुन्दर काण्ड sundarakaand


Friday, June 9, 2023

संकटा स्तोत्र sankata stotra

संकटा स्तोत्र sankata stotra



जीवन में विविध संकटों से मुक्ति, बाधाओं/संकटों का निवारण करें इस संकटा स्तोत्र के द्वारा।       
सर्वकामना की पूर्ति हेतु प्रतिदिन संकटा स्तोत्र का पाठ करें।

संकटा-स्तोत्र

नमो काशिनी वासिनी गंग तीरे।
सदा अर्चितं चंदनं रक्त पुष्पं।।
सदा वंदितं पुजितं सर्व देवं।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
नमो मोहिनी मोहितं भूत सैन्यै।
सदा चन्द्र बदनी हंसै विकरालम्।।
सदा मृगनयनी गुणा रूप वरणी।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
नमो खड्गहस्ते गले रूण्डमाला।
नमो गर्जितं भूमि कंपायमानम्।।
सदा मर्दितं भूत महिषासुरेण।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
नमो मुक्ति देवी नमो वेदमाता।
सदा योगिनी ,योगिनी , योग गम्या।।
सदा कामिनी मोहितं काम राज्यं।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
नमो पुष्प शय्या गले मुण्डमाला।
सदा कोकिला कांचन रूप वरणी।।
सदा रणविषे शत्रु संहारकरणी।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
इदं पंचरत्नं पठेत् प्रात: काले।
हरे पाप तन के बढे धर्म ज्ञानम्।।
सदा दुख:मे कष्ट मे रक्ष पालम्।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
तू ही संकटे योगिनी योग धारय।
तू ही कामिनी मोहितं काम राज्यं।।
तू ही विश्वमाता करे खड्गधारम्।
नमो संकटा कष्ट हरणीं भवानी।।
संकटा अष्टकम् इदं पुण्यं प्रातः काले पठेन्नर:।
तस्य पीड़ा विनिष्यन्ति सर्व काम: फलं लभेत्।।

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