पितृ दिवस father's day
एक पिता अपने बेटे को हंसना बोलना तो सिखाता ही है, उंगली पकड़कर पथरीली राह पर चलना भी बताता है। जीवन के हर उतार चढ़ाव से सतर्क करते हुए बेटे को सुखी देखना ही पिता का आखिरी उद्देश्य होता है।
आजकल कॉन्वेंट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने की परंपरा चली आ रही है। आधुनिक परिवेश में जी रहा बच्चा पिता का सम्मान करना भूल जाता है।अपने कर्म को भूल जाता है। यही कारण है कि पिता पुत्र के बीच दूरियां बढ़ती जा रही है। बेटा पिता की संपत्ति पर अपना अधिकार तो चाहता है, लेकिन पिता की सेवा करने में जरा भी दिलचस्पी नहीं दिखाता। इसके लिए वह कभी-कभी माता-पिता को वृद्धाश्रम तक में भेज देता है। कभी कभी पिता स्वयं ही परेशान होकर घर छोड़कर चले जाते हैं। इस फादर्स डे पर जानिए पिता से रिश्ते मजबूत करने के लिए क्या क्या उपाय किए जा सकते हैं? इसमें पुत्र के स्वयं का भी कल्याण निहित है।
पुत्र को देना चाहिए सूर्य भगवान को अर्घ्य :- आचार्य पं०-विजय कुमार शुक्ल ने बताया कि "अगर हम ज्योतिषी आधार की बात करते हैं तो नवम भाव, नवम भाव का स्वामी और पितृकारक सूर्य अगर कुंडली में अच्छी और शुभ स्थिति में है। केंद्र और त्रिकोण में है, तो ऐसी स्थिति में पिता पुत्र के बीच अच्छे संबंध बने रहते हैं। पुत्र पिता का आज्ञाकारी बना होता है पिता की सेवा करता है। प्रेम भाव और सम्मान करता है। यदि स्थिति विपरीत हो, सूर्य यदि राहु शनि आदि क्रूर और पापी ग्रहों से पीड़ित हो, इन ग्रहों से युति या दृष्टि सम्बन्ध हो, तो पिता और पुत्र के बीच में दरार आ जाती है, दूरियां बढ़ जाती है,आपस में वैचारिक मतभेद उत्पन्न हो जाते हैं।
ऐसी स्थिति में समाधान के लिए पुत्र को सूर्य देवता को ताम्रपात्र से अर्घ्य देना चाहिए। अर्घ्य में रक्तचन्दन,रक्तपुष्प डालकर सूर्य को अर्घ्य देना चाहिए।
इससे पिता पुत्र के बीच वैचारिक मतभेद/दूरियां कम होंगी और सूर्य नारायण की कृपा भी जातक पर होगी।
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