Saturday, July 16, 2022

रक्षाबन्धन कब है 2022 rakshabandhan 2022

 रक्षाबन्धन कब है 2022 

रक्षाबन्धन पर्व को लेकर इस बार लोगों के मन में दुविधा है कि इस वर्ष 2022 में रक्षाबन्धन का त्योहार किस दिन मनाया जाएगा यह विषय लेकर हम आपके समक्ष प्रस्तुत है।

यद्यपि पूर्णिमा 11तारीख को प्रातः10:38 मिनट के बाद प्रारम्भ होगी और इसी समय से भद्रा काल आरम्भ हो जाएगा जो रात्रि में 08:51 मिनट तक रहेगी।

साथ ही पूर्णिमा 12 तारीख को प्रातः सूर्योदय के बाद 3 घड़ी 3 पल तक रहेगी।

रक्षाबन्धन प्रतिवर्ष अपराह्न या प्रदोषकाल व्यापिनी श्रावण सुदी पूर्णिमा में मनाया जाए, यह कथन धर्मसिन्धु का है बशर्ते कि कर्मकाल के समय भद्रा की व्याप्ति ना हो।

यथा- पूर्णिमायां भद्रारहिताया त्रिमुहूर्ताधिकोदय व्यापिन्यामपराह्ने प्रदोषे वा कार्यम्।।

और निर्णयसिन्धु में हेमाद्रि का मन्तव्य भविष्य पुराण का उल्लेख करते हुए लिखा है कि श्रावण की पौर्णमासी में सूर्योदय के अनन्तर श्रुति-स्मृति विधान से बुद्धिमान उपा कर्म श्रावणी कर्म रक्षाबंधन को करें।

उपरान्त अपराह्न के समय शुभरक्षा पोटलिका को बांधे, जिसमें चावल सरसों के दाने तथा स्वर्ण हो। इदं भद्रायां न कार्यम्।इस काम को शुभ की इच्छा रखने वाली माताएं, बहन, बेटियाँ अपने भाइयों की कलाई में राखी भद्रा मे न बांधे तथा द्विजचार्यों की विदुषी महिलायें एवं द्विजमात्र विद्वान यजमानों के हाथ में रक्षा विधान भद्रा में ना करें-

भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।श्रावणी नृपतिं हन्ति ग्रामं दहति फाल्गुनी।।

भद्रा में रक्षाबन्धन घर के प्रधान व्यक्ति को और होलिका दहन ग्राम, नगर, मोहल्ला विशेष को क्षति करने वाला होता है।अर्थात् हानि होती है।

निर्णयामृत में लिखा है कि अपराह्न या रात्रि में भद्रा रहित समय हो तो रक्षा विधान करें अन्यथा नहीं।

किन्तु लौकिक व्यवहार में रक्षाविधान हमेशा सुबह के समय दिन में होता रहा है।

ध्यान रहे-श्रीरामनवमी, दुर्गाष्टमी, एकादशी, गुरुपूर्णिमा, रक्षाबंधन, भाईदूज,भ्रातृद्वितीया आदि का कर्मकाल दिन में पड़ता है, इसलिए इन्हें दिनव्रत के नाम से जाना जाता है।

दिनव्रत के लिए केवल उदया तिथि (साकल्यापादिता तिथि) ली जाती है।

तिथि दो प्रकार की होती है।

एक तो वह तिथि जो सूर्य-चंद्र के भोग्यांश प्रति 12 अंश पर सुनिश्चित करके पंचांग में प्रतिदिन समय के सहित दी जाती है।

दूसरी वह तिथि होती है, जिसे साकल्यापादिता तिथि के नाम से जाना जाता है। 

ध्यान दें- साकल्यापादिता तिथि सूर्योदय के बाद चाहे जितनी हो, उसी को उस दिन व्रत, पूजा,यज्ञानुष्ठान, स्नान, दानादि के लिए सम्पूर्ण दिन अहोरात्र में पुण्यफल (सफलता) प्रदान करने वाली माना जाता है। केवल श्राद्ध कर्म को छोड़कर सभी शुभकर्मों में ग्राह्य मानी गई है। चाहे वह एक घटी हो या आधी घटी।

जैसाकि कालमाधव का कहना है-

या  तिथि  समनुप्राप्य  उदयं  याति भास्करः।

सा तिथि:सकला ज्ञेया स्नान-दान-व्रतादिषु।।

उदयन्नैव  सविता  यां  तिथिं  प्रतिपद्यते।

सा तिथि: सकलाज्ञेया दानाध्यन कर्मसु।।

व्रतोपवास नियमे  घटिकैकायदा  भवेत्।

सा तिथि सकला ज्ञेया पित्रर्थेचापराह्निकी।।

इस वर्ष श्रावण मास की पूर्णिमा 12 अगस्त 2022 शुक्रवार में सूर्योदय के बाद 3 घटी से भी अधिक रहेगी, जो कि साकल्यापादिता तिथि धर्म कृत्योपयोगी रक्षाबन्धन के लिए श्रेष्ठ मानी जाएगी। 

याद रहे कोई पंचांग अथवा जंत्री आदि ज्योतिष की पत्रिकाओं में पहले दिन तारीख 11 अगस्त गुरुवार में राखी बांधने के लिए लिख सकते हैं,जो कि सिद्धान्तत: गलत है क्योंकि तारीख 11 अगस्त गुरुवार में चौदस प्रातः 10:38 तक रहेगी उसी समय भद्रा प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि रात्रि में 08:51 तक रहेगी।

भद्रा में रक्षाबन्धन सर्वमतेन वर्जित है- भद्रायां द्वे न कर्तव्ये श्रावणी फाल्गुनी तथा।

कोई विद्वान रात्रि में रक्षाबन्धन के लिए लिख सकता है।


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