Monday, January 24, 2022

व्यापार/व्यवहार हेतु क्रय विक्रय नक्षत्र Purchase/sale constellation for business/dealing

 व्यापार/व्यवहार हेतु क्रय विक्रय नक्षत्र 
Purchase/sale constellation for business/dealing   

  क्रय विक्रय अर्थात् किसी वस्तु का खरीदना और बेचना कब उचित रहेगा जबकि हम उस वस्तु का व्यापार करते हों।
जिस प्रकार वाहनादि क्रय करने के मुहूर्त होते हैं उसी प्रकार कुछ नक्षत्र होते हैं जिनमे हम किसी व्यापारिक वस्तुओं की खरीद और बिक्री करें तो उससे अपने लाभ को बढ़ा सकते हैं।
हमें अपनी सामर्थ्य और संपत्ति के अनुसार ही व्यापार करना चाहिए। ज्योतिष से लाभ उठाने वालों को योग्य ज्योतिषी द्वारा अपने शुभाशुभ समय का ज्ञान करवा लेना चाहिए। अशुभ समय अर्थात् बुरे दिनों के फेर से कभी-कभी भारी घाटा लग जाता है।भाग्यका कर्ता समय सर्वोपरि है।काल की सत्ता को सभी नमन करते हैं।खोटे ग्रहों के दुष्प्रभाव को विनष्ट करने में धर्म सर्वोपरि है।कहा गया है-
धर्मेणहन्यते व्याधि:,धर्मेणहन्यते ग्रहा:।
धर्मेणहन्यते शत्रु:,यतो धर्मस्ततो जय:।।

खरीदने के नक्षत्रों में बेचना और बेचने के नक्षत्र वारादि में खरीदना सुनिश्चित रूप से घाटे का सौदा जानना चाहिए। जो वस्तु, पशु, धन जिस ग्रह के कारकत्व में आता है(देखें vedic vidha/तेजी मन्दी परिज्ञानम्)उसे उससे संबंधित ग्रह के नक्षत्र, वार में युक्तियुक्त विचार कर बेचा या खरीदा जा सकता है।

वस्तु खरीदने के नक्षत्र:- अश्विनी, चित्रा, स्वाती, श्रवण, शतभिषा, रेवती,तथा वारों में बुध रवि सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं।

वस्तु बेचने के नक्षत्र:- भरणी, कृतिका, अश्लेषा, विशाखा, तीनो पूर्वा यह 7 नक्षत्र और गुरुवार, सोमवार श्रेष्ठ माने गए हैं।

लेनदेन के लिए वर्जित समय- रविवार, मंगलवार,संक्रांति, दिन वृद्धि योग और हस्त नक्षत्र में यदि ऋण ले तो कभी मुक्त ना हो। बुधवार को द्रव्य अनावश्यक नहीं देना चाहिए।
इसे यूट्यूब चैनल पर देखें:-क्रय विक्रय नक्षत्र

गोस्वामी तुलसीदास जी के अनुसार शुभाशुभ नक्षत्र प्रस्तुत हैं:-

गोस्वामी तुलसीदास जी के मतानुसार शुभ नक्षत्र-
श्रुति गुन कर गुन यु जुग मृग हय रेवती सखाउ।
देहि लेहि धन धरनि धरु गएहुं न जाइहि काउ।।
अर्थात्  अश्विनी,मृगसिरा,पुनर्वसु,पुष्य,हस्त,चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,धनिष्ठा, शतभिषा, और रेवती हैं। जिनमें जमीन जायदाद संबंधी लेनदेन में व्यय होने पर या बहु लाभकारी योजना में लगाया जाने पर धन जाता हुआ प्रतीत होने पर भी नहीं जाएगा अर्थात नुकसान नहीं होगा।

ऊ गुन पू गुन वि अज कृ म आ भ आ मू गुनु साथ।
हरो धरो गाड़ो दियो धन फिर चढइ न हाथ।।
अर्थात्
अशुभ नक्षत्र हैं-भरणी, कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा, अश्लेषा, मघा,विशाखा, मूल,तीनो पूर्वा और तीनों उत्तरा हैं।इन 14 नक्षत्रों में हरा हुआ(चोरी गया हुआ),धरोहर रखा हुआ,गाड़ा गया या कारोबार में लगाया गया तथा उधार दिया हुआ धन फिर लौट कर हाथ नहीं लगता है।
टिप्पणी- इन नक्षत्रों के अलावा भद्रा तथा व्यतिपात योग में जो द्रव्य किसी को दिया जाए, पृथ्वी में गाड़ा जाए या किसी व्यवहार में लगाया जाए या बैंक में जमा किया जाए, अथवा चोरी आदि में चला जाए तो वह फिर प्राप्त नहीं होता।यथा-

तीक्ष्ण मिश्र ध्रुवोग्रैर्यद् द्रव्यं दत्तं निवेशितम्।
प्रयुक्तं च विनिष्टं च विष्ट्या पाते च नाप्यते।।


मुहूर्त चिंतामणि के इस श्लोक में केवल एक नक्षत्र ज्येष्ठा के अलावा अन्य सब निषिद्ध नक्षत्र वही है जो गोस्वामी जी ने बताए हैं। मघा के बजाय ज्येष्ठा को अशुभ माना है। अतः मघा को द्रव्य प्रयोग में न अशुभ न शुभ बल्कि मध्यम समझना चाहिए और आवश्यकता में तत्परक तिथि वार शुभ होने पर ही उसे उपयोग में लेना चाहिए।
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Friday, January 7, 2022

तेजी मन्दी परिज्ञानम् fast bearish knowledge

तेजी मन्दी परिज्ञानम्

fast bearish knowledge

पञ्चाङ्ग में मास तिथि वार नक्षत्र योग और मेषादि संक्रांतियों के ध्रुवांक जोड़कर लिख दिए जाते हैं। जिन्हें तेजी मंदी सूचकांक कहते हैं बीच के कॉलम में वस्तु ध्रुवांक लिखे हैं। जिस मास में जिस वस्तु की तेजी मंदी ज्ञात करनी हो उसी मास के तेजी मंदी सूचकांकों में वस्तु ध्रुवांक जोड़कर 3 से भाग देने पर एक बचे तो मंदी हो,दो बचे तो भाव समान रहे और यदि 0 शेष बचे तो वह वस्तु तेज होगी ऐसा जाने।

भाव कितने बढ़ेंगे या घटेंगे?


चंद्र दर्शन एवं सूर्य संक्रांति के मुहूर्तों का चालू मार्केट के रुख पर बहुत ही प्रभाव पड़ता है। इसलिए चंद्रमा एवं संक्रांति का मुहूर्त कितना है।यह प्रत्येक पक्ष में लिखा रहता है। सामान्यतया संक्रांति व चंद्र दर्शन मुहूर्त, 15 तेजी के,30 समभाव के और 45 मन्दी के सूचक होते हैं।


नक्षत्र ग्रह वेध-


नक्षत्र दृष्टि तथा ग्रहों का नक्षत्र व राशिचार, उदय,अस्त तथा वक्री-मार्गी होने का बहुत भारी प्रभाव चालू मार्केट पर पड़ता है।

संक्रांति कालीन कुंडली में सूर्य शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो सूर्याश्रित राशि के प्रभावांतर्गत आने वाली वस्तुओं का बाजार भाव बढ़ जाता है अशुभ ग्रहों से दृष्ट या युद्ध होने पर भाव घट जाते हैं। अमावस्या अथवा पूर्णिमा को चंद्रमा शुभ ग्रहों से युत या दृष्ट हो तो चंद्र आश्रित नक्षत्र आधीन वस्तुओं के भाव बढ़ जाते हैं अशुभ ग्रह युति या दृष्ट होने पर भाव घटा करते हैं सूर्य चंद्र ग्रह संयोगात् के अभाव में मुहूर्तदर्शन का प्रभाव परिलक्षित होता है।

सूर्य,चंद्रमा व बुध से जिस समय जैसे ग्रह का वेध लगेगा। वैसी ही प्रतिक्रिया व्यापार जगत में होगी। जैसे सूर्य चंद्र बुध का वेध होने पर सरकार व्यापार का निरीक्षण करने लगती है। छापे पड़ते हैं या आयात निर्यात संबंधी विचार-विमर्श होने लगता है।


शुभाशुभ नक्षत्र-


श्रुति गुन कर गुन यु जुग मृग हय रेवती सखाउ।

देहि लेहि धन धरनि धरु गएहुं न जाइहि काउ।।

गोस्वामी तुलसीदास जी के मतानुसार शुभ नक्षत्र- अश्विनी,मृगसिरा,पुनर्वसु,पुष्य,हस्त,चित्रा, स्वाति, अनुराधा, श्रवण,धनिष्ठा, शतभिषा, और रेवती हैं। जिनमें जमीन जायदाद संबंधी लेनदेन में व्यय होने पर या बहु लाभकारी योजना में लगाया जाने पर धन जाता हुआ प्रतीत होने पर भी नहीं जाएगा अर्थात नुकसान नहीं होगा।


ऊ गुन पू गुन वि अज कृ म आ भ आ मू गुनु साथ।

हरो धरो गाड़ो दियो धन फिर चढइ न हाथ।।


अशुभ नक्षत्र-भरणी, कृतिका, रोहिणी, आर्द्रा, अश्लेषा, मघा,विशाखा, मूल,तीनो पूर्वा और तीनों उत्तरा हैं।इन 14 नक्षत्रों में हरा हुआ(चोरी गया हुआ),धरोहर रखा हुआ,गाड़ा गया या कारोबार में लगाया गया तथा उधार दिया हुआ धन फिर लौट कर हाथ नहीं लगता है।

टिप्पणी- इन नक्षत्रों के अलावा भद्रा तथा व्यतिपात योग में जो द्रव्य किसी को दिया जाए, पृथ्वी में गाड़ा जाए या किसी व्यवहार में लगाया जाए या बैंक में जमा किया जाए, अथवा चोरी आदि में चला जाए तो वह फिर प्राप्त नहीं होता।यथा-


तीक्ष्ण मिश्र ध्रुवोग्रैर्यद् द्रव्यं दत्तं निवेशितम्।

प्रयुक्तं च विनिष्टं च विष्ट्या पाते च नाप्यते।।


मुहूर्त चिंतामणि के इस श्लोक में केवल एक नक्षत्र ज्येष्ठा के अलावा अन्य सब निषिद्ध नक्षत्र वही है जो गोस्वामी जी ने बताए हैं। मघा के बजाय ज्येष्ठा को अशुभ माना है। अतः मघा को द्रव्य प्रयोग में न अशुभ न शुभ बल्कि मध्यम समझना चाहिए और आवश्यकता में तत्परक तिथि वार शुभ होने पर ही उसे उपयोग में लेना चाहिए।


लेनदेन के लिए वर्जित समय- रविवार, मंगलवार,संक्रांति, दिन वृद्धि योग और हस्त नक्षत्र में यदि ऋण ले तो कभी मुक्त ना हो। बुधवार को द्रव्य अनावश्यक देना नहीं चाहिए।


वस्तु खरीदने के नक्षत्र:- अश्विनी, चित्रा, स्वाती, श्रवण, शतभिषा, रेवती,तथा वारों में बुध रवि सर्वश्रेष्ठ माने गए हैं।


वस्तु बेचने के नक्षत्र:- भरणी, कृतिका, अश्लेषा, विशाखा, तीनो पूर्वा यह 7 नक्षत्र और गुरुवार, सोमवार श्रेष्ठ माने गए हैं।


खरीदने के नक्षत्रों में बेचना और बेचने के नक्षत्र वारादि में खरीदना सुनिश्चित रूप से घाटे का सौदा जानना चाहिए। जो वस्तु, पशु, धन जिस ग्रह के कारकत्व में आता है उसे उससे संबंधित ग्रह के नक्षत्र, वार में युक्तियुक्त विचार कर बेचा या खरीदा जा सकता है।


कौन सी वस्तु किस ग्रह के अधीन है?


सूर्य-माणिक्य, स्वर्ण,पीतल, गुड़,खांड, चना, भूसा,हल्दी, सरसों, मुनक्का, सभी औषधियां, शर्बत, लाल-पीला रंग, रंगीन वस्त्र,सरकारी ऋणपत्र, पशु,वृक्षादि।


चन्द्र-मोती,चन्द्रमणि,सुसंस्कृत(cultured) मोती, चांदी,पारा, दूध,दही,मक्खन,दूध से बने पदार्थ,मछली,सर्वोषधी, फल-फूल,रसदार पदार्थ,सोडा वाटर,बर्फ,शीशा।


मङ्गल- मूंगा,सुर्ख अकीक, सोना, तांबा, गन्ना, गुड,मुनक्का,आसवारिष्ट,किसमिश, छुहारा, लौंग,किराना,गेहूं,चना,मसूर,मोठ,लाल सरसो, सुपारी, हल्दी,धनिया,लाल मिर्च, शराब, चाय, काफी,चमड़ा,लाख,लाल रंग, बारीक लालऊन, बारदाना,धातुपदार्थ,मशीनरी सामान, विभिन्न शेयर्स।


बुध- पन्ना,जबरजद हरा पत्थर,अकीक, विभिन्न रंगों का फिरोजा, ज्वार,बाजरा, गेहूं, जौ,मूंग,मटर, ग्वार, अरहर, काली खेसारी, सौंफ,सर्वरस, सर्वधान्य, हरे उड़द,पीली सरसों, घी, कपास, अलसी(तीसी), एरण्ड(अण्डी), बिनोला(काकड़ा), मूंगफली(सींगदाना),हैसियन, जूट, पाट, सफेद बारदाना, रेशम, टेक्सटाइल, न्यूजप्रिंट कागज, पेपर मिल्स के शेयर्स।


गुरू- पुखराज, सुनहला पत्थर,बुलियान, नमक,जमीन से पैदा होने वाले कंद, मूल, आलू, प्याज, अदरक,आदि सब्जियां, नकली सिल्क, पाट(कुष्टा),रबड़,तंबाकू,बैंक शेयर्स, खरड, जवाहरात, समुद्री पदार्थ, हाइड्रो खाद।


शुक्र- हीरा, वैकांत, ओपल, सफेद गेहूं, चावल, चीनी,अरहर(तुअर), रुई,रेशम,हैशियन, सिल्क,फैंसी सामान, श्रृंगार प्रसाधन की चीजें,अत्तारोंकी दवाएं, टैक्स,टाइल्स, शेयर्स, देसी अंग्रेजी दवाएं।


शनि- नीलम,लाजवर्त,कसौटी,तिलहन,खनिज आदि सर्व तेल,काले तिल, उड़द,तोरिया, काली मिर्च, काला ऊन,काला रंग,बारदाना, काली धारी, भैंस, लोहा, वाहन,जस्ता,टीन, रांगा, सीसा,कांसी,संगमरमर,चमड़ा व चमड़े की चीजें, कोलतार, आयल सेल्स, कोयले की खानों के शेयर्स, कलपुर्जे तथा वाहन आदि।

राहु-केतु- वैदूर्यमणि(लहसुनिया), दुआ(तारामीरा), संगमूसा,गोमेद,फिरोजा, वायरलेस, टेलीफोन, तार, बिजली के सामान, एलुमिनियम आदि मिश्रित धातुऐं दोनों ग्रहों के अधीन हैं।


व्यापारिक अमूल्य चुटकुले-


● यदि कोई वस्तु सामयक भाव को देखते हुए एकदम मन्दी हो जाए तो निश्चय 100 दिन के भीतर उसका भाव बहुत बढ़ जाता है। यदि तेज हो जाए तो उक्त अवधि में काफी मन्दी का झटका लगता है।

● भाव बढ़ने पर विक्रय वाले नक्षत्रों में बेचना तथा भाव घटने पर क्रय वाले नक्षत्रों में खरीदना चाहिए।

● गुरुवार के बने भाव मामूली हेरफेर से अगले गुरुवार को वही होते हैं।

मंगल को तेजी होकर यदि शनिवार को भी तेजी हो तो अगले मंगलवार तक तेजी ही चलती है। यदि शनिवार को मन्दी आ जाए तो तेजी की लाइन रुकी रहेगी ऐसा जाने।

● किसी भी ग्रह के वक्री,अस्त,युतिकाल में जो भाव किसी वस्तु के बने,उससे उल्टा रुख उक्त ग्रह के मार्गी, उदय,या युति छूटने के बाद प्राय: हो जाता है। 

● संक्रांति के पूर्वदिन का भाव संक्रांति के दिन मंदा रहे तो आगे तेजी का रुख एक मास तक चलेगा।यदि तेज रहे तो मास पर्यंत मंदा जाने।

● ग्रह गति अंतर अपने अधीन वस्तुओं को बहुत ही प्रभावित करता है। चालू मार्केट रुख को पलट देता है।सर्वतोभद्र चक्र में जहां जिस स्थान पर ग्रहवेध हो वहां सर्वाधिक प्रभाव पड़ता है।

● यद्यपि बुध ग्रह सबसे छोटा ग्रह है लेकिन व्यापार का कर्ता होने से इसका बहुत तीव्र प्रभाव चालू मार्केट पर पड़ता है। बुध का सूर्य के साथ युति या प्रतियोग होने पर पृथ्वी पर शासन तंत्र व्यापार पर नियंत्रण करने लगता है  या सरकार खुद ही रेट घटाती-बढ़ाती है।शुभ ग्रह योग होने पर महंगाई बढ़ती है तो क्रूर पाप ग्रह संयोगात महंगाई घटती जाती है।

अंतिम कालम में उल्लिखित मेषादि राशि के आधीन वस्तु नाम ग्रह संचार तथा वेधादि के कारण विशेष प्रतिक्रिया हुआ करती है। उत्पाद से विनाश होता है भाव बहुत बढ़ जाते हैं।

मण्डलं नगरं ग्रामो दुर्ग देवालयं पुरम्।

क्रुरैरुभयतो विद्धं विनश्यतिन संशयः।।


अपनी सामर्थ्य और संपत्ति के अनुसार ही व्यापार करना चाहिए। ज्योतिष से लाभ उठाने वालों को योग्य ज्योतिषी द्वारा अपने शुभाशुभ समय का ज्ञान करवा लेना चाहिए। अशुभ समय अर्थात् बुरे दिनों के फेर से कभी-कभी भारी घाटा लग जाता है।भाग्यका कर्ता समय सर्वोपरि है।काल की सत्ता को सभी नमन करते हैं।खोटे ग्रहों के दुष्प्रभाव को विनष्ट करने में धर्म सर्वोपरि है।कहा गया है-

धर्मेणहन्यते व्याधि,धर्मेणहन्यते ग्रहा:।

धर्मेणहन्यते शत्रु,यतो धर्मस्ततो जय।।


राशियों के अधीन वस्तुएं देश तथा स्थान विशेष-


1-मेष- चावल,सर्वधान्य, तृण, तुषधान्य,वस्त्र,घी,मिर्च,युगंधरी,सर्वोषधी, खच्चर,ऊंट।

देश:-इंग्लैंड,जर्मनी,डेनमार्क,पोलैंड,सीरिया।


2-वृष- सर्वरस,चावल,जौ,सर्वधान्य, सर्वधातु, तिल, ऊनी वस्त्र, रत्न, मणि, हीरा।

घोड़े, गाय, भैंस, गर्दभ।

देश:-आयरलैंड,पारस,साइप्रस,अर्ध भाग रूस, और हालैंड।

दिल्ली मध्य प्रदेश तथा केंद्र शासित प्रदेश।


3-मिथुन- ज्वार,बाजरा,कोदों धान्य, तुअर,तेल, लवण, सर्वक्षार रस, सुगंधित द्रव्य, लाख, सोना, रूपा, शेयर्स।

देश:- यूनाइटेड स्टेट्स अमेरिका (यू.एस.ए.) बेल्जियम,इजिप्ट।


4-कर्क-गेहूं आदि धान्य, चावल, गुड़,खांड, चीनी,मजीठ, 

सेलडी,सुण्ठी,कोदों, सरसों,सज्जी, तेल,हींग,सौचरनमक, कपास, रेशमी वस्त्र, घी,सोना,रूपा।

देश:- अफ्रीका,न्यूजीलैंड,हालैंड,स्कॉटलैंड। राजस्थान।


5-सिंह- चना, गुड़, मसूर, उड़द,मूंग, तिल, तेल, धृत, प्रवाल, कंबल,ऊन,अलसी,कांगुनी,रूपा, युगन्धरी।

देश:- फ्रांस,इटली,सिसली,केलिफोर्निया,आल्पस, रोम। मुंबई।


6-कन्या- चावल,कोंदो, लहसुन, सज्जी,चंदन,कपूर,देवदारु,अगर-तगर, कंदमूल,पन्ना,सोना।

देश:- टर्की,स्विट्जरलैंड,वेस्टइंडीज,यूनान,येरुशलम,लासएंजिल्स, पेरिस, बगदाद, पाकिस्तान।


7-तुला- सुपारी,मिर्च, सरसों तेल, राई, हींग, खजूर,मूंग,जौ, चावल, गेहूं, मसूर,मोठ। घोड़ा वाहन।

देश:- इंडो चाइना, ऑस्ट्रिया तिब्बत, चीन, वर्मा,अर्जेंटीना, वियना, लिस्बन और जापान ।पश्चिमोत्तर भारत,कश्मीर,राजस्थान।


8-वृश्चिक- सभी अन्न, चावल, गुड़, हींग,मोठ,गुग्गुल,लाख,कपूर,पारा, हिंगुल। देश:-स्वीडन,ब्राजील,नार्वे,सीरिया,अल्जीरिया,वाशिंगटन,हेलीफैक्स,डोबर,लिवरपूल,न्यूफाउंडलैण्ड, फ्रैंकफर्ट।


9-धनु- चावल, घृत, कंदमूल,तुषधान्य,अनाज, सेचर, सेंधा नमक, श्वेतवस्तु, रस,सुरमा, कपास,लवण।

देश:-अरब,इजरायल,ऑस्ट्रेलिया,हंगरी,स्पेन, मेडागास्कर ।उत्तर प्रदेश।


10-मकर- दाख,खजूर,घृत,अखरोट,चिरौंजी,पिपली, सुपारी,इलायची,मूंग,जायफल,लोहादिस्याह धातु।

देश:-भारत,सीरिया,अफगानिस्तान,बुल्गारिया, मेक्सिको,लिथुनिया।


11-कुम्भ-मद्यादि अर्क, नशेड़ी वस्तुएं,प्रियंगु,मूल, जावित्री,देवदारू,तेल,सर्वधान्य,सर्वधातु,सर्वोषधी,कोंदो।भैंस वाहन। मणि,मोती,नीलम आदि रत्न।

देश:-अर्धाल्प अरब,रूस,अबीसनिया,स्वीडन।


12-मीन- गुड़, खांड,शक्कर,चावल,घृत,नारियल, सुपारी,त्वली,किराना।मणि,मोती।

देश:-पुर्तगाल,सहारा,रेगिस्तान,अलैक्जेंड्रिया। पंजाब,हिमाचल,हरियाणा।


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