Tuesday, January 5, 2016

बातें कुछ अपनी कुछ आपकी Things your something your

जब एक बच्चे का जन्म होता है, तो उसी के साथ माँ और पिता का भी जन्म होता है।उससे पहले तो वो एक स्त्री और पुरुष होते हैं।इस सम्बन्ध मे ओशो के कुछ सूत्र हैं।
पहली बात बच्चों को अति सुरक्षा मत दो।अतिशय सुरक्षा स्वयं का बचाव करने की सारी क्षमता नष्ट कर देती है।
दूसरी बात बच्चों को किसी बात के लिए मना करना हो तो सीधे निषेध मत करो।निषेध की गयी चीज का अपना एक आकर्षण होता है।इस तरह से मना करें की उनके अहंकार को चोट न पहुंचे।सबसे महत्वपूर्ण,आप जो बच्चों से करवना चाहते हैं, उसे स्वयं करें।बच्चे आपके शब्दों को नही सुनते,आपके आचरण से सीखते हैं।घर के बड़े लोग अगर झूठ बोलते हैं, एक-दूसरे पर क्रोध करते हैं, तो बच्चे वही करेंगे।पिता अगर माँ का अपमान करता है, उसकी कदर नही करता,तो बेटा बड़ा होकर अपनी पत्नी के साथ वही करेगा।
इसलिए सबसे बढ़िया उपाय होगा कि आप  अपने जीवन मे शांति और प्रेम लाएं,तो बच्चे उसी की नक़ल करेंगे।

खुद पर काम करना सभी का महत्वपूर्ण लक्ष्य होना चाहिए।कुछ मूल क्षमतायें सभी के भीतर होती हैं, जैसे प्यार,विश्वास,ईमानदारी,खुद पर भरोसा आदि।ये बातें सुकून की ओर ले जाती हैं।धीरे-धीरे आप गौर करना,सही निर्णय लेना,सराहना और आगे बढ़ना सीख जाते हैं।
ऐसे लोग अच्छे दिनों मे हवा मे नही उड़ते और कठिन दिनों मे ढेर नही होते।

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

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