Monday, December 30, 2019

नववर्ष 2020 और पञ्चतत्व नवग्रह गायत्री New Year 2020 and Panchatattva Navagraha Gayatri

आओ मिलकर बनाये नववर्ष 2020 में सभी को आर्थिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से समृद्ध
पञ्चतत्त्व नवग्रह गायत्री के माध्यम से


चूँकि पञ्चतत्त्व हमारे जीवन का ही नही अपितु पूरी सृष्टि का आधार है।

क्षिति जल पावक गगन समीरा।

ये भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) - ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है। 
ये ही हमारे सुख-दुःख का कारण है और इनका संचालन ग्रहों के द्वारा किया जाता है।
कलयुग में गायत्री अर्थात शक्ति ही कारक है इसलिए तत्वक्रम से ग्रहों की गायत्री मंत्र के प्रयोग से इन्हें प्रसन्न कर अपने अनुकूल बनाएं।
जिससे वर्ष भर कोई बाधा या तनाव हमे न सताये यदि वर्तमान में कोई परेशानी हो तो वह अपने आप दूर हो जाए और हम निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर होते रहे:-

(रात को सोते समय बिस्तर पर और सो कर उठते समय बिस्तर पर ही पहले प्रार्थना तीन बार पढ़े।)

सर्वप्रथम तीन बार प्रार्थना करें,

                     प्रार्थना:-
"किसी भी काल मे जाने अनजाने हमसे या हमारे पूर्वजों से कोई गलती हुई हो उसे क्षमा करे हमारी आर्थिक स्थिति सही करे पूरे परिवार को स्वस्थ करे हमे श्राप मुक्त करे हमे ऋण मुक्त करे"

तत्पश्चात पञ्च तत्वक्रमानुसार  प्रत्येक गायत्री मंत्र,सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय,विष्णु गायत्री पढ़े।
तथा उद्देश्य विशेष की पूर्ति हेतु 108 बार पढ़े।


पंचतत्व नवग्रह गायत्री मन्त्र

प्रथम् वायु तत्व

               राहु गायत्री 

ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि; तन्नः राहुः प्रचोदयात् ।

                   केतु गायत्री

ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि, तन्नः केतुः प्रचोदयात् ।

                    शनि गायत्री

ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ।

द्वितीय जल तत्व

                    चन्द्र गायत्री

ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि, तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ।

                   शुक्र गायत्री

ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ।

तृतीय अग्नि तत्व

                   भौम गायत्री 

ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।
                 
                    सूर्य गायत्री

ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।

                  
चतुर्थ पृथ्वी तत्व

                   बुध गायत्री

ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्,।

                
पञ्चम आकाश तत्व

                      गुरू गायत्री

ॐ आङ्गिरसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहि, तन्नो जीवः प्रचोदयात्।

        सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय

ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
        
             विष्णु गायत्री

ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
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Saturday, December 28, 2019

नए वर्ष 2020 को बनाएं भाग्यशाली,करें ग्रहों को अपने अनुकूल अपनाएं कुछ साधारण उपाय


नए वर्ष 2020 को बनाएं भाग्यशाली,करें ग्रहों को अपने अनुकूल अपनाएं कुछ साधारण उपाय Make the new year 2020 lucky, adopt some simple ways to adapt the planets

नए वर्ष 2020 के आने में अब कुछ ही समय शेष रह गया है। इस वर्ष कई ग्रहों की स्थितयों में परिवर्तन होगा, वर्ष के आरंभ में ही शनि अपनी राशि बदलेंगे, गुरु की स्थिति भी बदलेगी।अतःकुछ साधारण उपायों के द्वारा हम अपनी स्थिति को अपने अनुकूल बनाने का प्रयत्न कर सकते हैं।

सूर्य को करें अपने अनुकूल

नूतन वर्ष में सूर्य को अपने अनुकूल करने के लिए अभी से आदत बना लीजिए कि काम पर निकलने से पहले चीनी के कुछ दानें मुंह में रखकर पानी पी लें। इस उपाय से सूर्य बलवान होगा और शनि का अशुभ प्रभाव आपको परेशना नहीं करेगा।
सूर्य के मजबूत होने से कार्यक्षेत्र में अधिकारियों से सहयोग मिलेगा। इसके लिए आप बंदरों को गुड़ खिला सकते हैं या भूरे रंग की चीटिंयों को आटा में चीनी मिलाकर दे सकते हैं।

चन्द्रमा को करें अपने अनुकूल

चंद्रमा के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए नव वर्ष में आप लाल रंग का पत्थर या फिर गुड़ मिट्टी में दबा दें। इस उपाय से घर-परिवार में सुख-शांति रहेगी।
साथ ही यह भी ध्यान रखें कि यदि आवश्यक न हो तो दूध का दान या किसी को दूध पिलना आपके लिए अशुभ हो सकता है।
जिनकी कुंडली के चंद्रमा छठे भाव में है तो उनको घर में नल या हैंडपंप नहीं लगाना चाहिए। इस उपाय से मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होगी।

मङ्गल को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष में मंगल के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए नए साल पर छोटी उम्र की लड़कियों को खाना खिलाएं और उनका आशीर्वाद लें। ऐसा करना आपके लिए शुभ रहेगा और आपके आसपास मौजूद नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाएगी। साथ ही रेवड़ी या गुड़  नदी में प्रवाहित करें।

बुध को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष में बुध को अनुकूल बनाने के लिए अपने आसपास फूल रखें, ऐसा करने से अशुभ प्रभाव दूर होगा।
अशुभ बुध की स्थिति में तोता नहीं पालना चाहिए। अगर बुध के कारण आपकी आर्थिक स्थिति पर खराब असर पड़ा है तो आप नए साल पर पीतल के बर्तन में गंगाजल डालकर रखें, ऐसा करना शुभ रहेगा और धन की समस्या खत्म हो जाएगी।

बृहस्पति को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष में  बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने के लिए किसी पुजारी को कपड़े दान देना चाहिए। ऐसा करने से व्यवसाय में उन्नति होगी और नौकरी करने वालों को प्रमोशन भी मिलेगा। साथ ही मस्तक या ललाट पर केशर या हल्दी का तिलक लगाना भी शुभ रहेगा। तथा अशुभ बृहस्पति की स्थिति में सोना धारण करना आपके लिए शुभ रहेगा।

शुक्र को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष  में शुक्र को अनुकूल बनाने के लिए पहले चीनी के कुछ दानें मुंह में रखकर पानी पी लें। ऐसा करने से घर में सुख व शांति के साथ ऐशवर्य की भी प्राप्ति होती है। पत्नी की सेहत खराब होना भी शुक्र के अशुभ प्रभावों में से एक है इसके लिए आप नए साल पर 6 शुक्रवार सफेद पत्थर पर सफेद चंदन लगाकर बहते पानी में बहा दें। ऐसा करने से आपकी समस्या का अंत हो जाएगा।

शनि को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष  पर शनि के फल को शुभ करने के लिए जमीन में सुरमा दबा दें, इस उपाय के करने से आप सूर्य और शनि के टकराव से बच जाएंगे और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहेगी। साथ ही शनि के किसी भी बुरे असर को दूर करने के लिए सरसों के तल से भरा बर्तन किसी तालाब या दरिया के अंदर मिट्टी मे दबा दें। ऐसा करने से आर्थिक समृद्धि का वास होगा।

राहु को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष पर राहु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए चांदी का चौकोर टुकड़ा अपने पास रखें, इससे आपके आसपास नकारात्मक ऊर्जा दूर होगी साथ ही विद्यार्थियों को पढ़ाई में भी मन लगेगा।
अगर आप पर राहु का अशुभ प्रभाव है तो आप नए साल पर अपने वजन के बराबर जौं पानी में बहा देना चाहिए, ऐसा करना आपके लिए शुभ रहेगा। तथा चांदी की डिब्बी में गंगाजल भरकर रखें।

केतु  को करें अपने अनुकूल

नव वर्ष में केतु के अशुभ प्रभाव को दूर करने के लिए आपको नए साल पर आप बहन, बेटी और बुआ से झगड़ा न करें, सभी गिले-शिकवे दूर कर लें।
लग्न स्थित केतु के लिए लौहे की गोली को लाल रंग से रंग कर अपने पास रखना आपके लिए शुभ रहेगा।

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Wednesday, December 25, 2019

ग्रहण में करें पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जप In the eclipse chant the Panchatatva Navagraha Gayatri Mantra

ग्रहण में करें पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जपIn the eclipse chant the Panchatatva Navagraha Gayatri Mantra


ग्रहण के दौरान इष्टदेव की आराधना, गुरुमंत्र जप एवं धार्मिक ग्रंथों का पठन-मनन करने का निर्देश दिया गया है।इस समय किया गया जप- मंत्रादि की सिद्धि हो जाती है।
कलयुग में पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री ही आधार है,अतः ग्रहण काल में पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जप करें।
सर्वप्रथम तीन बार प्रार्थना करें,

                     प्रार्थना:-"किसी भी काल मे जाने अनजाने हमसे या हमारे पूर्वजों से कोई गलती हुई हो उसे क्षमा करे हमारी आर्थिक स्थिति सही करे पूरे परिवार को स्वस्थ करे हमे श्राप मुक्त करे हमे ऋण मुक्त करे"
तत्पश्चात पञ्च तत्वक्रमानुसार  प्रत्येक गायत्री मंत्र,सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय,विष्णु गायत्री पढ़े।तथा उद्देश्य विशेष की पूर्ति हेतु 108 बार पढ़े।
पंचतत्व नवग्रह गायत्री मन्त्र


प्रथम् वायु तत्व
               राहु गायत्री 
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि; तन्नः राहुः प्रचोदयात् ।
                केतु गायत्री
ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि, तन्नः केतुः प्रचोदयात् ।
                    शनि गायत्री
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ।


द्वितीय जल तत्व
                    चन्द्र गायत्री
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि, तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ।
                   शुक्र गायत्री
ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ।


तृतीय अग्नि तत्व


                   भौम गायत्री 
ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।                                     सूर्य गायत्री ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।
                  चतुर्थ पृथ्वी तत्व


                   बुध गायत्री

ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्,।
                पञ्चम आकाश तत्व


                      गुरू गायत्री

ॐ आङ्गिरसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहि, तन्नो जीवः प्रचोदयात्।
                    सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय


ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।                               विष्णु गायत्री
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।


इससे सभी ग्रहों का दुष्प्रभाव समाप्त होकर शुभ फलों में वृद्धि होगी, नए साल 2020 में बेहतर परिणाम मिलेंगे और आपकी आय में भी वृद्धि होगी, घर में सुख-शांति का वास होगा,तथा मान- सम्मान में वृद्धि होती है, प्रमोशनअर्थात उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है इस तरह सभी ग्रह आपकी मदद करते हैं आपकी सारी परेशानियां दूर होती हैं।

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Tuesday, December 24, 2019

सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र


जीवन में सभी प्रकार की बाधाओं के इस "सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र" के 40 पाठ करना चाहिए।यह पाठ किसी भी  देवी-देवता की प्रतिमा या यंत्र के सामने बैठकर किया जा सकता है।
विशेष परिस्थितियों में कम से कम 108 या 1008 पाठ करें।
सर्वप्रथम इष्टदेव के सामने धूप-दीपादि जलाकर उनका पूजन कर लें
तत्पश्चात इस "सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र" का पाठ करें।
और अन्त में गुग्गुल और घृत से आहुतियाँ देना चाहिए। इस पाठ को करने से मनुष्य के जीवन की ग्रह या देव दोष आदि सभी बाधाओं का निवारण होता है।

सर्वारिष्ट निवारण स्तोत्र

ॐ गं गणपतये नम:। सर्व-विघ्न-विनाशनाय, सर्वारिष्ट निवारणाय, सर्व-सौख्य-प्रदाय, बालानां बुद्धि-प्रदाय, नाना-प्रकार-धन-वाहन-भूमि-प्रदाय, मनोवांछित-फल-प्रदाय रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ गुरवे नम:, ॐ श्रीकृष्णाय नम:, ॐ बलभद्राय नम:, ॐ श्रीरामाय नम:, ॐ हनुमते नम:, ॐ शिवाय नम:, ॐ जगन्नाथाय नम:, ॐ बदरीनारायणाय नम:, ॐ श्री दुर्गा-देव्यै नम:।।
ॐ सूर्याय नम:, ॐ चन्द्राय नम:, ॐ भौमाय नम:, ॐ बुधाय नम:, ॐ गुरवे नम:, ॐ भृगवे नम:, ॐ शनिश्चराय नम:, ॐ राहवे नम:, ॐ पुच्छानयकाय नम:, ॐ नव-ग्रह रक्षा कुरू कुरू नम:।।
ॐ मन्येवरं हरिहरादय एव दृष्ट्वा द्रष्टेषु येषु हृदयस्थं त्वयं तोषमेति विविक्षते न भवता भुवि येन नान्य कश्विन्मनो हरति नाथ भवान्तरेऽपि। ॐ नमो मणिभद्रे। जय-विजय-पराजिते! भद्रे! लभ्यं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्-सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।। सर्व विघ्नं शांन्तं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक-भैरवाय आपदुद्धारणाय महान्-श्याम-स्वरूपाय दिर्घारिष्ट-विनाशाय नाना प्रकार भोग प्रदाय मम (यजमानस्य वा) सर्वरिष्टं हन हन, पच पच, हर हर, कच कच, राज-द्वारे जयं कुरू कुरू, व्यवहारे लाभं वृद्धिं वृद्धिं, रणे शत्रुन् विनाशय विनाशय, पूर्णा आयु: कुरू कुरू, स्त्री-प्राप्तिं कुरू कुरू, हुम् फट् स्वाहा।।
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:। ॐ नमो भगवते, विश्व-मूर्तये, नारायणाय, श्रीपुरुषोत्तमाय। रक्ष रक्ष, युग्मदधिकं प्रत्यक्षं परोक्षं वा अजीर्णं पच पच, विश्व-मूर्तिकान् हन हन, ऐकाह्निकं द्वाह्निकं त्राह्निकं चतुरह्निकं ज्वरं नाशय नाशय, चतुरग्नि वातान् अष्टादष-क्षयान् रांगान्, अष्टादश-कुष्ठान् हन हन, सर्व दोषं भंजय-भंजय, तत्-सर्वं नाशय-नाशय, शोषय-शोषय, आकर्षय-आकर्षय, मम शत्रुं मारय-मारय, उच्चाटय-उच्चाटय, विद्वेषय-विद्वेषय, स्तम्भय-स्तम्भय, निवारय-निवारय, विघ्नं हन हन, दह दह, पच पच, मथ मथ, विध्वंसय-विध्वंसय, विद्रावय-विद्रावय, चक्रं गृहीत्वा शीघ्रमागच्छागच्छ, चक्रेण हन हन, पा-विद्यां छेदय-छेदय, चौरासी-चेटकान् विस्फोटान् नाशय-नाशय, वात-शुष्क-दृष्टि-सर्प-सिंह-व्याघ्र-द्विपद-चतुष्पद अपरे बाह्यं ताराभि: भव्यन्तरिक्षं अन्यान्य-व्यापि-केचिद् देश-काल-स्थान सर्वान् हन हन, विद्युन्मेघ-नदी-पर्वत, अष्ट-व्याधि, सर्व-स्थानानि, रात्रि-दिनं, चौरान् वशय-वशय, सर्वोपद्रव-नाशनाय, पर-सैन्यं विदारय-विदारय, पर-चक्रं निवारय-निवारय, दह दह, रक्षां कुरू कुरू, ॐ नमो भगवते, ॐ नमो नारायणाय, हुं फट् स्वाहा।।
ठ: ठ: ॐ ह्रीं ह्रीं। ॐ ह्रीं क्लीं भुवनेश्वर्या: श्रीं ॐ भैरवाय नम:। हरि ॐ उच्छिष्ट-देव्यै नम:। डाकिनी-सुमुखी-देव्यै, महा-पिशाचिनी ॐ ऐं ठ: ठ:। ॐ चक्रिण्या अहं रक्षां कुरू कुरू, सर्व-व्याधि-हरणी-देव्यै नमो नम:। सर्व प्रकार बाधा शमनमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू फट्। श्रीं ॐ कुब्जिका देव्यै ह्रीं ठ: स्वाहा।।
शीघ्रमरिष्ट निवारणं कुरू कुरू शाम्बरी क्रीं ठ: स्वाहा।।
शारिका भेदा महामाया पूर्णं आयु: कुरू। हेमवती मूलं रक्षा कुरू। चामुण्डायै देव्यै शीघ्रं विध्नं सर्वं वायु कफ पित्त रक्षां कुरू। मंत्र तंत्र यंत्र कवच ग्रह पीड़ा नडतर, पूर्व जन्म दोष नडतर, यस्य जन्म दोष नडतर, मातृदोष नडतर, पितृ दोष नडतर, मारण मोहन उच्चाटन वशीकरण स्तम्भन उन्मूलनं भूत प्रेत पिशाच जात जादू टोना शमनं कुरू। सन्ति सरस्वत्यै कण्ठिका देव्यै गल विस्फोटकायै विक्षिप्त शमनं महान् ज्वर क्षयं कुरू स्वाहा।।
सर्व सामग्री भोगं सप्त दिवसं देहि देहि, रक्षां कुरू क्षण क्षण अरिष्ट निवारणं, दिवस प्रति दिवस दु:ख हरणं मंगल करणं कार्य सिद्धिं कुरू कुरू। हरि ॐ श्रीरामचन्द्राय नम:। हरि ॐ भूर्भुव: स्व: चन्द्र तारा नव ग्रह शेषनाग पृथ्वी देव्यै आकाशस्य सर्वारिष्ट निवारणं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीवासुदेवाय नम:, बटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीविष्णु भगवान् मम अपराध क्षमा कुरू कुरू, सर्व विघ्नं विनाशय, मम कामना पूर्णं कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीबटुक भैरवाय आपदुद्धारणाय सर्व विघ्न निवारणाय मम रक्षां कुरू कुरू स्वाहा।।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं श्रीं ॐ श्रीदुर्गा देवी रूद्राणी सहिता, रूद्र देवता काल भैरव सह, बटुक भैरवाय, हनुमान सह मकर ध्वजाय, आपदुद्धारणाय मम सर्व दोषक्षमाय कुरू कुरू सकल विघ्न विनाशाय मम शुभ मांगलिक कार्य सिद्धिं कुरू कुरू स्वाहा।।
एष विद्या माहात्म्यं च, पुरा मया प्रोक्तं ध्रुवं। शम क्रतो तु हन्त्येतान्, सर्वाश्च बलि दानवा:।। य पुमान् पठते नित्यं, एतत् स्तोत्रं नित्यात्मना। तस्य सर्वान् हि सन्ति, यत्र दृष्टि गतं विषं।। अन्य दृष्टि विषं चैव, न देयं संक्रमे ध्रुवम्। संग्रामे धारयेत्यम्बे, उत्पाता च विसंशय:।। सौभाग्यं जायते तस्य, परमं नात्र संशय:। द्रुतं सद्यं जयस्तस्य, विघ्नस्तस्य न जायते।। किमत्र बहुनोक्तेन, सर्व सौभाग्य सम्पदा। लभते नात्र सन्देहो, नान्यथा वचनं भवेत्।। ग्रहीतो यदि वा यत्नं, बालानां विविधैरपि। शीतं समुष्णतां याति, उष्ण: शीत मयो भवेत्।। नान्यथा श्रुतये विद्या, पठति कथितं मया। भोज पत्रे लिखेद् यंत्रं, गोरोचन मयेन च।। इमां विद्यां शिरो बध्वा, सर्व रक्षा करोतु मे। पुरुषस्याथवा नारी, हस्ते बध्वा विचक्षण:।। विद्रवन्ति प्रणश्यन्ति, धर्मस्तिष्ठति नित्यश:। सर्वशत्रुरधो यान्ति, शीघ्रं ते च पलायनम्।।(सम्पूर्णम्) 


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Thursday, December 19, 2019

सिरदर्द का अनुभूत आयुर्वेदिक इलाज

 सिरदर्द का अनुभूत आयुर्वेदिक  इलाज


केवल सौंफ (fennel seed) का काढा 

 सौंफ को १ ग्लास पानी में आधा होने तक उबालें और उसको छान कर उसमें १ चम्मच शहद या honey मिला लें।

अब रोजाना कम से कम इसे २ बार पियो एक बार ब्रेकफास्ट के १ घंटे बाद और शाम को भोजन (dinner) से पहले, (सिरदर्द हो रहा हो उस समय तो पीना ही है) इस से ये १ महीने में  पूर्णतया आराम(permanent, cure )होगा।
किसी भी तरह का सिरदर्द दूर होगा।

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जानें आपके लिए कैसा रहेगा दक्षिण मुखी घर Know how South home will be for you

जानें आपके लिए कैसा रहेगा दक्षिण मुखी घर Know how South home will be for you



सामान्यतया दक्षिण दिशा को घर के लिए अशुभ मानते हैं,किन्तु यदि बात दिशाओं की हो तो लगभग 20 प्रतिशत घर दक्षिण दिशा की ओर मुख वाले होते हैं।
वैसे दक्षिण दिशा को घर के लिए अशुभ माना जाता है, परन्तु वास्तुशास्त्र के अनुसार दक्षिण दिशा सभी के लिए अशुभ नहीं होती है। ज्योतिष के अनुसार कुछ राशि के जातकों को इस दिशा से लाभ भी मिलता है।

जानते हैं सभी राशियों के लिए दक्षिण मुखी घर का प्रभाव कैसा रहता है। know how the effect of Dakshin Mukhi Ghar is for all zodiac signs.


मेष राशि
मेष राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर काफी शुभ रहता है। दक्षिण मुखी घर से मेष राशि के जातकों के व्यक्तित्व में निखार आता है।
वृष राशि
वृष राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर में रहना अशुभ होता है। इस घर में रहने से आय से अधिक खर्चे होते हैं।
मिथुन राशि
मिथुन राशि के जातकों को इस दिशा में अशुभ फल प्राप्त होते हैं। इस दिशा में रहने से बीमारियां बढ़ने का खतरा रहता है।
कर्क राशि
कर्क राशि के जातकों के लिए यह दिशा काफी शुभ रहती है। इस दिशा में घर होने से मान- सम्मान में वृद्धि होती है और नौकरी में प्रमोशन भी मिल सकता है।
सिंह राशि
सिंह राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर काफी शुभ रहता है। ऐसे लोगों को एक से अधिक भवन प्राप्त होते हैं।
कन्या राशि
कन्या राशि के जातकों को ऐसे घर में रहने से बचना चाहिए। दक्षिण मुखी घर कन्या राशि के लिए अशुभ होते हैं। इन लोगों के लिए ये घर परेशानियां बढ़ा सकता है।
तुला राशि
तुला राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर सामान्य रहता है। ऐसा घर इनके लिए मध्यम परिणाम देने वाला होता है।
वृश्चिक राशि
वृश्चिक राशि के लिए दक्षिण मुखी घर शुभ परिणाम देने वाला होता है। ऐसे घर में रहने से मान- सम्मान और आत्मबल में वृद्धि होती है।
धनु राशि
धनु राशि के जातकों के लिए संतान की दृष्टि से दक्षिण मुखी घर काफी अच्छा रहता है। इस घर में रहने से संतान उच्च शिक्षा प्राप्त करता है।
मकर राशि
मकर राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर मिला-जुला परिणाम देने वाला होता है। धन संबंधी मामलों में तो लाभ होता है परंतु व्यक्ति का विकास नहीं हो पाता है।
कुंभ राशि
कुंभ राशि के जातकों के लिए दक्षिण दिशा में रहने से जीवन के संघर्ष बढ़ने लगते हैं। 
मीन राशि
मीन राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर शुभ रहता है। मीन राशि के जातकों के लिए दक्षिण मुखी घर भाग्य लेकर आता है।


सूर्य ग्रहण 2019 Solar eclipse 2019

खण्ड ग्रास /कंकणाकृति सूर्य ग्रहण-


संवत् 2076 पौष कृष्ण पक्ष 30 अमावस्या गुरुवार तारीख 26-12-2019 को होगा।
यह ग्रहण मूल नक्षत्र एवं धनु राशि मण्डल पर मान्य है, अतः इस नक्षत्र/राशि वालों को ग्रहण दर्शन नही करना चाहिए।
अपने इष्टदेव की आराधना गुरुमंत्र जप एवं धार्मिक ग्रंथों का पठन-मनन करना चाहिए।

ग्रहण का राशियों पर प्रभाव
Eclipse effects on zodiac signs


यह ग्रहण मेष,मिथुन, सिंह, वृश्चिक राशि हेतु सामान्य मध्यम फल कारक।
वृष, कन्या, धनु, मकर राशि हेतु नष्ट अशुभ फल दर्शन करना योग्य नहीं।
कर्क, तुला,कुम्भ, मीन राशि हेतु शुभफलदायी दर्शन शुभ सुखद फल।

ग्रहण का सूतक काल एवं समय
Sutak period and time of eclipse


इस  ग्रहण का सूतक यम-नियम 25-12-2019 को रात्रि 08:10 बजे से मान्य तथा ग्रहण का स्पर्श तारीख 26-12-2019 को प्रातः काल 08:10 बजे से मान्य तथा मोक्ष शुद्धि काल दिन में 10:51बजे दिन में स्पष्ट है।
ग्रहण का पर्व काल कुल दो घण्टे इकतालीस मिनट का है।

ग्रहण दृश्य कहाँ कहाँ होगा?
Where will the eclipse scene take place?


यह ग्रहण भारत में दक्षिण के कुछ क्षेत्र छोड़कर(क्योंकि दक्षिणी भारत में कंकणाकृति सूर्य ग्रहण होगा)।
पूर्वी सऊदी अरबिया,ओमान,यमन,पूर्वी इथियोपिया, सोमालिका, पूर्वी व मध्य केन्या, भारत का पूर्वी,दक्षिणी-पश्चिमी समुद्री क्षेत्र, रूस का दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र,उज्बेकिस्तान, तुर्क मेनिस्तान,इरान दुबई,अफगानिस्तान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, मंगोलिया, कोरिया, चीन,नेपाल,भूटान,म्यामांर, बांग्लादेश, मलेशिया, ब्रुनेई, फिलीपींस, इंडोनेशिया, उत्तरी, पूर्वी, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, जापान आदि में खण्डग्रास रूप में दृश्य होगा तथा भारत में पेरामबुर, मंगलुरु, पत्तूरु, कन्नूर, कोझीकोडे, बांदपुर, टाइगर रिजर्व, पलक्कड़,तिरुपुर,इरोडे, डिलिगुल, मदुराई, तिरुचिरापल्ली, तथा भारत के अतिरिक्त उत्तरी श्रीलंका,मध्य इंडोनेशिया, मलेशिया, सऊदी अरबिया का उत्तर पूर्वी क्षेत्र आदि में यह ग्रहण कंकणाकृति रूप में दृश्य होगा।

सूर्य ग्रहण का प्रभाव
Solar eclipse effect


यह सूर्य ग्रहण व्यापार, शिक्षा, धार्मिक हलचल, देश के अपराध में एवं वरिष्ठ व्यक्ति, युद्ध, अग्नि प्रकोप, ब्राह्मण, क्षत्रिय, जाति पर प्रभार सूचक,गेंहू,मक्का,ज्वार,बाजरा,चना,जौ,उड़द, मूँग, मोठ, सोना-चाँदी में तेजी आएगी।

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Saturday, December 14, 2019

पाशुपतास्त्र स्तोत्रम् Pashupatastra Stotram


चमत्कारी पाशुपतास्त्र स्तोत्र से मिलती है चारों दिशा से विजय तथा समस्त विघ्नों का नाश करता है यह स्तोत्र

इस स्तोत्र का मात्र 1 बार पाठ करने से  ही मनुष्य समस्त विघ्नों का नाश कर सकता है। 100 बार जप करने पर समस्त उत्पातों को नष्ट कर सकता है तथा युद्ध आदि में विजय प्राप्त कर सकता है। इस मंत्र का घी और गुग्गल से हवन करने से मनुष्य असाध्य कार्यों को पूर्ण कर सकता है।
इस पाशुपतास्त्र स्तोत्र के पाठ मात्र से समस्त क्लेशों का नाश हो जाता है। चारों दिशा से विजय की प्राप्ति होती है ।

                    पाशुपतास्त्र स्तोत्रम्

ॐ नमो भगवते महापाशुपतायातुलबलवीर्यपराक्रमाय त्रिपन्चनयनाय नानारुपाय नानाप्रहरणोद्यताय सर्वांगडरक्ताय भिन्नांजनचयप्रख्याय श्मशान वेतालप्रियाय सर्वविघ्ननिकृन्तन रताय सर्वसिद्धिप्रदाय भक्तानुकम्पिने असंख्यवक्त्रभुजपादाय तस्मिन् सिद्धाय वेतालवित्रासिने शाकिनीक्षोभ जनकाय व्याधिनिग्रहकारिणे पापभन्जनाय सूर्यसोमाग्नित्राय विष्णु कवचाय खडगवज्रहस्ताय यमदण्डवरुणपाशाय रूद्रशूलाय ज्वलज्जिह्राय सर्वरोगविद्रावणाय ग्रहनिग्रहकारिणे दुष्टनागक्षय कारिणे।

ॐ कृष्णपिंग्डलाय फट। हूंकारास्त्राय फट। वज्र हस्ताय फट। शक्तये फट। दण्डाय फट। यमाय फट। खडगाय फट। नैऋताय फट। वरुणाय फट। वज्राय फट। पाशाय फट। ध्वजाय फट। अंकुशाय फट। गदायै फट। कुबेराय फट। त्रिशूलाय फट। मुदगराय फट। चक्राय फट। पद्माय फट। नागास्त्राय फट। ईशानाय फट। खेटकास्त्राय फट। मुण्डाय फट। मुण्डास्त्राय फट। काड्कालास्त्राय फट। पिच्छिकास्त्राय फट। क्षुरिकास्त्राय फट। ब्रह्मास्त्राय फट। शक्त्यस्त्राय फट। गणास्त्राय फट। सिद्धास्त्राय फट। पिलिपिच्छास्त्राय फट। गंधर्वास्त्राय फट। पूर्वास्त्रायै फट। दक्षिणास्त्राय फट। वामास्त्राय फट। पश्चिमास्त्राय फट। मंत्रास्त्राय फट। शाकिन्यास्त्राय फट। योगिन्यस्त्राय फट। दण्डास्त्राय फट। महादण्डास्त्राय फट। नमोअस्त्राय फट। शिवास्त्राय फट। ईशानास्त्राय फट। पुरुषास्त्राय फट। अघोरास्त्राय फट। सद्योजातास्त्राय फट। हृदयास्त्राय फट। महास्त्राय फट। गरुडास्त्राय फट। राक्षसास्त्राय फट। दानवास्त्राय फट। क्षौ नरसिन्हास्त्राय फट। त्वष्ट्रास्त्राय फट। सर्वास्त्राय फट। नः फट। वः फट। पः फट। फः फट। मः फट। श्रीः फट। पेः फट। भूः फट। भुवः फट। स्वः फट। महः फट। जनः फट। तपः फट। सत्यं फट। सर्वलोक फट। सर्वपाताल फट। सर्वतत्व फट। सर्वप्राण फट। सर्वनाड़ी फट। सर्वकारण फट। सर्वदेव फट। ह्रीं फट। श्रीं फट। डूं फट। स्त्रुं फट। स्वां फट। लां फट। वैराग्याय फट। मायास्त्राय फट। कामास्त्राय फट। क्षेत्रपालास्त्राय फट। हुंकरास्त्राय फट। भास्करास्त्राय फट। चंद्रास्त्राय फट। विघ्नेश्वरास्त्राय फट। गौः गां फट। स्त्रों स्त्रौं फट। हौं हों फट। भ्रामय भ्रामय फट। संतापय संतापय फट। छादय छादय फट। उन्मूलय उन्मूलय फट। त्रासय त्रासय फट। संजीवय संजीवय फट। विद्रावय विद्रावय फट। सर्वदुरितं नाशय नाशय फट।
(सम्पूर्ण)

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