Wednesday, December 25, 2019

ग्रहण में करें पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जप In the eclipse chant the Panchatatva Navagraha Gayatri Mantra

ग्रहण में करें पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जपIn the eclipse chant the Panchatatva Navagraha Gayatri Mantra


ग्रहण के दौरान इष्टदेव की आराधना, गुरुमंत्र जप एवं धार्मिक ग्रंथों का पठन-मनन करने का निर्देश दिया गया है।इस समय किया गया जप- मंत्रादि की सिद्धि हो जाती है।
कलयुग में पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री ही आधार है,अतः ग्रहण काल में पंचतत्त्व नवग्रह गायत्री मंत्र जप करें।
सर्वप्रथम तीन बार प्रार्थना करें,

                     प्रार्थना:-"किसी भी काल मे जाने अनजाने हमसे या हमारे पूर्वजों से कोई गलती हुई हो उसे क्षमा करे हमारी आर्थिक स्थिति सही करे पूरे परिवार को स्वस्थ करे हमे श्राप मुक्त करे हमे ऋण मुक्त करे"
तत्पश्चात पञ्च तत्वक्रमानुसार  प्रत्येक गायत्री मंत्र,सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय,विष्णु गायत्री पढ़े।तथा उद्देश्य विशेष की पूर्ति हेतु 108 बार पढ़े।
पंचतत्व नवग्रह गायत्री मन्त्र


प्रथम् वायु तत्व
               राहु गायत्री 
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि; तन्नः राहुः प्रचोदयात् ।
                केतु गायत्री
ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि, तन्नः केतुः प्रचोदयात् ।
                    शनि गायत्री
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ।


द्वितीय जल तत्व
                    चन्द्र गायत्री
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि, तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ।
                   शुक्र गायत्री
ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ।


तृतीय अग्नि तत्व


                   भौम गायत्री 
ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।                                     सूर्य गायत्री ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।
                  चतुर्थ पृथ्वी तत्व


                   बुध गायत्री

ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्,।
                पञ्चम आकाश तत्व


                      गुरू गायत्री

ॐ आङ्गिरसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहि, तन्नो जीवः प्रचोदयात्।
                    सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय


ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।                               विष्णु गायत्री
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।


इससे सभी ग्रहों का दुष्प्रभाव समाप्त होकर शुभ फलों में वृद्धि होगी, नए साल 2020 में बेहतर परिणाम मिलेंगे और आपकी आय में भी वृद्धि होगी, घर में सुख-शांति का वास होगा,तथा मान- सम्मान में वृद्धि होती है, प्रमोशनअर्थात उन्नति के अवसर प्राप्त होते हैं ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है इस तरह सभी ग्रह आपकी मदद करते हैं आपकी सारी परेशानियां दूर होती हैं।

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