Monday, March 30, 2020

अथ सप्तश्‍लोकी दुर्गा Atha Saptashloki Durga

अथ सप्तश्‍लोकी दुर्गा



॥शिव उवाच॥

देवि त्वं भक्तसुलभे सर्वकार्यविधायिनी।
कलौ हि कार्यसिद्ध्यर्थमुपायं ब्रूहि यत्नतः॥

॥देव्युवाच॥
श्रृणु देव प्रवक्ष्यामि कलौ सर्वेष्टसाधनम्‌।
मया तवैव स्नेहेनाप्यम्बास्तुतिः प्रकाश्यते॥

॥विनियोगः॥
ॐ अस्य श्रीदुर्गासप्तश्‍लोकीस्तोत्रमन्त्रस्य नारायण ऋषिः,
अनुष्टुप्‌ छन्दः, श्रीमहाकालीमहालक्ष्मीमहासरस्वत्यो देवताः,
श्रीदुर्गाप्रीत्यर्थं सप्तश्‍लोकीदुर्गापाठे विनियोगः।


ॐ ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।

बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति॥1॥


दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः

स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्‌यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता॥2॥


सर्वमङ्गलमङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।

शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते॥3॥


शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।

सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते॥4॥


सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।

भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते॥5॥


रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रूष्टा तु कामान्‌ सकलानभीष्टान्‌।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति॥6॥


सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्‍वरि।

एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्‌॥7॥


।।इति श्रीसप्तश्‍लोकी दुर्गा।।


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Friday, March 27, 2020

मन्त्रों के दस संस्कार Ten rites of mantras

             मन्त्रों के दस संस्कार 
           Ten rites of mantras

कोई भी मन्त्र छिन्न,रुद्ध, शक्तिहीन, पराङ्मुख, आदि पचास दोषों से बच नहीं सकता।सप्तकोटि मन्त्र हैं, सभी इन दोषों में किसी न किसी दोष से दृष्ट पाये जाते हैं।इन दोषों की निवृत्ति के लिए मन्त्र के निम्नलिखित दस संस्कार करने चाहिए--
1-जनन, 2-दीपन, 3-बोधन, 4-ताडन, 5-अभिषेक, 6-विमलीकरण, 7-जीवन, 8-तर्पण, 9-गोपन और 10-आप्यायन।
जो इन दोषों को जाने बिना जप करता है, उसे सिद्धि नही प्राप्त होती है-

दोषानिमानविज्ञाय यो मन्त्रान् भजते जड:। सिद्धिर्न जायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ।।


1-जनन संस्कार :-भोजपत्र पर गोरोचन, चन्दन, कुमकुम आदि से आत्माभिमुख  त्रिकोण लिखें। फिर तीनों कोणों में छः-छः समान रेखायें खीचें। ऐसा करने से 49 त्रिकोण कोष्ठ बनेंगे, उनमें ईशान कोण से क्रमशः मातृका वर्ण लिखें। फिर देवता को आवाहन-पूजन करके मंत्र के एक-एक वर्ण का उद्धार करके अलग पत्र पर लिखें। ऐसा करने पर "जनन" नामक प्रथम संस्कार होगा।


2- दीपन संस्कारः- ’हंस’ मंत्र से सम्पुटित करके एक हजार बार मंत्र का जप करना चाहिए।यथा-'हंसः रामाय नमः सोहम।'

3- बोधन संस्कारः ’ ह्रूँ 'बीज मंत्र से सम्पुटित करके पाँच हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
यथा-" ह्रूँ रामाय नमः ह्रूँ।'

4- 'फट्' सम्पुटित मन्त्र का एक हजार  जप करने से ' ताडन' नामक चतुर्थ संस्कार होता है।
यथा-'फट् रामाय नमः फट्।'

5- अभिषेक संस्कार:- मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर
 ’ रों हंसः ॐ’ इस मंत्र से अभिमंत्रित करें, तत्पश्चात एक हजार बार जप करते हुए जल से अश्वत्थपत्रादि द्वारा मंत्र का अभिषेक करें।

6- विमलीकरण संस्कारः- ’ ओं त्रों वषट्' इन वर्णों से सम्पुटित  मन्त्र का एक हजार बार  जप करने से विमलीकरण नामक छठा संस्कार होता है।यथा-' ओं त्रों वषट् रामाय नमः वषट् त्रों ओं।'

7- स्वधा-वषट्- सम्पुटित मूलमन्त्र का एक हजार जप करने से' ' जीवन ' नामक सातवाँ संस्कार होता है।यथा-' स्वधा वषट् रामाय नमः वषट् स्वधा।'

8- तर्पण संस्कार:-  मूल मंत्र से दुग्ध ,जल और घृत द्वारा सौ बार तर्पण करना चाहिए।

9- गोपन संस्कार:- मंत्र को ’ ह्रीं ’ बीज से सम्पुटित करके एक हजार बार जप करना चाहिए।यथा-' ह्रीं रामाय नमः ह्रीं।'

10- आप्यायन संस्कार:- ह्रौं -बीज-सम्पुटित एक हजार जप करने से 'आप्यायन ' नामक दसवाँ संस्कार होता है।यथा- ' ह्रौं रामाय नमः ह्रौं।'
इस प्रकार संस्कृत किया हुआ मन्त्र शीघ्र सिद्धिप्रद होता है।

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कूर्मचक्र Koormchakra

कूर्मचक्र Koormchakra


कूर्मचक्र (दीप स्थान) निर्णय के बारे में कहा गया है-
' दीपस्थानं समाश्रित्य कृतं कर्म फलप्रदम्। '

जिस स्थान में, क्षेत्र में, नगर में वा गृह में पुरश्चरण करना हो, उसके नौ समान भाग कल्पना करके मध्यभाग में स्वर लिखे और पूर्वादि क्रमसे कवर्गादि लिखे, ईशानकोण में ल, क्ष लिखे, यथा-

जिस कोष्ठ में क्षेत्र का पहला अक्षर हो, उस कोष्ठ को मुख समझना चाहिए।उसके दोनों ओर के दो कोष्ठ भुजा, फिर दोनों ओर के दो कोष्ठ कुक्षि, फिर दोनों ओर के दो कोष्ठ पैर, शेष कोष्ठ पुच्छ समझने चाहिए।
मुखस्थान में जप करने से सिद्धि प्राप्त होती है, भुजा में स्वल्पजीवन, कुक्षि में उदासीनता, पैरों में दुःख और पुच्छ में वध-बन्धनादि पीड़ा होती है।

कूर्म जयंती का महत्व
Importance of Koorm Jayanti


वैशाख मास की पूर्णिमा को कूर्म जयन्ती मनाई जाती है।इसी दिन भगवान विष्णु जी ने कूर्म का रूप धारण किया था।
शास्त्रों में इस दिन की बहुत महत्ता बताई गई है इस दिन से निर्माण संबंधी कार्य शुरू किया जाना बेहद शुभ माना जाता है, क्योंकि योगमाया स्वरूपा बगलामुखी स्तम्भन शक्ति के साथ कूर्म में निवास करती है।
कूर्म जयंती के अवसर पर वास्तु दोष दूर किए ज सकते हैं, नया घर भूमि आदि के पूजन के लिए यह सबसे उत्तम समय होता है तथा बुरे वास्तु को शुभ में बदला जा सकता है।

श्री कूर्म भगवान मन्त्र

ॐ श्रीं कूर्माय नम:।


श्री कूर्म के कुछ अद्भुत व सरल  प्रयोग
Some amazing and simple experiments of Shri Koorm


1- महावास्तु दोष निवारक मंत्र

किसी कारण वश यदि आपका घर/निवास स्थान वास्तु के अनुसार न बना हो
तो केवल वास्तु मंत्र का जाप एवं कूर्म देवता की पूजा करनी चाहिए।यथा-

सबसे पहले लाल चन्दन और केसर कुमकुम आदि से एक पवित्र स्थान पर कछुए की पूर्वाभिमुख आकृति बना लेँ।
कछुए के मुख की ओर सूर्य तथा पूछ की ओर चन्द्रमा बना लेँ।
सुविधानुसार आप धातु का बना कछुआ भी पूजन हेतु प्रयुक्त कर सकते हैं।
फिर धूप दीप फल ओर गंगाजल या समुद्र का जल अर्पित करें।
भूमि पर ही आसन बिछ कर रुद्राक्ष माला से 11 माला मंत्र का जाप करें।

मंत्र- ॐ ह्रीं कूर्माय वास्तु पुरुषाय नमः।।

जप पूरा होने के बाद घर अथवा निवास स्थान के चारों ओर एक एक कछुए का छोटा निशान बना दें।
ऐसा करने से पूरी तरह वास्तु दोष से ग्रसित घर भी दोष मुक्त हो जाता है दिशाएं नकारात्मक प्रभाव नहीं दे पाती और उर्जा परिवर्तित हो जाती है।

2-वास्तु दोष निवारक महायंत्र

यदि आप ऐसी हालत में भी नहीं हैं कि पूजा पाठ या मंत्र का जाप कर सकें और आप नकारात्मक वास्तु के कारण बेहद परेशान है
घर दूकान या आफिस को बिना तोड़े फोड़े सुधारना चाहते हैं तो उसका दिव्य उपाय है महायंत्र
वास्तु का प्रभावी यन्त्र
----------------------------------
121 177 944
----------------------------------
533 291 311
----------------------------------
657 111 312
----------------------------------
यन्त्र को आप सादे कागज़ भोजपत्र या ताम्बे चाँदी अष्टधातु पर बनवा सकते हैं
यन्त्र के बन जाने पर यन्त्र की प्राण प्रतिष्ठा करनी चाहिए
प्राण प्रतिष्ठा के लिए पुष्प धूप दीप अक्षत आदि ले कर यन्त्र को अर्पित करें
पंचामृत से सनान कराते हुये या छींटे देते हुये 21 बार मंत्र का उच्चारण करें

मंत्र-ॐ आं ह्रीं क्रों कूर्मासनाय नम:

अब पीले रंग या भगवे रंग के वस्त्र में लपेट कर इस यन्त्र को घर दूकान या कार्यालय में स्थापित कर दीजिये

पुष्प माला अवश्य अर्पित करें
इस प्रयोग से शीघ्र ही वास्तु दोष हट जाएगा।

3-तनाव मुक्ति हेतु

चांदी के गिलास बर्तन या पात्र पर कछुए का चिन्ह बना कर भोजन करने व पानी पीने से भारी से भारी तनाव नष्ट होता है ।

4- उत्तम स्वास्थ्य हेतु

बेड अथवा शयन कक्ष में धातु का कूर्म अर्थात कछुआ रखने से गहरी और सुखद निद्रा आती है जो स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी होती है ।

रसोई घर में कूर्म की स्थापना करने से वहां पकने वाला भोजन रोगमुक्ति के गुण लिए भक्त को स्वास्थ्य लाभ पहुंचाता है ।

5- कूर्म श्री यन्त्र

कछुवे की पीठ पर श्री यन्त्र समतल अथवा पिरामिड आकार में प्रायः देखने को मिल जाता है।
आध्यात्मिक दृष्टि से जहां ये काम, क्रोध, लोभ, मोह का शमन कर कुंडली जागरण द्वारा मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। वहीं दूसरी ओर भौतिक सुखों की चाह रखने वालों के लिए ये स्थिर लक्ष्मी, सम्पदा, सौख्य और विजय देने का भी प्रतीक माना जाता है।

6- नए भवन निर्माण में समृद्धि हेतु

नए भवन निर्माण के समय आधार में चाँदी का कछुआ ड़ाल देने से घर में रहने वाला परिवार खूब फलता-फूलता है ।

7-  शिक्षा में स्थिर चित्त हेतु

बच्चों को विद्या लाभ व राजकीय लाभ मिले इसके लिए उनसे कूर्म की उपासना करवानी चाहिए तथा मिटटी के कछुए उनके कक्ष में स्थापित करें ।

8- विवाद विजय में

यदि आपका घर किसी विवाद में पड़ गया हो या घर का संपत्ति का विवाद कोर्ट कचहरी तक पहुँच गया हो तो लोहे का कूर्म बना कर शनि मंदिर में दान करना चाहिए ।

9- शत्रु मुक्ति

घर की छत में कूर्म की स्थापना से शत्रु नाश होता है उनपर विजय मिलती है।

10- भूमि दोष नाशक मंत्र उपाय

यदि आपका घर या जमीन ऐसी जगह है जहाँ भूमि में ही दोष है।आपका घर किसी श्मशान ,कब्रगाह ,दुर्घटना स्थल या युद्ध भूमि पर बना है या कोई अशुभ साया या कोई अशुभ तत्व स्थान में समाहित हों।
जिस कारण सदा भय कलह हानि रोग तनाव बना रहता हो तो जमीन में मिटटी के कूर्म की स्थापना करनी चाहिए
एक मिटटी का कछुआ ले कर उसका पूजन करें।
पूजन के लिए घर के ब्रह्मस्थल में भूमि पर लाल वस्त्र बिछा लेँ
फिर गंगाजल से स्नान करवा कर कुमकुम से तिलक करें।
पंचोपचार पूजा करें अर्थात धूप दीप जल वस्त्र फल अर्पित करें चने का प्रसाद बनाये व बांटे।

7 माला मंत्र जप पूर्वाभिमुख होकर करें।

मंत्र-ॐ आधार पुरुषाय जाग्रय-जाग्रय तर्पयामि स्वाहा।

साथ ही एक माला पूरी होने पर एक बार कछुए पर पानी छिड़कें

संध्या के समय भूमि में तीन फिट गढ्ढा कर गाड़ दें।
समस्त भूमि दोष दूर होंगे

11- अदृश्य शक्ति नाशक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके घर में कोई अदृश्य शक्ति है ,किसी तरह की कोई बाधा है तो कूर्म की पूजा कर उसे मौली बाँध दें ,लाल कपडे में बंद कर धूप दीप करें , निम्न मन्त्र का 11 माला जप करें

मंत्र-ॐ हां ग्रीं कूर्मासने बाधाम नाशय नाशय ।

रात के समय इसे द्वार पर रखे तथा सुबह नदी में प्रवाहित कर दें
इससे घर में शीघ्र शांति हो जायेगी।

12- भूमि भवन सुख दायक प्रयोग

यदि आपको लगता है कि आपके पास ही घर क्यों नहीं है? आपके पास ही संपत्ति क्यों नहीं है?
क्या इतनी बड़ी दुनिया में आपको थोड़ी सी जगह मिलेगी भी या नहीं ? तो इसके लिए केवल कूर्म स्वरुप विष्णु जी की पूजा कीजिये

विष्णु जी की प्रतिमा के सामने कूर्म की प्रतिमा रखें या कागज पर बना कर स्थापित करें
इस कछुए के नीचे नौ बार नौ का अंक लिख दें
भगवान् को पीले फल व पीले वस्त्र चढ़ाएं
तुलसी दल कूर्म पर रखें और पुष्प अर्पित कर भगवान् की आरती करें
आरती के बाद प्रसाद बांटे व कूर्म को ले जा कर किसी अलमारी आदि में छुपा कर रख लेँ
इस प्रयोग से भूमि संपत्ति भवन के योग रहित जातक को भी इनका सुख प्राप्त होता है।

13- वास्तु स्थापन प्रयोग

यदि आपका दरवाजा खिड़की कमरा रसोई घर सही दिशा में नहीं हैं तो उनको तोड़ने की बजाये
उनपर कछुए का निशान इस तरह से बनाये कि कछुए का मुख नीचे जमीन की ओर हो और पूंछ आकाश की ओर।
ये प्रयोग शाम को गोधुली की बेला में करना चाहिए।
कछुए को रक्त चन्दन ,कुमकुम ,केसर के मिश्रण से बनी स्याही से बनाएं।
कछुए का निर्माण करते समय मानसिक मंत्र का जाप करते रहें
मंत्र-ॐ कूर्मासनाय नम:
कछुया बन जाने पर धूप दीप कर गंगा जल के छीटे दें।
और धूप दिखाएँ।
इस तरह प्रयोग करने से गलत दिशा में बने द्वार खिड़की कक्ष आदि को तोड़ने की आवश्यकता नहीं होती ऐसा विद्वानों का कथन है।

14- व्यापार वृद्धि हेतु


अष्टधातु या चाँदी से निर्मित कूर्म विधिवत पूजन कर अपने कैश काउंटर या मेज पर इस प्रकार रखें की उसका मुख बाहर प्रवेश द्वार की ओर रहे। आने जाने वाले सभी लोगों की नज़र उस पर पड़े।

Thursday, March 19, 2020

Astrology and Epidemic ज्योतिष और महामारी

ज्योतिष और महामारी

Astrology and Epidemic
(महामारियों का आध्यात्मिक उपचार)
 (spiritual treatment of epidemics)



एक माहमारी (Corona Virus) एक भयावह नाम जिसने  लगभग पूरी दुनिया को तबाही की ओर अग्रसर कर दिया है।

एक ऐसी महामारी जो लोगों के संपर्क से या छुआछूत से फैलती है।जिसकी वजह से आज अनेकों देशों मे बंदी का माहौल छा गया है,रोजाना अरबों रुपये का व्यापार ठप पड़ गया है।अभी इसका कोई इलाज किसी भी देश के पास नहीं है, और स्थिति जटिल होती जा रही है।

ऐसा क्यों प्रतीत होता है कि जितने ज्यादा संसाधन उपलब्ध हैं उतनी ही जटिलताओं का दौर शुरू हो गया है?
अगर हम ध्यान से देखें तो स्पष्ट होता है कि नवरात्रि पर्व के आसपास ऋतु परिवर्तन का दौर आता है और इसी समय अनेकों रोग महामारी या लाइलाज बीमारी के रूप में उत्पन्न हो जाती हैं।जो कुछ समय तक सीमित रहती हैं और फिर अपने आप समाप्त हो जाती हैं, लेकिन वो जाते जाते मानव जीवन में अपनी छाप छोड़ जाती हैं।
जैसे इस समय कोरोना नाम की महामारी ने  तबाही मचा रखी है।
क्या वास्तव में इसका कोई इलाज नहीं है?

ज्योतिष और महामारी 


अगर हम बात करते हैं ग्रहों की तो  ऐसे रोग जिनका निदान कठिन हो या महामारी को फैलाने का काम राहु का है और केतु ग्रह उसको जन्म देता है,यह लाइलाज बीमारी, और अनजाने कारण से होने वाली बीमारियों का प्रमुख कारण है।
अब ये दोनों ग्रह इस समय बुध और गुरु के घरों में विद्यमान हैं, 
जुकाम,अस्थमा, कफ रोग,गले की समस्याएं चन्द्र ग्रह के कारण होती हैं इनमे कफ रोगों में गुरु और शुक्र ग्रह भी  शामिल हैं।तथा गले की समस्या में बुध ग्रह का भी साथ होता है।
शनि निरर्थक भय का कारक होता है।सूर्य रोग प्रतिरोधक क्षमता का प्रमुख कारक ग्रह है।

 

महामारियोंका आध्यात्मिक उपचार


अतः पंचतत्व और नवग्रह गायत्री मंत्र जप के द्वारा  हम अपने साथ सभी का कल्याण कर सकते हैं।इसके लिए एक एक माला नवग्रह गायत्री मन्त्र, संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र फिर सूर्य गायत्री पुनः संजीवनी महामृत्युंजय मंत्र का जप करें और सबसे बाद में विष्णु गायत्री मंत्र जप करें।

ऐसा प्रत्येक व्यक्ति दिन में तीन बार करे।यदि सम्भव न हो तो सुबह शाम करें।
सम्भव हो तो हवन भी करें।
प्रतिदिन प्रातःकाल और सायंकाल में एक जोड़ा लौंग और कपूर जलाएं।
तथा अन्य लोगों को इसके लिए प्रेरित करें।
इससे सभी प्रकार की महामारियों पर विजय प्राप्त की जा सकती है।

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