Sunday, July 31, 2011

दिन-रात्रि व्यवस्थासूत्र din-raatri vyavasthaasootra

प्रातः संध्याकाल-अर्ध सूर्यबिम्ब सूर्योदय से ३ घटी तक:
सायं संध्याकाल-सूर्यास्त से ३ घटी तक:
प्रदोषवेला अर्धबिम्ब-सूर्यास्त से लेकर६ घटी तक:
महानिशा वा निशीथ-अर्ध रात्रि के मध्य की २ घटी:
ब्रम्हमुहूर्त उषःकाल-सूर्योदय से ५ घटी पहले:
अरुणोदयवेला-सूर्योदय से३ घटी पहले:

नवरात्र काल navaraatr kaal

'दिन'काल के उस विभाग को कहते हैं,जिसमे इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों पर लगी रहती हैं और'रात' उस विभाग को कहते हैं,जिस समय इन्द्रियाँ अपने-अपने विषयों से निवृत्त होकर अंतर्मुखी हो जाती हैं: इसलिये इस काल को'नवरात्र' कहा है:   

Thursday, July 28, 2011

मंगलाचरण

           श्री गणेशाय नमः
शुक्लाम्बरधरं देवं शशिवर्णं चतुर्भुजम
प्रसन्नवदनं ध्यायेत्सर्वविघ्नोपशान्तये

Saturday, July 16, 2011

प्रथम प्रविष्टि

सुप्रभातम
यह मेरा प्रथम उद्धरण है

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...