Tuesday, May 10, 2022

क्या होता है वर और कन्या का अष्टकूट मिलान, और विवाह के लिए क्यों है जरूरी।gun milan।ashtkoot milan

क्या होता है वर और कन्या का अष्टकूट मिलान, और विवाह के लिए क्यों है जरूरी?



हमारे हिन्दू धर्म में जब किसी के विवाह प्रस्ताव की बात आती है तो सबसे पहले दोनों की जन्मकुण्डली का मिलान किया जाता है।इसमें मुख्यतः आठ विषयों का समावेश किया गया है इससे इसे अष्टकूट मिलान या मेलापक कहा जाता है। ताकि वर वधू का आने वाला जीवन सुख-पूर्वक व्यतीत हो सके।


आइए जानते हैं कि वो आठ विषय कौन से हैं?

1-वर्ण- इसमें राशि के अनुसार वर्ण का मिलान किया जाता है। वर और कन्या के वर्ण से उच्चस्तरीय या फिर समान वर्ण होने पर, एक गुण मिलता है। यह व्यक्ति की मानसिक अभिरुचियों से संबंधित होता है।

2-वश्य- इसें वर और वधू की राशियों के आधार पर आकलन किया जाता है। यह वर और वधू के भावनात्मक संबंध को दर्शाता है।

3-तारा- इसमें वर और वधू को जन्म नक्षत्रों की गणना करके मिलान किया जाता है। इसका संबंध भाग्योदय से होता है।

4-योनि- जब कोई भी मनुष्य जन्म लेता है तो वह किसी न किसी योनि में आता है। इन योनियों को अश्व, श्वान, गज आदि जीवों से जोड़ा जाता है। इनकी गणना जन्म नक्षत्र के आधार पर की जाती है। कुछ योनियों को एक दूसरे का परम शत्रु माना गया है। इसे वर और कन्या के आपसी तालमेल से जोड़कर देखा जाता है। 

5-ग्रहमैत्रीइसमें वर-वधू की चन्द्र राशियों के स्वामी ग्रहों का मिलान किया जाता है। यदि चन्द्र राशियों के स्वामी मित्र न हो तो विचारों में भिन्नता रहती है, जिसके कारण क्लेश की स्थिति उत्पन्न हो सकती है। इसके आधार पर आपसी विश्वास और सहयोग की स्थिति का आकलन किया जाता है।

6-गण- जन्म नक्षत्र के आधार पर तीन तरह के गण बताए गए हैं जिसमें देव गण, मनुष्य गण और राक्षस गण बताया गया है। यदि वर और कन्या का गण एक ही है तो इस बहुत शुभ माना जाता है। देव गण और मनुष्य गण को समान माना जाता है। यदि दोनों में से किसी का देव गण और किसी का राक्षस गण हो तो इसे शुभ नहीं माना जाता है। इसके आधार पर आने वाले जीवन में कुटुम्ब के साथ संबंध और सामंजस्य का आकलन किया जाता है।

7-भकूटभकूट मिलान को बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। इसमें वर और कन्या की कुण्डली में परस्पर चन्द्रमा की स्थिति का आकलन किया जाता है। यदि यह मिलान सही प्रकार से न किया जाए तो दाम्पत्य जीवन में मधुरता और प्रेम की कमी रहती है इसके साथ ही जीवन में किसी न किसी प्रकार से परेशानियां आती रहती हैं। 

8-नाड़ी- व्यक्ति के जन्म नक्षत्र के आधार पर नाड़ी का तीन तरह से वर्गीकरण किया गया है। मध्य, आदि और अन्त्य नाड़ी। वर और वधू की नाड़ी एक नहीं होनी चाहिए। इसे संतान प्राप्ति और स्वास्थ्य से जोड़कर देखा जाता है।

इन आठ बातों के आधार पर भलि-भांति विचार करके वर और वधू के आने वाले जीवन के बारे में आकलन किया जाता है। इन सभी के अंको का कुल योग 36 होता है यदि इसमें से 18 या फिर उससे ज्यादा गुण मिलते हैं तभी विवाह शुभ माना जाता है। 

इसके अलावा भी अन्य बातें जैसे-मङ्गल दोष,वर -वधू के पारस्परिक ग्रहों की स्थितियां, आयुष्य,सन्तान,कार्यक्षेत्र,भाग्य आदि का विचार कर लेना चाहिए।

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Wednesday, May 4, 2022

Surya evam chandra grahan 2022 सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण

सूर्य एवं चन्द्र ग्रहण 2022

2 अप्रैल 2022 से 1 अप्रैल 2023 तक विक्रम संवत 2079 में समस्त भूमंडल पर दो ग्रह सूर्य के हमें तथा दो चंद्र ग्रहण होंगे भारतीय भूभाग पर दिनांक 25 अगस्त 2022 कार्तिक कृष्ण अमावस्या मंगलवार में होने वाला खंडग्रास सूर्यग्रहण तथा 8 नवंबर 2022 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार में होने वाले खग्रास चंद्रग्रहण को भारत में देखा जा सकेगा तथा 30 अप्रैल 2022 का सूर्य ग्रहण तथा 16 मई 2022 का चंद्रग्रहण केवल विदेशों में दिखाई देंगे।

भारत में अदृश्य ग्रहण हेतु वेध-सूतक-स्नान- दान पुण्य-कर्म-यम-नियम एवं जप अनुष्ठान हेतु मान्यता नहीं होगी इस विषयक धर्मशास्त्रीय वचन विशेष यह कि-

।। द्विपान्तरे ग्रहण सत्त्वे?पिदर्शन योग्यत्वायान्नपुण्यकाल:।।

विदेशों में खण्डग्रास सूर्यग्रहण

तारीख 30 अप्रैल 2022 वैशाख कृष्ण अमावस्या शनिवार की रात्रि 24 बजकर 16 मिनट से 1 मई 2022 रविवार को सुबह 4 बजकर। 8 मिनट तक खंडग्रास सूर्यग्रहण होगा।भारत में ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष के समय रात्रि रहेगी, इससे यह ग्रहण भारत में दृश्य नही होगा।अतः इसके किसी भी प्रकार के सूतक-पातक दोष मान्य नही होंगें।



विदेशों में खग्रास चन्द्रग्रहण

तारीख 16 मई 2022 वैशाख शुक्ल पूर्णिमा सोमवार को प्रातः 7  बज कर 58 मिनट से 11 बज कर 25 मिनट तक चंद्र ग्रहण होगा।

यह ग्रहण प्रातः 8:59 से 10:24 तक खग्रास रूप में विदेशों में दिखाई देगा।

इस ग्रहण को पश्चिमी यूरोप, मध्य पूर्व अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका के अर्जेंटीना, बोलिविया, चिली, पेरू, ब्राजील, अंटार्कटिका, अटलांटिक सागर, पेसिफिक सागर, मेडागास्कर, केन्या, इथोपिया, इजिप्ट, सूडान, बुल्गारिया, रोमानिया, पोलैंड, जर्मनी, नार्वे, न्यूजीलैंड, फिजी, उत्तरी पेसिफिक सागर, कनाडा, मैक्सिको और पश्चिम-पूर्व अलास्का आदि से देखा जा सकेगा।

नोट-भारत में ग्रहण के स्पर्श और मोक्ष का समय दिन में रहेगा इससे यह ग्रहण भी भारत में दृश्य नही होगा।अतः इसके किसी भी प्रकार के सूतक आदि दोष मान्य नहीं होंगें।


भारत में दृश्य खण्डग्रास सूर्यग्रहण


तारीख 25 अक्टूबर 2022 कार्तिक कृष्ण अमावस्या मंगलवार को दिन में 14 बजकर 29 मिनट से सूर्य को ग्रहण लगना प्रारंभ हो जाएगा जिसकी समाप्ति सायं 18 बजकर 32 मिनट पर होगी यह ग्रहण भारत के अधिकांश भाग में दिखाई देगा,किन्तु अंडमान निकोबार द्वीपसमूह और पूर्वोत्तर के कुछ भागों जैसे आइजॉल, डिवुगढ़, इम्फाल, ईंटानगर,कोहिमा, शिवसागर, सिलचर, तमेलांग में यह ग्रहण नही देखा जा सकेगा।

यह ग्रहण भारत सहित ग्रीनलैंड के पूर्व, स्वीडन, नार्वे, यूनाइटेड किंगडम, फ्रांस, जर्मनी, स्पेन, यमन,ओमान,सऊदी अरेबिया, इजिप्ट, इटली, पोलैंड, रोमानिया, ऑस्ट्रिया, ग्रीस,टर्की,ईराक, ईरान,पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उत्तरी एवं पश्चिमी ,मॉस्को, पश्चिमी रूस,नेपाल, भूटान आदि में खण्डग्रास के रूप में दृश्य होगा।


सूतक- तारीख 25 अक्टूबर को प्रातः 4 बजकर 29 मिनट से ही सूतक की शुरुआत हो जाएगी। सूतक में भोजन बनाना और ग्रहण करना निषेध माना गया है। इसमें आसक्त, रोगग्रस्त, असमर्थजनों को प्रतिबंधित नहीं किया गया है। अन्नकूट गोवर्धन पूजा निषेध कहीं जाएगी क्योंकि सूत्रों में ठाकुर जी के लिए पकवान नहीं बनेंगे और ना ही भगवान को भोग लगेगा तारीख 25 अक्टूबर मंगलवार में सभी देवी स्थानों के पट बंद रहेंगे ध्यान रहे भारत में ग्रहण पढ़ते पढ़ते ही सूर्य अस्त हो जाएंगे तो अग्रिम दिन बुधवार को सूर्य दर्शन के उपरांत स्नान करके ही शुद्ध को की निवृत्ति होगी।

ग्रहण फल-मेष,मिथुन,कन्या, कुम्भ राशि के लिए सामान्य मध्यम फल कारक।

वृषभ,सिंह,धनु,मकर के लिए शुभ सुखद फल कारक।

कर्क,तुला,वृश्चिक,मीन के लिए नेष्ट अशुभ फल कारक होगा।


भारत में दृश्य खग्रास चन्द्रग्रहण


तारीख 8 नवंबर 2022 कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा मंगलवार में खग्रास चंद्रग्रहण 14:39 बजे से 18:19 बजे तक रहेगा। बिहार, बंगाल, उड़ीसा, तथा पूर्वोत्तर भारत में खग्रास रूप में तथा शेष भारत से खण्डग्रास रूप में ही चंद्रोदय के समय पर ग्रसा हुआ दिखाई देगा।

इस ग्रहण को भारत के साथ-साथ उत्तरी अमेरिका, दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, एशिया, उत्तरी अटलांटिक सागर, पेसिफिक सागर, पश्चिमी अर्जेंटीना, चीली, बोलीविया, पश्चिम ब्राजील, चीन, पूर्वीरूस, भूटान, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, श्रीलंका, म्यांमार, फिजी, थाईलैंड, जापान आदि देशों से भी देखा जा सकेगा।


सूतक- 8 नवंबर 2022 मंगलवार को प्रातः 8 बजकर 29 मिनट से सूतक प्रारंभ हो जाएगा। सूतक में बाल, वृद्ध, रोगी, आसक्तजनों को छोड़कर अन्य किसी को भोजन शयनादि नहीं करना चाहिए।

ध्यान रहे-उदर में जिन स्त्रियों के शिशु पल रहे हों, उन्हें ग्रहणजन्य सूतक दोष के समय धारदार चाकू, छुरी से फल सब्जी इत्यादि नहीं काटने चाहिए।शयनादि से बचें।


ग्रहण फल-मेष,वृषभ,कन्या,मकर के लिए नेष्ट अशुभ फलकारक।

मिथुन, कर्क,वृश्चिक, कुम्भ के लिए शुभ सुखद फलकारक।

सिंह,तुला,धनु,मीन के लिए सामान्य मध्यम फलकारक होगा।


अरिष्ट ग्रहण फल निवारणार्थ दानादि उपाय


स्वर्ण निर्मित सर्प कांसे के बर्तन में तिल, वस्त्र, एवं दक्षिणा के साथ श्रोत्रिय ब्राह्मण को दान करना चाहिए अथवा अपनी शक्ति के अनुसार सोने या चांदी का ग्रह बिम्ब बनाकर ग्रहण जनित दुष्ट फल निवारण हेतु दान करना चाहिए।

मन्त्र-तमोमयमहाभीम सोम सूर्य विमर्दन हेमनाग प्रदानेन मम शान्तिप्रदो भव।

विधुन्तुद नमस्तुभ्यं सिंघाकानंदनाच्युतां दानेनानेन नागस्य रक्षमां वेधनाद्भयात।।

ग्रहण जनित दुष्ट फल निवारण के लिए गौ, भूमि, तथा स्वर्ण का दान दैवज्ञ के लिए करना चाहिए। जिस राशि के लिए ग्रहण अरिष्ट हो उन्हें ग्रहण नहीं देखना चाहिए।

सूर्य ग्रहण में गंगा, पुण्यप्रयाग, पुष्कर अथवा कुरुक्षेत्र में स्नान करना महापुण्यदायी होता है।

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