वीर्य - रक्षा के अमोघ उपाय
८० ग्राम आंवला चूर्ण
२० ग्राम हल्दी चूर्ण का मिश्रण बना लो।
सुबह - शाम तीन - तीन ग्राम फांकने से ८-१० दिनों में ...ही शरीर में वर्ण , चेहरे में मुहासे या विस्फोट , नेत्रों के चत्रुदिक नीली रेखाएं,दुर्बलता, निद्रालुता , आलस्य ,उदासी , ह्रदय कंप ,निद्रा में मूत्र निकल जाना ,मानसिक अस्थिरता ,विचार शक्ति का अभाव ,दुश्वप्न ,स्वप्न दोष व मानसिक अशांति ।
उपरोक्त सभी रोगों को मिटाने का इलाज ब्रह्मचर्य है ।
"ॐ अर्यमाये नम:" मन्त्र ब्रह्मचर्य के लिए बड़ा महत्त्व पूर्ण है।
स्थल बस्ती- सवासन मे लेटकर स्वास बाहर निकालें और अश्विनी मुद्रा अर्थात गुदा द्वार का आकुचन -प्रसरण स्वास बाहर ही रोक कर करें ।ऐसे एक बार में ३०-३५ आकुंचन-प्रसरण करें ! तीन - चार बार स्वास रोकने में १००- १२० बार यह क्रिया हो जायेगी ।
यह ब्रह्मचर्य की रक्षा में खूब- खूब मदद करेगी ।
इससे व्यक्तित्व का विकास होगा, वात-पित्त-कफजन्य रोग भी दूर होंगे ।
किसी भी तरह की कमजोरी को दूर करने का अनुभूत प्रयोगSensible use to remove any kind of weakness
शुक्रवार के दिन पीपल के तने को दोनों हाथ से पकड़ कर कहे-" मुझे कल एक किलो छाल चाहिए मैं कल लेने आऊंगा"।।
शनिवार के दिन एक लोटा, पानी गाय का गोबर या माटी साथ में ले जाए।साथ ही कोई वस्तु जिससे छाल निकाली जा सके।
छाल निकालें फिर पानी में गोबर या माटी सान कर कटी हुई जगह में लगा दें फिर उसी दिन 8 किलो पानी में उबालें जब 2 किलो पानी रह जाए तब इसमें 2 किलो शक्कर की चाशनी बना लें ।फिर दूध या पानी में 20 से 25 ग्राम तक यानी मीठा होने तक मिलाकर सुबह और शाम पियें।इस पेय से हर प्रकार की कमजोरी दूर होती है और शरीर हृष्टपुष्ट होता है।
तथा शाम को एकत्रित पीपल वृक्ष के फल दूसरे दिन सूर्योदय से पहले बीनकर ले आयें।
फिर उन्हें छाया में सुखा कर आधा किलो चूर्ण में 100 ग्राम मिश्री,और 10 ग्राम कालीमिर्च पीसकर मिला लें।
इसे भी 5-10ग्राम इस पेय के साथ में लें।
इस तरह शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।
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