Vedic Vidha
Vedic Vidha एक वैदिक परंपरागत, सनातन धर्म, संस्कृति, और कर्मकाण्ड के बारे मे उपयुक्त एवं प्रामाणिक जानकारी हेतु|
अपने प्रश्न Ask Your Question Here ऑप्शन से पूछें
यदि Blog कंटेंट को आप कही पर Copy Paste करते हैं या तोड़ मरोड़ कर पेश करने की कोशिश करते हैं तो आप पर CYBER LAW के तहत कार्यवाही की जाएगी
Thursday, May 15, 2025
Tuesday, May 6, 2025
सूप soop
सूप soop
सूप खरीदने के समय ध्यान रखने वाली बात
सूप या शूर्प बांस/सींक आदि से बना हुआ अनाज फटकने का एक पात्र/औजार ।
इसकी सहायता से अनाज से कूड़ा-करकट या अनाज की भूसी आदि निकाली/अलग की जाती है।
यह एक आयताकार हस्तनिर्मित पात्र है जिसके दोनों ओर के किनारे ऊपर उठे हुए होते हैं और पीछे के उठे हुए भाग से जोड़कर बाँधे रहते हैं। इसके आगे कोई किनारा नहीं होता।
इसको चलाने का एक क्रम होता है जो अभ्यास से आता है।इसको चलाने वाला व्यक्ति इसको एक प्रकार से घुमाते हुए चलाता है जिससे अनाज/दाल आदि में अनावश्यक चीजों को बाहर निकाल सकते हैं।
इसका धार्मिक कार्यक्रमों में भी बड़ा महत्व है, इसलिए इसको लेते समय कुछ चीजें विशेष रूप से ध्यान रखनी चाहिए यथा:-
Releted topic:- जीवन पथ कार्य व्यवसाय life path work business
Friday, March 14, 2025
स्वयं को गरीब मत बनाओ Don't make yourself poor
स्वयं को गरीब मत बनाओ Don't make yourself poor
स्वयं को गरीब मत बनाओ, यह कहना बंद करो कि तुम्हारे पास नहीं है,तुम कम कमाते हो,तुम्हें पर्याप्त नहीं मिलता या मिला है।
क्योंकि अगर तुम गरीबी/रिक्तता का ऐलान करते रहोगे, तो गरीबी या रिक्तता ही तुम्हारा भाग्य बनेगी।
इसके अतिरिक्त यह बुरी आदत छोड़ो कि तुम हमेशा पीड़ित हो।
तुम कभी भी इस तरह से बेहतर नहीं हो पाओगे।
पहली चीज जो तुम्हें बदलनी है, वह है तुम्हारा स्वयं का सिद्धांत (Theory of the self)।
तुम गरीब नहीं हो, तुम सिर्फ टूटे हुए हो।
पैसे आएंगे, तुम उन्हें हासिल करोगे, तुम जितना चाहते हो उससे भी अधिक।
किन्तु सर्वप्रथम तुम्हें अपनी मानसिक स्थिति बदलनी होगी।
याद रखो कि तुम्हारी वित्तीय स्थिति केवल तुम्हारी मानसिक स्थिति का प्रतिबिंब है.. तो अगर तुम्हारे दिमाग में पैसे हैं, तुम्हारे पास संपत्ति है, मौके हैं, प्रगति है, तो शीघ्र ही यह सब तुम्हें अपने पास दिखाई देगा।
दूसरी चीज जो सुधारनी है, वह है तुम्हारा अपना खुद का मूल्यांकन (Self-assessment)।
केवल छोटी चीजों पर संतुष्ट मत हो, बड़ी चीजों के लिए एक के बाद एक प्रयास करो।
जो कुछ भी तुम्हारे पास है, उसे ठीक से संभालना सीखो, सिर्फ खर्च करने के लिए खर्च मत करो। अपनी प्राथमिकताओं को सही से तय करो।
तीसरी चीज जो सुधारनी है, वह है तुम्हारी भाषा शैली (Language Style)।
अपने शब्दों को बदलो।
कुछ लोग दिन भर बीमारियों के बारे में बात करते रहते हैं या यह कहते रहते हैं कि उन्हें पर्याप्त नहीं मिलता।
तुम उनसे पूछते हो कि तुम कैसे हो, तो वे आधे मन से जवाब देते हैं: "यहाँ, कुछ खास नहीं।
ठीक-ठाक चल रहा है।
सब ठीक ही है।
बस ऊपर वाले की दया से काम चल जा रहा है।
"यहाँ कुछ नहीं, बस पगार पर हूँ।
और कुछ कहते हैं "तुम कमाते नहीं, लेकिन मज़े करते हो।"
अगर आप ध्यान से देखोगे, तो ये ऐसे शब्द हैं जो और ज्यादा कमी का कारण बनते हैं।
अपने शब्दों को बदलो, और संपत्ति की दिशा में बढ़ो।
जब कोई तुमसे पूछे कि तुम कैसे हो, तो पूरे आत्मविश्वास के साथ जवाब दो: "एक मिलियन।"
"पूरा सिस्टम आगे बढ़ रहा है।"
"सब बढ़िया है।"
तुम्हारे शब्द तुम्हारे लिए एक नई ऊर्जा और कंपन्न (Vibration) बनाएंगे।
।। जय श्री कृष्ण।।
Releted topic:- ढोल गँवार सूद्र पशु नारी dhol ganwar sudra pashu naari
Wednesday, March 12, 2025
होलिका दहन 2025 शुभ मुहूर्त Holika Dahan 2025 auspicious time
होलिका दहन 2025 शुभ मुहूर्त
हिन्दू पञ्चाङ्ग के अनुसार होलिका दहन 13 मार्च 2025 गुरुवार को होगा।
होलिका दहन करने का शुभ मुहूर्त 13 मार्च को रात 11 बजकर 28 मिनट से लेकर देर रात 12 बजकर 06 मिनट तक है।
Sunday, March 2, 2025
भाग्य बड़ा या कर्म एक प्रेरणादायक कहानीFate or karma is bigger, an inspirational story
भाग्य बड़ा या कर्म
(एक प्रेरणादायक कहानी)
एक जंगल के दोनों ओर अलग-अलग राजाओं का राज्य था। और उसी जंगल में एक महात्मा रहते थे जिन्हे दोनों राजा अपना गुरु मानते थे। उसी जंगल के बीचो-बीच एक नदी बहती थीं। अक्सर उसी नदी को लेकर दोनों राज्यों में संघर्ष की स्थिति बन जाती थी। एक बार बात बिगड़ते- बिगड़ते युद्ध तक आ पहुंची।
कोई भी राजा संधि को तैयार नहीं था, इसलिए युद्ध तो निश्चित ही था। दोनों राजाओं ने युद्ध से पहले महात्मा का आशीर्वाद लेने के लिए महात्मा जी के पास पहुंचे ।
पहले एक राजा आया और उसने महात्मा से युद्ध में विजय का आशीर्वाद माँगा। महात्मा ने कुछ देर उस राजा को निहारा और कहा की राजन तुम्हारे भाग्य में जीत नहीं दिखती, आगे ईश्वर की मर्जी। यह सुनकर पहला राजा थोड़ा विचलित तो हुआ, फिर उसने सोचा कि यदि हारना हीं है तो पूरी ताकत से लड़ेंगे परन्तु ऐसे ही हार नहीं मानेंगे। और अगर हार भी गए तो हार को भी औरों के लिए उदाहरण बना देंगे, कुछ भी हो परन्तु आसानी से हार नहीं मानेंगे। यह निश्चय कर वह वहां से चला गया।
दूसरा राजा भी विजय का आशीर्वाद लेने महात्मा के पास आया, उनके पैर छुए और विजयश्री का आशीर्वाद माँगा। महात्मा ने उसे भी कुछ देर निहारा और कहा कि बेटा भाग्य तो तुम्हारे साथ ही है। यह सुनकर राजा तो खुशी से भर गया और वापस जा कर निश्चिन्त हो गया, जैसे कि उसने युद्ध को जीत ही लिया हो।
अंततः युद्ध का दिन आया, दोनों सेनाऐं एक दूसरे के आमने-सामने थीं और युद्ध का बिगुल बज गया, युद्ध प्रारम्भ हो चूका था। एक तरफ कि सेना यह सोच कर लड़ रही थीं कि चाहे किस्मत में हार हो पर हम हार नहीं मानेंगे। हम अपनी सर्वश्रेष्ठ कोशिश करेंगे, अपना सर्वस्व झोंक देंगे। और वहीं दूसरी तरफ की सेना एक निश्चिन्त मानसिकता के साथ लड़ रही थी की जीतना तो हमें ही है तो घबराना कैसा।
लड़ते लड़ते दूसरी सेना के राजा के घोड़े के पैर का नाल भी निकल गया और घोड़ा लड़खड़ाने लगा पर राजा ने ध्यान हीं नहीं दिया। क्योंकि उसके मन मस्तिष्क में एक ही बात चल रही थी कि जब जीत मेरे भाग्य में है ही फिर किस बात की चिंता।
कुछ ही क्षण बाद दूसरे राजा का घोड़ा लड़खड़ा कर गिर गया जिससे राजा भी ज़मीन पे गिर पड़ा और घायल हो गया और वह दुश्मनों के बिच घिर गया। पहले राजा के सैनिको ने उसे बंधक बना लिए एवं उसे अपने राजा को सौंप दिया। युद्ध का निर्णय हो चूका था, युद्ध का परिणाम बिलकुल महात्मा के भविष्यवाणी के उलट था। निर्णय के बाद महात्मा भी वहाँ पहुंच गए, अब दोनों राजाओं को बड़ी जिज्ञासा थी कि आखिर भाग्य का लिखा बदल कैसे गया।
दोनों ने महात्मा से प्रश्न किया कि गुरुवर आखिर ये कैसे संभव हुआ? महात्मा ने मुस्कुराते हुये उत्तर दिया, राजन भाग्य नहीं बदला वो बिलकुल अपनी जगह सही है पर तुम लोग बदल गए हो। उन्होंने विजेता राजा की ओर इशारा करते हुये कहा कि अब आपको ही देखो राजन, आपने संभावित हार के बारे में सुनकर दिन रात एक कर दिया। सबकुछ भूल कर आप जबरदस्त तैयारी में जुट गए, यह सोच कर कि परिणाम चाहे जो भी हो पर हार नहीं मानूँगा। खुद हर बात का ख्याल रखा, खुद ही हर रणनीति बनाई जबकि पहले आपकी योजना सेनापति के भरोसे युद्ध लड़ने की थी।
अब महात्मा ने पराजित राजा कि ओर इशारा करते हुये कहा कि राजन आपने तो युद्ध से पहले ही जीत का जश्न मानना शुरू कर दिया था। आपने तो अपने घोड़े कि नाल तक का ख्याल नहीं रखा फिर आप इतनी बड़ी सेना को कैसे सँभालते और कैसे उनको कुशल नेतृत्व देते। और हुआ वही जो होना लिखा था। भाग्य नहीं बदला पर जिनके भाग्य में जो लिखा था उन्होंने ही अपना व्यक्तित्व बदल लिया फिर बेचारा भाग्य क्या करता।
मित्रों हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है कि भाग्य उस लोहे कि तरह वहीं खिचा चला आता है जहाँ कर्म का चुम्बक हो। हम भाग्य के आधीन नहीं हैं हम तो स्वयं भाग्य के निर्माता हैं।
यह सत्य है कि भाग्य भी उन्हीं लोगों का साथ देता है जो कर्म करते हैं। किसी खुरदरे पत्थर को चिकना बनाने के लिए हमें उसे रोज घिसना पड़ेगा। ऐसा ही जीवन में होता है,हम जिस भी क्षेत्र में हों, स्तर पर हों हम अपना कर्म करते रहें बिना फल की चिंता किए।
तभी हम अपने कर्म को 100%दे पाएंगे।
।। जय श्री कृष्ण।।
कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त
कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace
कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...

-
श्रीकनकधारास्तोत्रम् भगवती कनकधारा महालक्ष्मी स्तोत्र की रचना श्री शंकराचार्य जी ने की थी।उनके इस स्तुति से ...
-
सत्यनारायण व्रत कथा मूल पाठ (संस्कृत) प्रथमोऽध्याय: व्यास उवाच- एकदा नैमिषारण्ये ऋषय: शौनकादय:। पप्रच्छुर्मुनय: सर्वे सूतं पौराणि...
-
ब्रह्म राक्षस एक परिचय Brahmarakshas an introduction ब्रह्म राक्षस जिसका नाम सुनते ही मन में एक भयावह आकृति उत्पन्न हो ...