Tuesday, February 28, 2023

गोमय दीपदान gomay deepdan

 गोमय दीपदान gomay deepdan

यश,धन,समृद्धि, पुत्र, दीर्घायु, ग्रह दोष,अरिष्ट और बाधा नाश के लिए करें गोमय दीपदान




दीपक ज्ञान, प्रकाश, भयनाशक, विपत्तियों व अंधकार के विनाश का प्रतीक है।  गोमय दीपदान किसी भी विपत्ति के निवारणार्थ श्रेष्ठ उपाय है।
हमारे शास्त्रों में दीपदान की विशेष महिमा है।मान्यता है कि दीपदान व्रत योग और मोक्ष प्रदान करने वाला है। जो मनुष्य देवमंदिर अथवा ब्राह्मण के घर में एक वर्ष तक दीपदान करता है, वह सब कुछ प्राप्त कर लेता है। चातुर्मास्य में दीपदान करने वाला श्रीविष्णु भगवान के धाम, कार्तिक मास में दीपदान करने वाला स्वर्गलोक तथा श्रावण मास में दीपदान करने वाला भगवान शिव के लोक को प्राप्त कर लेता है। चैत्र मास में मां भगवती के मंदिर में दीप जलाने से व्यक्ति मां जगदम्बा के नित्य धाम को प्राप्त करता है। दीपदान से दीर्घ आयु और नेत्र ज्योति की प्राप्ति होती है। दीपदान से धन और पुत्र आदि की भी प्राप्ति होती है। दीपदान करने वाला व्यक्ति सौभाग्य युक्त होकर स्वर्ग लोक में देवताओं द्वारा पूजित होता है।

गोमय दीपदान का महत्व

अत्यंत सुगमता से किया जाने वाला यह एक ऐसा वैदिक विधान है जो किसी यज्ञ के बराबर फल देने वाला है।यदि संभव हो तो किसी योग्य ब्राह्मण के सान्निध्य में दीपदान की प्रक्रिया को पूरा करना चाहिए। 

गोमय दीपदान का समय निर्धारण

ऋतु-दीपदान हेतु बसन्त, हेमन्त, शिशिर, वर्षा व शरद ऋतु उत्तम मानी गई है।

मास-वैशाख, श्रावण, आश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ और फाल्गुन मास श्रेष्ठ है।

पक्ष-शुक्ल पक्ष दीपदान के लिए अधिक उत्तम होता है।

तिथि-प्रथमा, द्वितीया, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी,नवमी,एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी,चतुर्दशी,अमावस्या व पूर्णिमा तिथि गोमय दीपदान के लिए श्रेष्ठ होती है।

नक्षत्र-इन नक्षत्रों में गोमय दीपदान करना चाहिए। जैसे-रोहिणी, आर्दा, पुष्य, तीनों उत्तरा, हस्त, स्वाती, विशाखा, ज्येष्ठा और श्रवण।

योग-सौभाग्य, शोभन, प्रीति, सुकर्म, वृद्धि, हर्षण, व्यतीपात और वैधृत योगों में गोमय दीपदान करना अत्यंत लाभप्रद होता है।

विशेषः-सूर्यग्रहण, चन्द्रग्रहण, संक्रान्ति, कृष्ण पक्ष की अष्टमी, नवरात्र एवं महापर्वो पर गोमय दीपदान करना विशेष फलदायक रहता है।

गोमय दीपदान का समय-प्रातः, सायं, मध्यरात्रि तथा अन्य यज्ञकर्म की पूर्णाहूति से पहले किया जाना चाहिए।

कहां करते हैं गोमय दीपदान?

1. देवमंदिर में करते हैं दीपदान। 

2. विद्वान ब्राह्मण के घर में करते हैं दीपदान।

3. नदी के किनारे या नदी में करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि (धान के उपर) पर करते हैं दीपदान।


5.अश्वत्थ अर्थात् पीपल तुलसी आदि पूजनीय वृक्ष के समीप करते हैं दीपदान।


6.चौराहा, मार्ग पर करते हैं दीपदान।


7.आकाश में करते हैं दीपदान।


कैसे करते हैं गोमय दीपदान?

1. गोमय के दिये में घी डालकर उससे मंदिर में ले जाकर जलाकर उसे वहां पर रख दें। दीपों की संख्या और बत्तियां खास समयानुसार और मनोकामना अनुसार रखी जाती है।

2. गोमय दीपक बनाकर उसमें घी डालकर रुई की बत्ती जलाकर उसे पीपल या बड़(बरगद) के पत्ते पर रखकर नदी में प्रवाहित किया जाता है।

3. देवस्थल/मन्दिर में गोमय दीपक को किसी आधार पर सप्तधान या चावल के उपर ही रखकर जलाते हैं। भूमि पर रखने से भूमि को आघात लगता है।

कब करते हैं गोमय दीपदान?

1. सभी स्नान पर्व और व्रत के समय दीपदान करते हैं। 

2. धनतेरस, रूपचतुर्दशी या नरकचतुर्दशी और यम द्वितीया के दिन दीपदान करते हैं।

3. दीपवली, अमावस्या या पूर्णिमा के दिन करते हैं दीपदान।

4. दुर्गम स्थान अथवा भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है।

5. पद्मपुराण के उत्तरखंड में स्वयं महादेव कार्तिकेय को दीपावली, कार्तिक कृष्णपक्ष के पांच दिन में दीपदान का विशेष महत्व बताते हैं।

कृष्णपक्षे विशेषेण पुत्र पंचदिनानि च।

पुण्यानि तेषु यो दत्ते दीपं सोऽक्षयमाप्नुयात्।

अर्थात कृष्णपक्ष में रमा एकादशी से दीपावली तक 5 दिन बड़े पवित्र है। उनमें जो भी दीप आदि का दान किया जाता है, वह सब अक्षय और सम्पूर्ण कामनाओं को पूर्ण करने वाला होता है।

गोमय दीपदान करने के फायदे :

1. अकाल मृत्यु से बचने के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

2. अपने मृ‍तकों की सद्गति के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

3. लक्ष्मी माता और भगवान विष्णु को प्रसन्न कर उनकी कृपा हेतु करते हैं गोमय दीपदान।

5. यम, शनि, राहु,केतु और अन्य ग्रहों के बुरे प्रभाव से बचने के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

6. सभी तरह की बाधाओं, गृहकलह और संकटों से बचने के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

7. जीवन से अंधकार मिटे और उजाला आए इसीलिए करते हैं दीपदान।

8. मोक्ष प्राप्ति के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

9. किसी भी तरह की पूजा या मांगलिक कार्य की सफलता हेतु करते हैं गोमय दीपदान।

10. घर में धन समृद्धि बनी रहे इसीलिए भी कहते हैं गोमय दीपदान।

11. कार्तिक माह में भगवान विष्णु या उनके अवतारों के समक्ष गोमय दीपदान करने से समस्त यज्ञों, तीर्थों और दानों का फल प्राप्त होता है।

12. कांति, ओज, और तेज के लिए करते हैं गोमय दीपदान।

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