Wednesday, June 22, 2016

विदेश यात्रा योग Foreign travel yoga

क्या आपके भाग्य में विदेश यात्रा का योग है ?

पुरातन काल में जहाँ
विदेश यात्रा को निकृष्ट समझा जाता था, वहीं आज के
इस भौतिक युग में विदेश गमन से प्राप्त होने वाले धन लाभ और
शिक्षा के महत्व ने विदेश निवास को सम्मान की
श्रेणी में ला खडा किया है. वर्तमान में अच्छे व्यापार,
नौकरी के विदेश में अधिक सुअवसर प्राप्त होने,
अच्छा वैवाहिक संबंध मिलने की वजह से
भी विदेश में जाने की चाह उत्कुट हुई
है. लेकिन ऐसा सभी तो नही कर सकते.
आईये आज हम आपको कुछ ज्योतिषीय योग बतलाते
हैं जिसे अपनी कुंडली में देखकर आप
स्वयं ही इस विषय में जानकारी प्राप्त
कर सकते हैं कि आपके भाग्य में विदेश यात्रा है अथवा
नहीं ?
1, लग्न दशम या द्वादश भावों से जब राहु का योग बनता है तब
भी विदेश यात्रा का अवसर मिलता है, साथ
ही लग्नेश स्वयं द्वादश भाव गत हो निश्चय
ही विदेश गमन होता है.
2. यदि लग्नेश लग्नगत और नवमेश स्वग्रही हो
तो विदेश भ्रमण का मौका अवश्य मिलता है. नवम भाव में स्वराशि
या उच्च का शनि भी कई विदेश यात्राओं के अवसर
प्रदान करता है. इसी प्रकार लग्नेश नवमेश का
आपस में स्थान परिवर्तन भी विदेश यात्रा के सुअवसर
उपलब्ध कराता है.
3. तॄतीयेश, नवमेश एवम द्वादशेश का
किसी दशा अंतर्दशा में आपसी संबंध बन
रहा हो जातक को अक्सर कई विदेश यात्राएं करने का मौका मिलता
है.
4. सूर्य अष्टम भावगत हो तब, अष्टमेश अष्टम भाव में हो
तब अथवा दशमेश द्वादश भावगत हो तब भी विदेश
यात्रा होती है.
5.जन्म कुंडली के बारहवें भाव में मंगल, राहु जैसे
क्रूर ग्रह बैठे हों तब भी विदेश यात्रा का योग बनेगा.
6.जब भी दशा महादशाओं में द्वादश भाव और दशम
भाव का संबंध बनता है तब जातक अवश्यमेव विदेश यात्रा करता
है।

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