Sunday, June 5, 2016

रत्न कब और कितना धारण करना चाहिए When and how much should hold gems

सूर्य रत्न, माणिक्य:-15चावल
भर या 5 रत्ती का, स्वर्ण मुद्रिका
में, हस्त नक्षत्र, रवि पुष्य, या
रवि वार को रवि की होरा में ।

चन्द्र रत्न, मोती:- 2रत्ती या 4रत्ती , चांदी या स्वर्ण में,
रोहिणी नक्षत्र या सोमवार को
चन्द्र की होरा में ।

मंगल रत्न, मूंगा:-8रत्ती, स्वर्ण में
अनुराधा नक्षत्र में या मंगल वार
को मंगल की होरा में।

बुध रत्न, पन्ना:- 3रत्ती या 6रत्ती
स्वर्ण या चाँदी में, उत्तरा फाल्गुनी
नक्षत्र में या बुध वार को बुध की
होरा में।

गुरु रत्न:- पुखराज या पुष्प राज
12चावल भर, या 1-1/4 रती
या अधिकतम 9 रत्ती, गुरु पुष्य
नक्षत्र में या गुरु वार गुरु की होरा
में ।

शुक्र रत्न, हीरा, 9, 18, 27 सेंट
का, मृग्शिर नक्षत्र में, चांदी में ,
मध्यमा अंगुली में या शुक्र वार
शुक्र की होरा में ।

शनि रत्न, नीलम:- 3,6, 10 रत्ती
या 11चावल भर, श्रवण नक्षत्र
में,या शनि वार को, शनि की होरा
में।स्वर्ण में,।

राहु रत्न, गोमेद:- 6 रत्ती , उत्तरा
फाल्गुनी नक्षत्र में या बुध वार ,
सायं काल ।

केतु रत्न, लहसनिया:- 6 रत्ती
गुरु पुष्य नक्षत्र में।

रत्न धारण करने से पहले शुद्ध
रेशमी वस्त्र में, एक सप्ताह दाहिनी भुजा में बाँध कर , परीक्षा करे।
प्राय: 2भाव का मारकेश जीवन
के प्रारम्भ में, 7वे भाव का मारकेश, जीवन के अंत में, वह
8 स्थान का मारकेश जीवन के
मध्य में फल देता हे।

Related topics-

● वैवाहिक जीवन को प्रभावित करने वाले कुछ योग vaivaahik jeevan ko prabhaavit karane vaale kuchh yog

● जाने कैसे अंकों के द्वारा भाग्य बढ़ाये? Know how to increase fate by numbers?

No comments:

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...