जन्म नक्षत्र के अनुसार रत्न और रुद्राक्ष
[1] अश्विनी नक्षत्र
यदि आपका जन्म अश्विनी नक्षत्र में हुआ है तो आप मूंगा माणिक्य तथा लहसुनिया रत्न और एकमुखी तीनमुखी और नौमुखी रुद्राक्ष धारण कर सकते है ।
इनकी सहायता से स्वास्थ लाभ आत्मविश्वास में वृद्घि कार्यक्षेत्र में उन्नति जैसे फल प्राप्त होते है ।
[2] भरणी नक्षत्र
जिनका जन्म भरणी नक्षत्र में हुआ है तो आपको हीरा या ओपल एवं मूंगा रत्न धारण करना चाहिए ।
और तीनमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करना भी उत्तम होगा ।
इससे आत्मविश्वास और आर्थिक समृद्घि होती है ।
[3] कृत्तिका नक्षत्र
जिस जातक का जन्म कृत्तिका नक्षत्र के प्रथम चरण में जन्म हो तो वह माणिक्य तथा मूंगा रत्न धारण कर सकता है ।
और एकमुखी एवं तीनमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना उत्तम होगा ।
यदि जिसका जन्म वृषभ राशि और कृत्तिका के अंतिम चरण में हो तो वह माणिक्य के साथ हीरा या ओपल रत्न एवं एकमुखी रुद्राक्ष के साथ छमुखी रुद्राक्ष भी धारण करना चाहिए ।
इससे व्यक्ति की हर दिशा में उन्नति होती है ।
[4] रोहिणी नक्षत्र
रोहणी नक्षत्र में जन्म होने पर हीरा अथवा ओपल एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी प्रकार के सुखो की प्राप्ति होती है।
[5] मृगशिरा नक्षत्र
मृगशिरा नक्षत्र में पहले दो चरणों में जन्म होने पर मूंगा तथा हीरा अथवा ओपल रत्न एवं तीनमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है ।
मिथुन राशि अर्थात मृगशिरा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर सफेद मूंगा एवं पन्ना रत्न तथा तीनमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष उन्नति देंने वाले होते है ।
[6] आर्द्रा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को
जीवन में उन्नति प्राप्त हेतु पन्ना एवं गोमेदक रत्न तथा चारमुखी और आठमुखी रुद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए ।
[7] पुनर्वसु नक्षत्र
पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम तीन चरण अर्थात मिथुन राशि में जन्म होने पर पन्ना एवं पुखराज रत्न तथा चारमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
इससे जातक को अपार सफलता मिलती है ।
पुनर्वसु नक्षत्र के अंतिम चरण में जन्म होने पर पुखराज एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
इससे जातक को उत्तम स्वास्थ और श्रेष्ठ बुद्घि की प्राप्ति होती है।
[8] पुष्य नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर जातक को नीलम एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
स्वास्थ लाभ एव आर्थिम लाभ की प्राप्ति होता है।
[9] अश्लेषा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे व्यक्ति को मोती एवं पन्ना रत्न तथा चारमुखी और दोमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी क्षेत्रो में उन्नति प्राप्त होती है ।
[10] मघा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे लोगो माणिक्य एवं लहसुनिया तथा एकमुखी एवं नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने से दुखो से छुटकारा मिल जाता है और उन्नति मिलती है ।
[11] पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को माणिक्य एवं हीरा या ओपल रत्न तथा एकमुखी एवं छमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सर्वोन्नति प्राप्त होती है ।
[12] उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र
इस नक्षत्र में ( सिंह एवं कन्या राशियों में ) जन्मे जातक को माणिक्य एवं पन्ना रत्न तथा एकमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष धारण करने से उत्तम स्वस्थ आत्मशक्ति और आर्थिक उन्नति मिलती है ।
[13] हस्त नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को उन्नति एवं आर्थिक सुरक्षा हेतु पन्ना एवं मोती रत्न तथा दोमुखी और चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
[14] चित्रा नक्षत्र
चित्रा नक्षत्र के दो चरणों में जन्म होने पर मूंगा एवं पन्ना रत्न तथा तीनमुखी एवं चारमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
चित्रा नक्षत्र के अंतिम दो चरणों में जन्म होने पर अर्थात तुला राशि एवं चित्रा नक्षत्र में जन्म होने पर हीरा अथवा ओपल के साथ सफेद मूंगा रत्न एवं तीनमुखी और छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
इससे जातक को स्वास्थ्य लाभ और व्यापार में लाभ होगा और आत्मविश्वास में वृद्घि होगी।
[15] स्वाती नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर स्वास्थ्य रक्षा और उन्नति हेतु गोमेद तथा हीरा या ओपल रत्न और छमुखी व आठमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
[16] विशाखा नक्षत्र
इस नक्षत्र के प्रारम्भिक तीन चरणों में जन्म होने पर पुखराज तथा ओपल रत्न एवं पांचमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
और अंतिम चरण में और वृश्चिक राशि में जन्म होने पर पुखराज धारण करना चाहिए ।
अपार सफलता मिलती है ।
[17] अनुराधा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर नीलम तथा मूंगा रत्न एवं तीनमुखी सातमुखी रुद्राक्ष धारण करे ।
पराक्रम बढ़ता है और असम्भव कार्य सम्भव हो जाता है ।
[18] ज्येष्ठा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर मूंगा पन्ना रत्न एवं तीनमुखी छमुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए इससे अपनी मति द्वारा यश एवं प्रतिष्ठा प्राप्त होती है ।
[19] मूल नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को पुखराज एवं लहसुनियां रत्न तथा पांचमुखी नौमुखी रुद्राक्ष धारण करने से आत्मविश्वास में वृद्घि अपार यश की प्राप्ति होती है ।
[20] पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्म होने पर पुखराज माणिक्य रत्न एवं एकमुखी पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करे ।
भाग्य पक्ष मजबूत होगा उन्नति होगी ।
[21] उत्तराषाढा नक्षत्र
इस नक्षत्र के प्रथम चरण में यदि जन्म हुआ हो तो पुखराज एवं माणिक्य रत्न तथा एकमुखी पांचमुखी रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है ।
यदि अंतिम तीन चरणों में जन्म हुआ हो तो माणिक्य एवं नीलम रत्न तथा एकमुखी सातमुखी रुद्राक्ष धारण करना उत्तम होता है ।
[22] श्रवण नक्षत्र
इस नक्षत्र वालो को मोती और नीलम रत्न धारण करना चाहिए यदि श्रेष्ठ फल चाहते हो तो साथ में दोमुखी और सातमुखी रुद्राक्ष भी धारण करे ।
[23] धनिष्ठा नक्षत्र
घनिष्ठा नक्षत्र [ मकर एवं कुम्भ दोनों राशियों में ] में जन्म होने पर मूंगा तथा नीलम रत्न और तीनमुखी सातमुखी रुद्राक्ष भी धारण करे ।
अपार सफलता मिलती है ।
[24] शतभिषा नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे जातक को गोमेद एवं नीलम रत्न तथा सात और आठ मुखी अपार उन्नति हेतु धारण करना चाहिए ।
[25] पूर्वाभाद्रपद नक्षत्र
इस नक्षत्र के प्रथम 3 चरणों में जन्मे लोगो को पुखराज एवं नीलम रत्न तथा पांचमुखी सातमुखी रुद्राक्ष और
अंतिम चरण में जन्मे को मूंगा और पुखराज तथा 3 और 5 मुखी रुद्राक्ष प्रत्येक क्षेत्रो में उन्नति हेतु धारण करना चाहिए ।
[26] उत्तराभाद्रपद नक्षत्र
इस नक्षत्र में जन्मे को पुखराज नीलम तथा 5 व 7 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से अपने कार्यक्षेत्र में उन्नति और सभी सुखो की प्राप्ति होती है ।
[27] रेवती नक्षत्र
रेवती नक्षत्र में जन्मे लोगो को सभी सुखो की प्राप्ति हेतु पन्ना पुखराज तथा 4 व 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए ।
Related Post-
● सुख-समृद्धि व मन की प्रसन्नता के लिए For happiness and prosperity and happiness of mind
● नक्षत्र से रोग विचार तथा उपाय
● कैसे जानें ग्रहों का अशुभ प्रभाव अपने जीवन मे How To Learn The Inauspicious Impact Of The Planets In Your Life
● महामृत्युञ्जय mahaamrtyunjay
No comments:
Post a Comment