ग्रहों का प्रभाव हमारे ऊपर विभिन्न प्रकार से पड़ता है।
कोई भी ग्रह हमारे व्यक्तित्व,संबंध, आदि का कारक होता है, जब हमारे लिए वो ग्रह शुभ होता है तो उस ग्रह से सम्बंधित कारक शुभफल दायक हो जाते हैं।
और जब वो ग्रह नकारात्मक होता है तो उससे सम्बंधित कारकों मे अशुभता आ जाती है।
इस प्रकार हम अपने आसपास के माहौल से जान सकते हैं कि यह शुभ और अशुभ प्रभाव किस ग्रह के कारण है।
अशुभ सूर्य के प्रभाव
व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना बढना, पैतृक घर में बदलाव होना, घर के मुख्य को परेशानी आना, कानूनी विवादों में फंसना, पिता के कारण या उसकी सम्पति के कारण विवाद होना, पत्नि से विछोह होना, अधिकारी से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय में रोग होना, सरकारी नौकरी में अडचन आना आदि।
अशुभ चंद्र के प्रभाव
घर-परिवार के सुखों में कमी आना, मानसिक रोगों से परेशान होना, भय व घबराहट की स्थिति बनी रहना, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम रहना, छाती सम्बंधित रोग, या रोगों का बना रहना, कार्य व धन में अस्थिरता।
अशुभ मंगल के प्रभाव
मन में क्रोध व चिडचिडापन रहना, भाइयों से विरोध होना, रक्त सम्बंधी विकार, मकान या जमीन के कारण परेशान होना, अग्निभय या चोट-खरोच लगना, मशीन इत्यादि से नुकसान होना।
अशुभ बुध के प्रभाव
अल्पबुद्धि होना, बोलने और सुनने में दिक्कत होना, आत्मविश्वास की कमी होना, नपुंसकता, व्यापार में हानि होना, माता से विरोध होना, शिक्षा में बाधायें आना, मित्रों से धोखे मिलना।
अशुभ गुरु के प्रभाव
बडे भाई, गुरुजन से विरोध व अनैतिक मार्ग से हानि होना, अधिकारी से विवाद, अहंकारी होना, धर्म से जुडकर अधर्म करना, पाखंडी, स्त्रियों के विवाह सुख को हीन करना, संतान दोष, अपमान व अपयश होना, मोटापा आना, सूजन व चर्बी के रोग होना।
अशुभ शुक्र के प्रभाव
अशुभ शुक्र स्त्री सुखों से दूर करता हैं, सेक्स रोग, विवाह बाधा, प्रेम में असफलता मिलना, चंचल होना, अपने साथी के साथ धोखा करना, सुखों से हीन होना,
अशुभ शनि के प्रभाव
शनि के कारण जातक झगडालूं, आलसी, दरिद्री, अधिक निद्रा आना, वैराग्य से युक्त, पांव में या नशों से सम्बंधित व स्टोन की दिक्कत आना, उपेक्षाओं का शिकार होना, विवाह बाधायें आना, नपुंसकता आदि होना।
अशुभ राहु के प्रभाव
नशे इत्यादि के प्रति रूचि बढना, गलत कार्यो से जुडना, शेयर मार्किट आदि से हानि होना, घर-गृहस्थी से दूर होना, जेल या कानूनी अपराधों में संलग्न होना, फोडे फुंसी व घृणित रोग होना।
अशुभ केतु के प्रभाव
केतु के प्रभाव राहु मंगल के मिश्रित फल जैसे होते हैं। अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन होती हैं तथा चेहरे पर दाग धब्बे होते हैं। किसी प्रकार के आप्रेशन से गुजरना पडता हैं।
कोई भी ग्रह हमारे व्यक्तित्व,संबंध, आदि का कारक होता है, जब हमारे लिए वो ग्रह शुभ होता है तो उस ग्रह से सम्बंधित कारक शुभफल दायक हो जाते हैं।
और जब वो ग्रह नकारात्मक होता है तो उससे सम्बंधित कारकों मे अशुभता आ जाती है।
इस प्रकार हम अपने आसपास के माहौल से जान सकते हैं कि यह शुभ और अशुभ प्रभाव किस ग्रह के कारण है।
अशुभ सूर्य के प्रभाव
व्यक्ति के अंदर अहंकार की भावना बढना, पैतृक घर में बदलाव होना, घर के मुख्य को परेशानी आना, कानूनी विवादों में फंसना, पिता के कारण या उसकी सम्पति के कारण विवाद होना, पत्नि से विछोह होना, अधिकारी से विवाद, दांत, बाल, आंख व हृदय में रोग होना, सरकारी नौकरी में अडचन आना आदि।
अशुभ चंद्र के प्रभाव
घर-परिवार के सुखों में कमी आना, मानसिक रोगों से परेशान होना, भय व घबराहट की स्थिति बनी रहना, माता से दूरियां, सर्दी-जुखाम रहना, छाती सम्बंधित रोग, या रोगों का बना रहना, कार्य व धन में अस्थिरता।
अशुभ मंगल के प्रभाव
मन में क्रोध व चिडचिडापन रहना, भाइयों से विरोध होना, रक्त सम्बंधी विकार, मकान या जमीन के कारण परेशान होना, अग्निभय या चोट-खरोच लगना, मशीन इत्यादि से नुकसान होना।
अशुभ बुध के प्रभाव
अल्पबुद्धि होना, बोलने और सुनने में दिक्कत होना, आत्मविश्वास की कमी होना, नपुंसकता, व्यापार में हानि होना, माता से विरोध होना, शिक्षा में बाधायें आना, मित्रों से धोखे मिलना।
अशुभ गुरु के प्रभाव
बडे भाई, गुरुजन से विरोध व अनैतिक मार्ग से हानि होना, अधिकारी से विवाद, अहंकारी होना, धर्म से जुडकर अधर्म करना, पाखंडी, स्त्रियों के विवाह सुख को हीन करना, संतान दोष, अपमान व अपयश होना, मोटापा आना, सूजन व चर्बी के रोग होना।
अशुभ शुक्र के प्रभाव
अशुभ शुक्र स्त्री सुखों से दूर करता हैं, सेक्स रोग, विवाह बाधा, प्रेम में असफलता मिलना, चंचल होना, अपने साथी के साथ धोखा करना, सुखों से हीन होना,
अशुभ शनि के प्रभाव
शनि के कारण जातक झगडालूं, आलसी, दरिद्री, अधिक निद्रा आना, वैराग्य से युक्त, पांव में या नशों से सम्बंधित व स्टोन की दिक्कत आना, उपेक्षाओं का शिकार होना, विवाह बाधायें आना, नपुंसकता आदि होना।
अशुभ राहु के प्रभाव
नशे इत्यादि के प्रति रूचि बढना, गलत कार्यो से जुडना, शेयर मार्किट आदि से हानि होना, घर-गृहस्थी से दूर होना, जेल या कानूनी अपराधों में संलग्न होना, फोडे फुंसी व घृणित रोग होना।
अशुभ केतु के प्रभाव
केतु के प्रभाव राहु मंगल के मिश्रित फल जैसे होते हैं। अत्यधिक क्रोधी, शरीर में अधिक अम्लता होना जिस कारण पेट में जलन होती हैं तथा चेहरे पर दाग धब्बे होते हैं। किसी प्रकार के आप्रेशन से गुजरना पडता हैं।
2 comments:
आलेख पढ़ कर सोच रहा हूँ कि क्या अच्छा है मेरे जीवन में !!
अच्छी जानकारी, मेरी माताजी जो कि ज्योतिष सीख रही हैं उनको आपका लेखन पसन्द है.
धन्यवाद, ऐसे ही लिखते रहिये और ज्योतिष के छात्रों का मार्ग-दर्शन करते रहिये. शुभकामनायें.
आपका स्वागत है
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