हर व्यक्ति की यही चाहत होती है कि उसका अपना व्यापार हो और उसे वो अपने मनमुताबिक उचाईयों तक ले जाने मे सफलता प्राप्त करे।
किन्तु सब कुछ अपने अनुसार नही होता है।व्यवसाय मे निरन्तर उतार-चढाव होता है,कभी-कभी तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है,व्यक्ति अपना धैर्य छोड़ने लगता है।इस उतार-चढाव के कई कारण हो सकते हैं,
यथा-व्यक्ति की अपनी ग्रह स्थिति,व्यवसाय मे नजर लग जाना या किसी की बुरी नजर का प्रभाव् आदि कुछ ऐसे कारण उत्पन्न हो जाते हैं जो व्यक्ति को परेशान कर देते हैं।
अतः ये कुछ ऐसे उपाय हैं जो व्यक्ति और व्यवसाय दोनों को सुरक्षित रखते हुए उसमे आने वाली बाधाओ को दूर करते ह।
**व्यापार का कारक ग्रह बुध होता है अतः बुध ग्रह को हमेशा अनुकूल रखने के लिए प्रयत्न करना चाहिये।
**गणेश अथर्वशीर्ष का नियमित पाठ।
**कनकधारा स्तोत्र का पाठ।
**नवग्रह गायत्री,सञ्जीवनी, गणेश,लक्ष्मी, नारायण, और कुबेर गायत्री का नियमित प्रयोग करायें।
**पीताम्बरा प्रयोग करायें।
**आय का कुछ निश्चित प्रतिशत निकाले, और उसे जरूरतमंद लोगों मे खर्च करे या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण को दान करें।
धीरे-धीरे किन्तु निश्चित ही हमारा व्यवसाय उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
किन्तु सब कुछ अपने अनुसार नही होता है।व्यवसाय मे निरन्तर उतार-चढाव होता है,कभी-कभी तो ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है,व्यक्ति अपना धैर्य छोड़ने लगता है।इस उतार-चढाव के कई कारण हो सकते हैं,
यथा-व्यक्ति की अपनी ग्रह स्थिति,व्यवसाय मे नजर लग जाना या किसी की बुरी नजर का प्रभाव् आदि कुछ ऐसे कारण उत्पन्न हो जाते हैं जो व्यक्ति को परेशान कर देते हैं।
अतः ये कुछ ऐसे उपाय हैं जो व्यक्ति और व्यवसाय दोनों को सुरक्षित रखते हुए उसमे आने वाली बाधाओ को दूर करते ह।
**व्यापार का कारक ग्रह बुध होता है अतः बुध ग्रह को हमेशा अनुकूल रखने के लिए प्रयत्न करना चाहिये।
**गणेश अथर्वशीर्ष का नियमित पाठ।
**कनकधारा स्तोत्र का पाठ।
**नवग्रह गायत्री,सञ्जीवनी, गणेश,लक्ष्मी, नारायण, और कुबेर गायत्री का नियमित प्रयोग करायें।
**पीताम्बरा प्रयोग करायें।
**आय का कुछ निश्चित प्रतिशत निकाले, और उसे जरूरतमंद लोगों मे खर्च करे या किसी कर्मनिष्ठ ब्राह्मण को दान करें।
धीरे-धीरे किन्तु निश्चित ही हमारा व्यवसाय उन्नति की ओर अग्रसर होता है।
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