पैर किसके छुएँ और किसके न छुएँ
क्या है पैर छूने का वैज्ञानिक आधार ?
हिन्दू संस्कृति में पैर छूना एक संस्कार माना जाता है । हम अपने से बड़ो के , माता पिता , और गुरु के पैर छूते है । लेकिन आजकल इसका स्वरुप बिगड़ गया है ।
हमारे शरीर के उत्तरी और दक्षिणी दो ध्रुव होते है । सिर उत्तरी ध्रुव और पैर दक्षिणी ध्रुव होता है । अगर हम किसी के पैर छूते है तो हमारा उत्तरी ध्रुव बड़े आदमी के दक्षिणी ध्रुव से मिल जाता है । ऐसी स्थिति में बड़े आदमी के संस्कार स्वतः चुम्बकीय आधार पर हमारे चित में प्रवेश कर जाते है ।
हमारी हिन्दू संस्कृति के संस्कार कहते है सदाचारी माता पिता, ज्ञानी और उच्च कोटि के गुरु के ही पैर छूने चाहिए ।
अगर आप मांसाहारी के पैर छुओगे तो निश्चित तौर पर आपके संस्कार अपवित्र हो जाएंगे । दुराचारी के यहाँ भोजन करने से संस्कार पापी हो जाते है ।
इसलिये सभी के पैर छूने से बचना चाहिये।
क्या है पैर छूने का वैज्ञानिक आधार ?
हिन्दू संस्कृति में पैर छूना एक संस्कार माना जाता है । हम अपने से बड़ो के , माता पिता , और गुरु के पैर छूते है । लेकिन आजकल इसका स्वरुप बिगड़ गया है ।
हमारे शरीर के उत्तरी और दक्षिणी दो ध्रुव होते है । सिर उत्तरी ध्रुव और पैर दक्षिणी ध्रुव होता है । अगर हम किसी के पैर छूते है तो हमारा उत्तरी ध्रुव बड़े आदमी के दक्षिणी ध्रुव से मिल जाता है । ऐसी स्थिति में बड़े आदमी के संस्कार स्वतः चुम्बकीय आधार पर हमारे चित में प्रवेश कर जाते है ।
हमारी हिन्दू संस्कृति के संस्कार कहते है सदाचारी माता पिता, ज्ञानी और उच्च कोटि के गुरु के ही पैर छूने चाहिए ।
अगर आप मांसाहारी के पैर छुओगे तो निश्चित तौर पर आपके संस्कार अपवित्र हो जाएंगे । दुराचारी के यहाँ भोजन करने से संस्कार पापी हो जाते है ।
इसलिये सभी के पैर छूने से बचना चाहिये।
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