प्रायः अधिक मास कैसे लग जाता है इसकी जिज्ञासा होती है।
सूर्य की एक संक्रान्ति के जितनी देर बाद दूसरी संक्रान्ति आती है वह एक सौर मास होता है। एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के काल को एक सावन दिन कहते है।मध्यम मान से एक सौर मास मे 30 दिन,10 घण्टा और 30 मिनट होते है। एक अमान्त से दूसरी अमान्त तक एक चन्द्र मास होता है एवं एक चन्द्रमास मे29 दिन,13 घण्टा 44 मिनट होते है।
यहाँ सौरमास एवं चन्द्रमास का दिनात्मक अन्तर=20 घंटे 46 मिनट होता है।
सिद्धान्त ज्योतिष के अनुसार यह अन्तर जब इतना हो जाता है कि एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच एक चन्द्र मास मे कोई सूर्य की संक्रान्ति लगती ही नही,वहीँ अधिकमास(मलमास) लग जाता है।
वस्तुतः सौरमास और चन्द्रमासों की विसंगति के कारण ही अधिकमास लगता है और इसीलिये इसे "मलमास" भी कहते है।
यही कारण है कि इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित रहते है।
श्रीहरिविष्णु ने इस मास को अपना नाम देकर बहुविध धार्मिक कार्यों को सम्पन्न करने का निर्देश दिया है।
सूर्य की एक संक्रान्ति के जितनी देर बाद दूसरी संक्रान्ति आती है वह एक सौर मास होता है। एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक के काल को एक सावन दिन कहते है।मध्यम मान से एक सौर मास मे 30 दिन,10 घण्टा और 30 मिनट होते है। एक अमान्त से दूसरी अमान्त तक एक चन्द्र मास होता है एवं एक चन्द्रमास मे29 दिन,13 घण्टा 44 मिनट होते है।
यहाँ सौरमास एवं चन्द्रमास का दिनात्मक अन्तर=20 घंटे 46 मिनट होता है।
सिद्धान्त ज्योतिष के अनुसार यह अन्तर जब इतना हो जाता है कि एक अमावस्या से दूसरी अमावस्या के बीच एक चन्द्र मास मे कोई सूर्य की संक्रान्ति लगती ही नही,वहीँ अधिकमास(मलमास) लग जाता है।
वस्तुतः सौरमास और चन्द्रमासों की विसंगति के कारण ही अधिकमास लगता है और इसीलिये इसे "मलमास" भी कहते है।
यही कारण है कि इसमें समस्त शुभ कार्य वर्जित रहते है।
श्रीहरिविष्णु ने इस मास को अपना नाम देकर बहुविध धार्मिक कार्यों को सम्पन्न करने का निर्देश दिया है।
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