Friday, October 25, 2024

A reflection on the dilemma of Diwali festival 2024 दीपावली पर्व 2024 के असमंजस पर एक चिंतन

 A reflection on the dilemma of Diwali festival 2024
दीपावली पर्व 2024 के असमंजस पर एक चिंतन




इस वर्ष दीपावली पर्व पर जितनी अधिक चर्चा की गयी उतना ही अधिक संशय उत्पन्न होता चला गया।
इसलिए कुछ विचार और उनके साथ ही कुछ प्रश्न भी उत्पन्न हो गए, उन्ही के ऊपर अपने विचार व्यक्त करते हुए मैंने अपना मन्तव्य स्पष्ट किया है।


जिस प्रकार सभी विद्वानों ने इस वर्ष दीपावली पूजन के विषय में अपने-अपने मत प्रस्तुत किए कि दीपावली किस आधार पर 31 अक्टूबर 2024 को माननी चाहिए और किस आधार पर 01 नवंबर 2024 को माननी चाहिए।


सभी विद्वत्जन किन्हीं ना किन्हीं धर्म ग्रंथो और उनमें दिए गए सूत्रों का आधार लेकर के बता रहे हैं।
जिससे यह स्पष्ट होता है कि अपनी-अपनी जगह पर दोनों ही ठीक है,क्योंकि धर्म शास्त्रों के सूत्र दोनों ही तरफ निर्णय दे रहे हैं।


अब मुख्य विषय यह है कि इनमें से कौन अधिक सही है यह निर्णय विद्वानों/पंचांगकर्ताओं/पंचांग के संपादकों को करना चाहिए था।
ना कि केवल अपना-अपना मत देना या अपना-अपना नजरिया बताने की आवश्यकता है।


चाहे वह विद्वत् परिषद हो, धर्मसभा हो, धर्मस्थल हो या व्यक्तिगत रूप से कोई भी ज्योतिष/आचार्य हो,
सभी को सम्मिलित रूप से अपना एक निर्णय देना चाहिए कि क्या 31अक्टूबर 2024 को दीपावली पर्व मानने पर 01 नवंबर 2024 को अंझा अर्थात् त्यौहार में एक दिन का अंतर/अंतराल/फासला/अवकाश रहेगा।
या फिर जन सामान्य इस बार दोनों ही दिन दीपावली पर्व को मनाकर माता लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त करके और अधिक आनंदित/समृद्ध होंगे?

क्योंकि दीपावली पर्व तो धनतेरस से प्रारम्भ होकर द्वितीया तिथि तक चलता है।


एक प्रश्न और उठता है, कि पंचांगों का अस्तित्व यहां पर क्या रह जाता है?


कोई पंचांग 31 अक्टूबर को दीपावली बताता है तो कोई पंचांग 01 नवंबर 2024 को दीपावली पर्व बताता है,यही स्थिति विद्वानों की भी है, 

तो हमारे यहां ऐसा कोई साधन नहीं है?

जिससे यह स्पष्ट हो सके कि दीपावली पर्व वास्तव में कब है?


मेरे अपने मत के अनुसार तो कार्तिक कृष्ण पक्ष की अमावस्या(दीपावली पर्व)को लेकर जितने भी सूत्र/शास्त्र वचन कहे गए हैं उन सबको एकत्र करके सभी विद्वानों/धर्म परिषद/सभाओं को स्पष्ट निर्णय लेना चाहिए और उसका स्पष्ट रूप से पालन होना चाहिए।


और फिर उन निर्देशों पर सबसे पहले पंचांगकर्ताओं/पंचांग संपादक गण को ध्यान देना होगा।


जिससे पंचांग जब प्रकाशित हो तभी सारे व्रत-पर्व स्पष्ट हों जिससे जनमानस में किसी भी व्रत-पर्व आदि को लेकर किसी भी प्रकार की भ्रांति उत्पन्न न हो।


और पंचांग की स्थिति भी स्पष्ट रहे।
हमारे समाज में तिथि/व्रत/पर्व आदि के निर्णय में मुख्य निर्णायक भूमिका पंचांग की ही होनी चाहिए।


मैंने जनसामान्य की भूमिका में अपना विचार व्यक्त किया है,अगर कोई त्रुटि हुई हो तो विद्वत् जन मुझे क्षमा करेंगें।


वैसे मैं तो दोनों ही दिन दीपावली पर्व पर पूजन करूँगा, अखण्ड दीप स्थापन करके माता लक्ष्मी को प्रसन्न करने का सार्थक प्रयास करूंगा।

और ऐसा ही सबको करने के लिए प्रेरित भी करुंगा।


निवेदन है कि सभी त्यौहारों को उनके वास्तविक स्वरूप में श्रद्धा के साथ एकजुट होकर मनाएं।और देवकृपा के लाभार्थी बने।


।।जय श्री कृष्ण।।

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Sunday, October 20, 2024

दीपावली पूजन 2024 dipawali pujan 2024

 दीपावली पूजन 2024







माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए इस बार दो दिन मनाएं दीपावली पर्व

दीपावली कार्तिक कृष्ण पक्ष प्रदोष व्यापिनी अमावस्या को मनाई जाती है। 

इस वर्ष संवत् 2081 में कार्तिक अमावस्या 31.10 .2024 गुरुवार को दिन में 03:54 से प्रारंभ होकर अगले दिन 01 .11.2024 शुक्रवार को सायंकाल 06:17 मिनट पर समाप्त हो जाएगी।


इस स्थिति में अमावस्या तिथि दोनो ही दिन प्रदोष काल में व्याप्त रहेगी।


कुछ ग्रंथकारों के अनुसार यदि कार्तिक मास की अमावस्या दोनों ही दिन प्रदोष काल में व्याप्त हो,तो ऐसी स्थिति में प्रतिपदा युक्त अमावस्या का ग्रहण करना अधिक श्रेष्ठ होता है।
इस तर्क के पीछे कारण पितृ कार्य भी है पितृ देव पूजन करने के बाद ही लक्ष्मी पूजन करना उचित कहा गया है।


पितृ देव पूजन से तात्पर्य है प्रातः काल में अभ्यंग स्नान, देव पूजन और अपराह्न में पार्वण कर्म,तत्पश्चात लक्ष्मी पूजन।


यदि दीपावली एक दिन पूर्व अर्थात 31 अक्टूबर को मनाई जाए तो यह सभी कर्म लक्ष्मी पूजन के बाद होंगे जो विपरीत दिशा निर्देश है। 


कारण  31 अक्टूबर 2024 को दोपहर बाद 03:54 मिनट से अमावस्या तिथि प्रारंभ हो रही है इसलिए यह कार्य शास्त्रोक्त नहीं होगा अतः दूसरे दिन ही अर्थात् 01नवम्बर 2024को दीपावली का पर्व शास्त्र नियम के अधीन मानना उचित रहेगा,ऐसा कुछ पंचांगकर्ताओं का मत है।


किन्तु यह सारे नियम व्यापारियों और जन सामान्य को ध्यान में रखकर बनाए गए हैं।
कार्तिक अमावस्या की रात्रि साधकों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण होती है।


कार्तिक अमावस्या की रात्रि में निशीथ कालीन वेला में साधक विशेष आराधनाएं,मंत्रानुष्ठान, पाठकर्म, श्रीयन्त्र आदि का निर्माण,यंत्रों की प्रतिष्ठा,महालक्ष्मी की विशेष पूजा आदि करते हैं।
उनके मत के अनुसार रात्रिकालीन अमावस्या ही श्रेष्ठ है।


तो ऐसी स्थिति में  उनके लिए 31 अक्टूबर 2024 को ही दीपावली पर्व मनाना उचित रहेगा।


इस प्रकार अलग अलग मतानुसार दोनों ही दिन लक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ माना जाएगा।


यह विशेष बात है कि इस बार हमें दो दिन लक्ष्मी पूजन के प्राप्त होंगें।


इसे माता लक्ष्मी की कृपा समझें और श्रद्धाभाव से पूजनलाभ प्राप्त करें न कि किसी संसय में पड़े।



दीपावली पर्व का विवरण:-


29/10/2024 भौम प्रदोष व्रत, धनतेरस, यमदीपदान, धन्वंतरि जयंती पर्व।


30/10/2024 मास शिवरात्रि, नरक चतुर्दशी, दीपदान।


31/10/2024 हनुमद्दर्शन,प्रदोष काल में लक्ष्मी गणेश स्थापना पूजन,दीपावली पर्व,(अखण्ड दीप स्थापन करें) रात्रिकालीन साधना।


01/11/2024 प्रदोष काल में पुनः लक्ष्मी पूजन, दीपमालिका (अखण्ड दीप स्थापन पूर्ण)।


02/11/2024 अन्नकूट, गोवर्धन पूजा, बलि पूजा।


03/11/2024 भाई दूज,यमद्वितीया, चित्रगुप्त पूजा, चन्द्र दर्शन।

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