वास्तु में ग्रह, दिशा तथा रंगो का मह्त्व
Importance of planets, direction and colors in Vastu
वास्तुशास्त्र के अनुसार ग्रहों और दिशा के साथ रंगो का भी अपना ही मह्त्व है। रंगो का हमारे व्यक्तित्व व मनःस्थिति पर बहुत प्रभाव पडता है। घर मे रंग सुंदरता के लिए प्रयोग किए जाते हैं ये रंग समृद्धि और सौम्यता भी लाते है। इन रंगो का हमारे शरीर में स्थित सातों चक्रों पर भी बहुत प्रभाव पडता है। रंगो से ही रोशनी मे कम्पन(Vibration) होती है और हमारा वातावरण प्रभावित होता है। रंग हमारे जीवन में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
कुछ रंग हमें उत्तेजित करते हैं, कुछ हमें क्रोधित करते हैं और कुछ रंग हमें शांत करते हैं। शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए रंगों का सही संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। शरीर में रंग विशेष की कमी या अधिकता के कारण शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। रंगो का वास्तु और ज्योतिष में बहुत महत्व है, हर ग्रह व दिशा का अपना एक अलग रंग है जो हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है रंगों के सही प्रयोग से ग्रहों को भी अनुकूल किया जा सकता है।
कुछ रंग हमें उत्तेजित करते हैं, कुछ हमें क्रोधित करते हैं और कुछ रंग हमें शांत करते हैं। शरीर और मन को स्वस्थ रखने के लिए रंगों का सही संतुलन बनाए रखना बहुत आवश्यक है। शरीर में रंग विशेष की कमी या अधिकता के कारण शारीरिक और मानसिक समस्याएं उत्पन्न हो जाती हैं। रंगो का वास्तु और ज्योतिष में बहुत महत्व है, हर ग्रह व दिशा का अपना एक अलग रंग है जो हमारे जीवन पर प्रभाव डालता है रंगों के सही प्रयोग से ग्रहों को भी अनुकूल किया जा सकता है।
लाल रंग – सूर्य और मंगल ग्रह लाल रंग के स्वामी है। लाल रंग कामावेग, अग्नि की गर्मी,संवेदनाओं, इच्छाओं, भावनाओं व क्रांति का प्रतीक है। वास्तुशास्त्र अनुसार यह दक्षिण दिशा का रंग है। जिन लोगो को यह रंग पसंद होता है वे विशाल हृदय के स्वामी, उदार उत्तम व्यक्तित्व गुणों वाले होते हैं। ऐसे लोग साहसिक जीवन जीते है।
सर्दियों मे घर के दक्षिणी और के खिड़कियों दरवाजे खोलकर रखें, इससे घर में काफी मात्रा में लाल रंग प्राकृतिक रूप से आ जाता है, लाल रंग घावों को जल्दी ठीक करता है।लेकिन पागल इंसान के लिए बहुत खतरनाक है। मंद बुद्धि लोगों, अविकसित मस्तिष्क
वाले और हीन भावना से ग्रस्त लोगों के लिए लाल रंग वरदान है यह सुस्त, काहिल,निष्क्रय लोगों को सक्रिय करता है।
पीला रंग – पीला रंग अग्नि में समाहित होता है यह रंग गुरू के ताप का गुण रखने वाले इस रंग में साहस, विद्धता और सात्विकता है। गुरू स्वर्ण अर्थात् सोने का स्वामी है।
यह रंग हमारे शरीर की गर्मी का संतुलन बनाए रखता है। यह आज्ञानरूपी अंधकार दूर करने वाली वैज्ञानिक बुद्धि का प्रतीक है। रहस्यवादी लोग अशुभता को दूर भगाने के लिए हल्दी से स्वास्तिक, ॐ,शंख,चक्र आदि पवित्र चिन्ह बनाते हैं। पीला रंग बच्चों को सक्रिय करता है,ऊर्जा से भरता है और सृजनात्मकता देता है।सुस्त मंदबुद्धि बच्चों के अध्ययन कक्ष के लिए यह रंग शुभ रहता है। यह रंग पक्के फलों, सब्जियों और अनाजों का प्रतीक है, इस प्रकार यह रंग धन-दौलत भौतिक सुख व समृद्धि से जुड़ा हुआ है। पीला रंग हमारे शरीर में कुंडलिनी के तीसरे चक्र यानि मणीपुर चक्र का स्वामी है। यह हमेशा संतुलित स्थिति में रहना चाहिए। गुरू का यह रंग गरीबी और बेहाली को दूर करता है।
बच्चों के कमरे व पूजा के कमरे में यह रंग इस्तेमाल कर सकते हैं। इसे रसोई घर के लिए भी उपयुक्त माना जाता है क्योंकि यह पेट और आंतों को तनाव रहित कर शांत
करता है, अत्यधिक मोटे या कफ प्रकृति के व्यक्ति को पीली किरणें ठीक करती हैं।
बृहस्पति को अच्छे करने के लिए पीला पुखराज सुनेहला या सुनहरी, पीले रंग का रत्न धारण करते हैं। यह मानसिकता को शांत करता है और पढ़ाई करने या सृजनात्मक कार्य हेतु कमरों बहुत उपयोगी रहता है।
हरा रंग – हरे रंग बुध का है जो पृथ्वी का प्रतीक है।
इसे हास्य व आशा से जोड़ा जाता है। हरा रंग बसंत ऋतु, आशा, प्रकृति, नए जीवन, कर्मठता और जवानी का रंग है। हरा रंग पसंद करने वाले लोग बुढ़ापे से घृणा करते हैं। ये लोग जल्दी-जल्दी काम करते हैं और चतुर स्वभाव व वाणिज्यिक योग्यता,प्रखर वक्ता, सट्टेबाजी और जुये की ओर इनका सहज रूझान होता है।हरे रंग की अल्पता से मानसिक रोग, हिस्टीरिया और स्नायु गड़बडि़यां पैदा होती है।
मानसिक रूप से पागल लोग हरे वातावरण में ठीक रहते हैं जैसे हरे रंग के कमरे, हरे रंग की चादर, हरे रंग के पर्दे हरा रंग आरामदायक व शांत होता है।
बुध का रंग होने से यह रंग पढ़ाई के कमरों के लिए यह रंग अच्छा माना जाता है। उत्तर दिशा में बने कमरों में यह रंग उपयुक्त है। शरीर में हरा रंग बढ़ाने के लिए ताम्बे की अंगूठी व हरा पन्ना पहन सकते हैं बुध को मज़बूत करने के लिए शरीर में हरा रंग धारण करें यह शांति और संतुलन की भावना पैदा करता है। यह दिमाग की नसों को तेज करता है। इस रंग को प्रकृतिक रंग भी कहते हैं। जो मानसिकता का संतुलन ठीक करता है।
इसे हास्य व आशा से जोड़ा जाता है। हरा रंग बसंत ऋतु, आशा, प्रकृति, नए जीवन, कर्मठता और जवानी का रंग है। हरा रंग पसंद करने वाले लोग बुढ़ापे से घृणा करते हैं। ये लोग जल्दी-जल्दी काम करते हैं और चतुर स्वभाव व वाणिज्यिक योग्यता,प्रखर वक्ता, सट्टेबाजी और जुये की ओर इनका सहज रूझान होता है।हरे रंग की अल्पता से मानसिक रोग, हिस्टीरिया और स्नायु गड़बडि़यां पैदा होती है।
मानसिक रूप से पागल लोग हरे वातावरण में ठीक रहते हैं जैसे हरे रंग के कमरे, हरे रंग की चादर, हरे रंग के पर्दे हरा रंग आरामदायक व शांत होता है।
बुध का रंग होने से यह रंग पढ़ाई के कमरों के लिए यह रंग अच्छा माना जाता है। उत्तर दिशा में बने कमरों में यह रंग उपयुक्त है। शरीर में हरा रंग बढ़ाने के लिए ताम्बे की अंगूठी व हरा पन्ना पहन सकते हैं बुध को मज़बूत करने के लिए शरीर में हरा रंग धारण करें यह शांति और संतुलन की भावना पैदा करता है। यह दिमाग की नसों को तेज करता है। इस रंग को प्रकृतिक रंग भी कहते हैं। जो मानसिकता का संतुलन ठीक करता है।
नीला रंग- यह रंग जल, विस्तार शांति का प्रतीक है यह ग्रहों में न्यायधीश शनि का रंग है। यह अनंत आकाश और विशाल सागरों का रंग है यह वृद्धि का प्रतीक है। यह
पवित्रता, शांति, न्याय, वफादारी व निश्चिंता का प्रतीक है। गहरी नींद के लिए यह शयनकक्ष मे शुभ रहता है।
गर्म क्षेत्रों में नीला रंग सर्वोत्तम रहता है। परन्तु रसोईघर में कभी नहीं करवाना चाहिए।
नीला रंग तनी हुई नसों को और पागलों की उत्तेजना को शांत करता है नील किरण-चिकित्सा से पागलपन फटाफट दूर हो जाता है। गर्मियों में हल्के नीले कपड़े बहुत अच्छे रहते हैं क्योंकि ये शरीर को ठंडा रखते हैं।
यह रंग धर्म, शांति, धैर्य का रंग है। प्रार्थना या ध्यान कक्ष के लिए भी यह रंग शुभ रहता है। गहरा नीला आसमानी रंग आध्यात्मिक और इंद्रिया शक्तियों की प्राप्ति में सहायक बनते हैं। स्नान घर में विभिन्न नीला रंग बहुत प्रभावी रहते हैं।
जल का रंग दिखाई देने वाला प्रकाश सात रंगों का एक मिश्रण है जो बैगनी नीले रंग,आसमानी, हरे, पीले, नारंगी, और लाल रंग में प्रकट होता है, ये रंग सूरज से निकलते हैं। ऊर्जा की विविध तीव्रताओं के साथ भिन्न तरंग तीर्थताओं में यात्राऐं करते हैं।
रंगों का दिशा के अनुसार प्रयोग Use of colors according to the direction
उत्तर-पूर्व- हल्का नीला
पूर्व- हरा या हल्का नीला
दक्षिण-पूर्व- नारंगी, गुलाबी
उत्तर- हरा, पिस्ता हरा
उत्तर-पश्चिम- सफेद, हल्का भूरा, क्रीम
पश्चिम- नीला, सफेद
दक्षिण-पश्चिम- पीच, मिट्टी का रंग, बिस्किट का रंग, हल्का भूरा
दक्षिण- लाल, पीला, गुलाबी
दिशाओं के अनुसार कमरे व रंग Rooms and colors according to directions
मास्टर बेडरुम: दक्षिण-पश्चिम (नीला रंग, गुलाबी)
ड्राईंग रुम: उत्तर-पश्चिम (सफेद)
बच्चो का कमरा: बडे बच्चे के लिए-उत्तर-पश्चिम (सफेद)
अध्ययन कक्ष: हरा
रसोई: दक्षिण-पूर्व (नारंगी,लाल, गुलाबी)
बाथरुम: उत्तर-दक्षिण (सफेद)
हॉल: उत्तर-पूर्व, उत्तर-पश्चिम (पीला, सफेद)
पूजा का कमरा: ईशान (पीला)
अन्य दिशा मे कमरे बने होने पर Having room in other direction
बेडरुम(शयनकक्ष): पिंक, लाईट ग्रीन, लाईट ब्लु और ब्राउन, बैंगनी
लिविंग रुम(बैठक): पीला, हरा, क्रीम, नीला, टैन, बेज़
रसोई: सफेद, नारंगी, पीच, भूरा, पीला, गुलाबी, लाल, चॉकलेट
बाथरुम (स्नानघर): सफेद, ग्रे, गुलाबी, पेस्टल
डाईनिंग(भोजन): हरा, गुलाबी, नीलाबैंगनी, पीच, पीला
बच्चो का कमरा: हल्का हरा, हल्का पीला
घर मे लाल, काले, गहरे पीले, थिसस रंग, भूरे, ग्रे आदि रंगो का प्रयोग सावधानी से करे।
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