जीवत्पुत्रिका (जिउतिया) व्रत 2019
Jeevattuprika (Jiutia) fast 2019
Jeevattuprika (Jiutia) fast 2019
जिउतिया व्रत भारतीय महिलाओं के लिए विशेष महत्व रखता है। इस व्रत को जीवत्पुत्रिका नाम से भी जाना जाता है। यह व्रत विशेष तौर पर संतान के लिए किया जाता है। इस व्रत को तीन दिन तक किया जाता है। महिलाएं व्रत के दूसरे दिन और पूरी रात में जल की एक बूंद भी ग्रहण नहीं करती हैं। यह व्रत विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार में किया जाता है।
जिउतिया व्रत की तारीख
पञ्चाङ्ग के अनुसार यह व्रत अश्विन मास कृष्ण पक्ष की सप्तमी तिथि से नवमी तिथि तक किया जाता है। इस वर्ष व्रत को लेकर अलग-अलग धारणाएं बन रही हैं। बनारस पंचांग के अनुसार 22 सितंबर को व्रत रखा जाएगा, वहीं विश्वविद्यालय पंचांग के अनुसार 21 सितंबर को व्रत रखा जाएगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार व्रत का समय 21 से 23 सितंबर तक है और व्रत का श्रेष्ठ दिन अष्टमी 22 सितंबर रविवार का है।
पूजा विधि
इस व्रत में तीन दिन तक उपवास किया जाता है। पहले दिन महिलाएं स्नान करने के बाद भोजन करती हैं और फिर दिन भर कुछ नहीं खाती हैं। व्रत का दूसरा दिन अष्टमी को पड़ता है और यही मुख्य दिन होता है। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं। व्रत के तीसरे दिन पारण करने के बाद भोजन ग्रहण किया जाता है।
व्रत-कथा
इस व्रत की कथा महाभारत काल से संबंधित है। महाभारत के युद्ध में अपने पिता की मौत का बदला लेने की भावना से अश्वत्थामा पांडवों के शिविर में घुस गया। शिविर के अंदर पांच लोग सो रहे थें। अश्वत्थामा ने उन्हें पाण्डव समझकर मार दिया, परंतु वे द्रोपदी की पांच संतानें थीं। फिर अुर्जन ने अश्वत्थामा को बंदी बनाकर उसकी दिव्य मणि ले ली।
अश्वत्थामा ने पुनः अपने अपमान का बदला लेने के लिए अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे बच्चे को मारने का प्रयास किया ।
और उसने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को नष्ट कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की गर्भस्थ मृत संतान को फिर से जीवित कर दिया। गर्भ में मरने के बाद जीवित होने के कारण उस बच्चे का नाम जीवत्पुत्रिका रखा गया। तब उस समय से ही संतान की लंबी उम्र के लिए जिउतिया का व्रत रखा जाने लगा।
और उसने ब्रह्मास्त्र से उत्तरा के गर्भ को नष्ट कर दिया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने उत्तरा की गर्भस्थ मृत संतान को फिर से जीवित कर दिया। गर्भ में मरने के बाद जीवित होने के कारण उस बच्चे का नाम जीवत्पुत्रिका रखा गया। तब उस समय से ही संतान की लंबी उम्र के लिए जिउतिया का व्रत रखा जाने लगा।
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