Thursday, June 13, 2019

माँ कात्यायनी देवी ma katyayani devi

आजकल कन्या के विवाह की समस्या प्रायः प्रत्येक गृहस्थ के समक्ष उपस्थित होती है।इसके लिए माता-पिता को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
शास्त्रों में वर्णित 'कात्यायनी देवी' का अनुष्ठान बड़ा ही अनुभूत व सिद्धिप्रद है।जनसाधारण की जानकारी व जनहित में इस मंत्र के अनुष्ठान की विधि दी जा रही है।इसके नियम व श्रद्धा पूर्वक करने या कराने से कन्या के विवाह में आने वाले विघ्न दूर होते हैं व विवाह सकुशल सम्पन्न हो जाता है।

                            माँ कात्यायनी

"चन्द्रहासोज्जवलकरा शार्दूलावरवाहना।

कात्यायनी शुभं दद्यादेवी दानव घातिनी॥"

श्री दुर्गा का षष्ठम् रूप श्री कात्यायनी। महर्षि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के षष्ठम दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। इनकी आराधना से भक्त का हर काम सरल एवं सुगम होता है।

इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है । इनका वाहन सिंह है।
ये बृजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं, गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी। विवाह सम्बन्धी मामलों के लिए इनकी पूजा अचूक होती है , योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है।
इनकी पूजा से इन मनोकामनाओं की पूर्ति होती है?
कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है
मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है
वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है
अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है
महिलाओं के विवाह से सम्बन्ध होने के कारण इनका भी सम्बन्ध बृहस्पति से है
दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध होने के कारण इनका आंशिक सम्बन्ध शुक्र से भी है
शुक्र और बृहस्पति , दोनों देवत्व प्राप्त तेजस्वी ग्रह हैं , इसलिए माता का तेज भी अद्भुत और सम्पूर्ण है
माता का सम्बन्ध कृष्ण और उनकी गोपिकाओं से रहा है , और ये बृज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं।

विवाह के बाद भी वैवाहिक जीवन में समस्या कई कारणों से हो सकती है ,
Even after marriage, there can be a problem in marital life for many reasons,
जैसे –
गुण मिलान किये बगैर विवाह करना
मांगलिक दोष का निवारण किये बिना विवाह करना
सप्तमेश की स्थिति कुंडली में ख़राब हो और उसका निदान ना करना
सप्तम भाव में शनि , राहू जैसे क्रूर ग्रह या किसी शुभ ग्रह का पाप भाव में होकर बैठना इत्यादि
यदि आपकी शादी में आ रही देरी, या रिश्ते टूट जाना
विवाह के बाद की समस्याएं, पति-पत्नी के रिश्ते में समस्या के कारण वैवाहिक जीवन यदि सुखमय नहीं है तो जीवन अत्यंत ही कठिन हो जाता है , इससे केवल पति – पत्नी ही परेशान नहीं होते बल्कि उनका पूरा परिवार इस समस्या से प्रभावित हो जाता है ।
कई बार देखा जाता है कि कुंडली में एक से अधिक दोष उपस्थित हैं तो ऐसे में एक ही प्रश्न सामने आता है कि क्या समाधान किया जाए?
यदि विवाह से पूर्व दोष की जानकारी हो जाये तो जिस ग्रह के कारण समस्या उत्पन्न हो उसकी शांति कराना पर्याप्त होता है , परन्तु यदि विवाह हो चुका है या एक से अधिक कारण हों तो माँ कात्यायनी का अनुष्ठान , विवाह बाधा को दूर करने का सर्वोत्तम उपाय है।

माँ कात्यायनी का अनुष्ठान कब प्रारम्भ करें?
When to start the Mother Katyayani ritual

माँ कात्यायनी का अनुष्ठान किसी भी माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि के बीच प्रारम्भ किया जा सकता है इसके अलावा प्रत्येक षष्ठी तिथि व शुक्रवार के दिन से भी अनुष्ठान प्रारंभ कर सकते हैं तथा नवरात्र का समय भी उत्तम होता है ।

शीघ्र विवाह के लिए करें माँ कात्यायनी की पूजा/अनुष्ठान?
Do the worship / ritual of Mother Katyayani for prompt marriage?

जिसे यह अनुष्ठान संपन्न करना है उसे पीला या लाल रंग का वस्त्र पहनकर 21 दिन अर्थात् जपकाल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
यह जप केले के सूखे पत्ते की आसनी पर बैठ कर कमलगट्टे की माला से किया जाता है।जप के मध्य में सरसों के तेल का दीपक जलते रहना चाहिए।
गोधूलि वेला के समय यानी जब सूर्यास्त हो रहा हो, तब इनकी पूजा करना सबसे अच्छा होता है
इस मंत्र का जप जपकर्ता को पान खाते हुए करना चाहिए।
इस जप का पुरश्चरण 41000 है।प्रथम दिन 1000 जाप करें व उसके बाद 20 दिनों तक प्रतिदिन 2000 मंत्र का जाप करें।
जपकाल में प्रतिदिन केले के पेड़ का पूजन पञ्चोपचार विधि से करें।साथ ही गाय के साथ में वंशी बजाते हुए भगवान श्री कृष्ण के चित्र का भी पूजन करें।
पूजन और भोग  में पीली वस्तुओं का प्रयोग  करना चाहिए।यथा-पीला चन्दन, पीला चावल, पीला फूल,पीली मिठाई आदि।
इसके बाद 3 गाँठ हल्दी की भी चढ़ाएं
माँ कात्यायनी के मन्त्र का जाप करें

माँ कात्यायनी मन्त्र Maa Katyayani Mantra

"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"

अनुष्ठान सम्पन्न होने पर हल्दी की गांठों को अपने पास सुरक्षित रख लें
माँ कात्यायनी को चांदी या मिटटी के पात्र में शहद अर्पित करें,इससे आपका प्रभाव बढेगा और आकर्षण क्षमता में वृद्धि होगी
अनुष्ठान के अन्त में दशांश हवन, तर्पण, मार्जन तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए।भोजन में पीली वस्तुओं का प्रयोग करें।

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