Thursday, February 7, 2019

Benefits of positive energy सकारात्मक ऊर्जा के लाभ

              सकारात्मक ऊर्जा के लाभ
         Benefits of positive energy 


हम अक्सर सकारात्मक(Positive)विचार के लिए प्रयासरत और नकारात्मक(Negetive) ऊर्जा से दूर  रहने की कोशिश करते रहते हैं।पर हमें ये पता नही चलता कि इससे क्या लाभ-हानि हो सकती है?
किसी का आदर-सत्कार करने से पहले यह सोचना कि मैं इसका आदर-सत्कार करूं या न करूं, यह अज्ञानता है।

किसी का आदर-सत्कार करना मिट्टी में फूलों के बीज डालने जैसा ही है।
एक बार मिट्टी में बीज चला गया तो हम चाहें या न चाहें प्रकृति उन बीजों को अंकुरित/पल्लवित-पुष्पित करके ही दम लेगी।
इसके लिए हमें विशेष कुछ नहीं करना पड़ता है,
लेकिन प्रसन्नता अवश्य मिलती है।
यह सहज है और इसके लिए मस्तिष्क को कोई मेहनत नही करनी पड़ती है।
इसके लिए सिर्फ एक भाव की जरूरत होती है कि मुझे सबका सम्मान करना है।
इस भाव की प्रतिक्रिया को कोई अस्वीकार भी नहीं करता।

किन्तु किसी के सम्मान की अस्वीकृति बड़ी कठिन होती है।
सम्मान की अस्वीकृति का अर्थ है किसी का अपमान अथवा उपेक्षा करना।
इसके लिए अत्यधिक ऊर्जा की जरूरत पड़ती है।
इतनी कि बाकी के कामों के लिए ऊर्जा बचती ही नहीं।
किसी का अपमान अथवा उपेक्षा करना सरल नहीं कठिन होता है,
क्योंकि इसके लिए मन में विशेष परिस्थितियों का निर्माण करना पड़ता है।
जब तक हम अपने मन में किसी के प्रति घृणा अथवा विद्वेष नहीं पालेंगे उसकी उपेक्षा अथवा अपमान कैसे कर पाएंगे?
किसी का अपमान करने के लिए हमें अपने अंदर जहर भरना होता है,
अपने आपको सुलगाना पड़ता है तब कहीं जाकर वह जहर, वह आंच आगे फैलती है।
जितना अधिक जहर होगा, जितनी अधिक आंच सुलगेगी उतनी ही अधिक ऊर्जा भी नष्ट होगी।
किसी का अपमान अथवा उपेक्षा मनुष्य की जीवनी शक्ति अथवा ऊर्जा का भयंकर दुरुपयोग है, अपव्यय है।

इससे अच्छे भले संबंध भी खराब हो सकते हैं। सिर्फ हो सकते हैं नहीं, हो जाते हैं।
यदि हमारे अंदर जहर ही जहर भरा हो, आग ही आग भरी हो,
तो वह कभी भी किसी पर गिर सकती है।
जब अंदर मिठास भरी हो तो वह भी किसी पर गिर सकती है,
लेकिन इसके गिरने से कोई नुकसान नहीं होता।
कई बार गलती से किसी पर यह मिठास गिर जाती है तो चमत्कार हो जाता है।
इससे ऊर्जा नष्ट नहीं होती, ऊर्जा स्तर और सुदृढ़ हो जाता है।
यदि हम अपनी ऊर्जा का सही प्रयोग करना चाहते हैं तो हमें बिना किसी भेद-भाव के सबका आदर करना शुरू कर देना चाहिए।
इससे न केवल बिगड़े हुए संबंधों को सुधारने में मदद मिलती है,
अपितु वर्तमान अच्छे संबंध और अधिक अच्छे व अर्थपूर्ण हो जाते हैं।
इसी में जीवन का वास्तविक आनंद है। यदि हम इस क्षेत्र में थोड़ा सा भी प्रयास करें तो चमत्कार घटित हो सकता है।
जीवन में कोई भी चमत्कार कोई दैवी घटना नहीं अपितु अपनी ऊर्जा को सही दिशा में प्रस्तुत करना ही है।
जीवन के हर क्षेत्र में सकारात्मक सोच ही चमत्कार उत्पन्न करने में सक्षम होती है।
साभार-

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