पूजा worship
पूजा के (अंग)प्रकार-
1-अभिगमन
2-उपादान
3-स्वाध्याय
4-इज्या
5-योग
1-देवता के स्थान को साफ करना,लीपना,और निर्माल्य हटाना आदि सब कर्म अभिगमन के अन्तर्गत आते हैं।
2-गन्ध,पुष्प आदि पूजन सामग्री का संग्रह करना उपादान कहलाता है।
3-जप करना,सूक्त,स्तोत्र आदि का पाठ करना,गुण,नाम का स्मरण करना स्वाध्याय है।
4-उपचारों के द्वारा आराध्य की पूजा करना इज्या है।
5-इष्टदेव की आत्मरूप से भावना करना योग है।
ये पाँचों अंग सारुप्य मुक्ति देने वाले हैं। भगवान की पूजा में रहस्य की बात यह है कि जहाँ पूजा में अपार समारोह के साथ राजोपचार आदि विधियों से विशाल वैभव का प्रयोग होता है।
वहीँ सरलता की दृष्टि में केवल जल,अक्षत आदि से भी परिपूर्णता मानी जाती है।और प्रभु की कृपा सहज में ही उपलब्ध हो जाती है।
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