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Friday, January 3, 2020

मृत संजीवनी मुद्रा

मृत संजीवनी मुद्रा  


यदि प्रत्येक व्यक्ति प्रतिदिन मात्र ३० मिनटों तक ‘मृत संजीवनी मुद्रा’ का अभ्यास करे, तो उससे उसका हृदय सशक्त होगा और उसको  हृदयघात (हार्ट अटैक) आने की संभावनाएँ न के बराबर होगी।

आजकल बहुत से लोगों में हृदयघात का झटका (हार्ट अटैक) आकर उसमें मृत्यु की मात्रा बढ़ी है । साथ ही युवावस्था में भी हृदयाघात का झटका आने की मात्रा भी प्रतिदिन बढ रही है । इसपर उपाय के रूप में प्रत्येक व्यक्ति यदि अपने हाथ की तर्जनी (अंगूठे से सटी उंगली) की नोक का तलुवे से स्पर्श करें तथा अंगूठा, मध्यमा और अनामिका (करांगुली से सटी उंगली) इन उंगलियों की नोकों को एक-दूसरे से लगाएं और यह मृत संजीवनी मुद्रा प्रतिदिन ३० मिनटोंतक करती है, तो उससे उसका हृदय सशक्त रहेगा तथा अकालीन हृदयघात का झटका आने की मात्रा निश्‍चितरूप से घटेगी । यह मुद्रा कर अनाहतचक्र अथवा हृदय के स्थान पर न्यास करने से उसका अधिक लाभ होगा ।
साभार

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Thursday, December 19, 2019

सिरदर्द का अनुभूत आयुर्वेदिक इलाज

 सिरदर्द का अनुभूत आयुर्वेदिक  इलाज


केवल सौंफ (fennel seed) का काढा 

 सौंफ को १ ग्लास पानी में आधा होने तक उबालें और उसको छान कर उसमें १ चम्मच शहद या honey मिला लें।

अब रोजाना कम से कम इसे २ बार पियो एक बार ब्रेकफास्ट के १ घंटे बाद और शाम को भोजन (dinner) से पहले, (सिरदर्द हो रहा हो उस समय तो पीना ही है) इस से ये १ महीने में  पूर्णतया आराम(permanent, cure )होगा।
किसी भी तरह का सिरदर्द दूर होगा।

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Tuesday, February 12, 2019

कमर दर्द के उपाय Waist Pain Remedies

                    कमर दर्द

आजकल शरीर में दर्द की समस्या बढ़ती जा रही है,इसमें एक है कमरदर्द।
यह समस्या आम हो गई है। सिर्फ बड़ी उम्र के लोग ही नहीं बल्कि युवा भी कमर दर्द की शिकायत करते रहते हैं। इसकी मुख्य वजह खानपान का ध्यान नहीं रखना,अनियमित जीवनशैली और शारीरिक श्रम न करना है।

अधिकतर लोगों को कमर के मध्य या निचले भाग में दर्द महसूस होता है। यह दर्द कमर के दोनों और तथा कूल्हों तक भी फ़ैल सकता है। बढ़ती उम्र के साथ कमर दर्द की समस्या बढ़ती जाती है।
कुछ आदतों को बदलकर इससे काफी हद तक बचा जा सकता है। साथ ही कुछ घरेलू नुस्खों को अपनाकर आप कमर दर्द से छुटकारा पा सकते हैं।

कमर दर्द के कुछ मुख्य कारण हैं।
There are some main causes of back pain.
जैसे:-

मांसपेशियों पर अत्यधिक तनाव।
Excessive stress on the muscles

अधिक वजन।Overweight

गलत तरीके से बैठना।
Sit in the wrong way

हमेशा ऊंची एड़ी के जूते या सेंडिल पहनना।
Always wear high heels or sandals.

गलत तरीके से अधिक वजन उठाना।
Wrong weight lifting

शरीर में लम्बे समय से बीमारियों का होना।
Disease in the body for a long time

अधिक नर्म गद्दों पर सोना।
Gold on more soft mattresses.

 कमर दर्द से बचने के घरेलू उपाय
Home remedies to avoid back pain

1. रोज सुबह सरसों या नारियल के तेल  गर्म कर लें। ठंडा होने पर इस तेल से कमर की मालिश करें।

2. नमक मिले गरम पानी में एक तौलिया डालकर निचोड़ लें। इसके बाद पेट के बल लेट जाएं। दर्द के स्थान पर तौलिये से भाप लें। कमर दर्द से राहत पहुंचाने का यह एक अचूक उपाय है।

3. कढ़ाई में दो-तीन चम्मच नमक डालकर इसे अच्छे से सेक लें। इस नमक को थोड़े मोटे सूती कपड़े में बांधकर पोटली बना लें। कमर पर इस पोटली से सेक करने से भी दर्द से आराम मिलता है।

4. अजवाइन को तवे के पर थोड़ी धीमी आंच पर सेंक लें। ठंडा होने पर धीरे-धीरे चबाते हुए निगल जाएं। इसके नियमित सेवन से कमर दर्द में लाभ मिलता है।

5. अधिक देर तक एक ही पोजीशन में बैठकर काम न करें। हर चालीस मिनट में अपनी कुर्सी से उठकर थोड़ी देर टहल लें।

6. नर्म गद्देदार सीटों से परहेज करना चाहिए। कमर दर्द के रोगियों को थोड़ा सख्ते बिस्तर बिछाकर सोना चाहिए।

7. योग भी कमर दर्द में लाभ पहुंचाता है। भुन्ज्गासन, शलभासन, हलासन, उत्तानपादासन, आदि कुछ ऐसे योगासन हैं जो की कमर दर्द में काफी लाभ पहुंचाते हैं। कमर दर्द के योगासनों को योगगुरु की देख रेख में ही करने चाहिए।

8. कैल्शियम की कम मात्रा से भी हड्डियां कमजोर हो जाती हैं, इसलिए कैल्शियमयुक्त चीजों का सेवन करें।

9. कमर दर्द के लिए व्यायाम भी करना चाहिए। सैर करना, तैरना या साइकिल चलाना सुरक्षित व्यायाम हैं। तैराकी जहां वजन तो कम करती है, वहीं यह कमर के लिए भी लाभकारी है। साइकिल चलाते समय कमर सीधी रखनी चाहिए। व्यायाम करने से मांसपेशियों को ताकत मिलेगी तथा वजन भी नहीं बढ़ेगा।

10. कमर दर्द में भारी वजन उठाते समय या जमीन से किसी भी चीज को उठाते समय कमर के बल ना झुकें बल्कि पहले घुटने मोड़कर नीचे झुकें और जब हाथ नीचे वस्तु तक पहुंच जाए तो उसे उठाकर घुटने को सीधा करते हुए खड़े हो जाएं|

11. कार चलाते वक्त सीट सख्त होनी चाहिए, बैठने का पोश्चर भी सही रखें और कार ड्राइव करते समय सीट बेल्ट टाइट कर लें।

12. ऑफिस में काम करते समय कभी भी पीठ के सहारे न बैठें। अपनी पीठ को कुर्सी पर इस तरह टिकाएं कि यह हमेशा सीधी रहे। गर्दन को सीधा रखने के लिए कुर्सी में पीछे की ओर मोटा तौलिया मोड़ कर लगाया जा सकता है।
साभार:-

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Monday, June 12, 2017

वीर्य - रक्षा के उपाय Semen - Measures for Defense

वीर्य - रक्षा के अमोघ उपाय


ब्रह्मचर्य पालन में निम्न प्रयोग मदद करेंगे
८० ग्राम आंवला चूर्ण
२०  ग्राम हल्दी चूर्ण का मिश्रण बना लो।
सुबह - शाम तीन - तीन ग्राम फांकने से ८-१० दिनों में ...ही शरीर में वर्ण , चेहरे में मुहासे या विस्फोट , नेत्रों के चत्रुदिक नीली रेखाएं,दुर्बलता, निद्रालुता , आलस्य ,उदासी , ह्रदय कंप ,निद्रा में मूत्र निकल जाना ,मानसिक अस्थिरता ,विचार शक्ति का अभाव ,दुश्वप्न ,स्वप्न दोष व मानसिक अशांति ।
उपरोक्त सभी रोगों को मिटाने का इलाज ब्रह्मचर्य है ।

"ॐ अर्यमाये नम:" मन्त्र ब्रह्मचर्य के लिए बड़ा महत्त्व पूर्ण है।

स्थल बस्ती- सवासन मे लेटकर स्वास बाहर निकालें और अश्विनी मुद्रा अर्थात गुदा द्वार का आकुचन -प्रसरण स्वास बाहर ही रोक कर करें ।ऐसे एक बार में ३०-३५ आकुंचन-प्रसरण करें ! तीन - चार बार स्वास रोकने में १००- १२० बार यह क्रिया हो जायेगी ।
यह ब्रह्मचर्य की रक्षा में खूब- खूब मदद करेगी ।
इससे व्यक्तित्व का विकास होगा, वात-पित्त-कफजन्य रोग भी दूर होंगे ।

किसी भी तरह की कमजोरी को दूर करने का अनुभूत प्रयोगSensible use to remove any kind of weakness


शुक्रवार के दिन पीपल के तने को दोनों हाथ से पकड़ कर कहे-" मुझे कल एक किलो छाल चाहिए मैं कल लेने आऊंगा"।।
शनिवार के दिन एक लोटा, पानी गाय का गोबर या माटी साथ में ले जाए।साथ ही कोई वस्तु जिससे छाल निकाली जा सके।
 छाल निकालें फिर पानी में गोबर या माटी सान कर कटी हुई जगह में लगा दें फिर उसी दिन 8 किलो पानी में उबालें जब 2 किलो पानी रह जाए तब इसमें 2 किलो शक्कर की चाशनी बना लें ।फिर दूध या पानी में 20 से 25 ग्राम तक यानी मीठा होने तक मिलाकर सुबह और शाम पियें।इस पेय से  हर प्रकार की कमजोरी दूर होती है और शरीर हृष्टपुष्ट होता है।
तथा शाम को एकत्रित पीपल वृक्ष के फल दूसरे दिन सूर्योदय से पहले बीनकर ले आयें।
फिर उन्हें छाया में सुखा कर आधा किलो चूर्ण में 100 ग्राम मिश्री,और 10 ग्राम कालीमिर्च पीसकर मिला लें।
इसे भी 5-10ग्राम इस पेय के साथ में लें।
इस तरह शारीरिक कमजोरी दूर हो जाती है।


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पीलिया

Wednesday, July 13, 2016

एसिडिटी एव पाचन की समस्या दूर करने का मन्त्र Mantra to remove acidity and digestive problems

एसिडिटी एव पाचन की समस्या दूर करने का मन्त्र

भाग दौड़ भरे जीवन में हम अक्सर अपनी अनदेखी कर देते हैं असमय खानपान आदि  कुछ समस्याएं हमे धीरे धीरे रोगी बनाती जाती हैं उन्ही समस्याओं में से एक एसिडिटी एव पाचन की समस्या है।
अतः मै आपको एक अनुभूत मंत्र बता रहा हूँ जो इस समस्या को धीरे धीरे जड़ से ख़त्म कर देगा आपको प्रतिदिन भोजन करने के बाद पेट पर हाथ घुमाते हुए इस मंत्र का 5 से 7 बार जप करना है -

 अगस्तम कुम्भ करणं च शनि च बडबानल आहार पाचनार्थाय स्मरेत् भीम् च पंचकम्.।।

Sunday, July 5, 2015

अनेक रोगनाशक त्रियोग Many disease disorders trio

अनेक रोगनाशक त्रियोग
अनेक रोगों का शामक एक त्रियोग, जो लोग कब्ज और पेट संबंधी बीमारियों से परेशान हैं, उनके लिए एक नायाब नुस्खा है त्रियोग। यह तीन चीजों का योग है जिसे मैथीदाना, अजवाइन और काली जीरी मिला कर बनाया जाता है। तीनों चीजें सहजता से उपलब्ध हैं और औषधिगुणों से भरपूर हैं।मैथीदाना(Fenugreek) 250 ग्राम, अजवाइन(celery) 100 ग्राम और काली जीरी(Vernonia Anthelmintica) 50 ग्राम लें।
तीनों को बारीक पीस कर चूर्ण बना लें। यह चूर्ण रोज आधा चम्मच मात्रा में रात को सोते समय गर्म पानी के साथ लिया जाए तो पेट के तमाम रोगों में फायदा करता है। कब्ज तो कोसों दूर हो जाता है। इसके साथपथ्य भी करें तो परिणाम बेहतर मिलते हैं। पथ्य अर्थात तली गुली चीजें, बेसन और मैदे से बनी चीजों से यथा संभव परहेज करें। भोजन में सलाद व रेशे वाले पदार्थ अधिक लें। यह नुस्खा गैस, अपच, भूख न लगना, भोजन के प्रतिअरुचि आदि रोगों में बेहद लाभ करता है।।। अन्य फायदे।।
1.गठिया दूर होता है
2.हड्डियां मजबूत होती हैं
3.आँखों की रोशनी बढ़ती है
4.बालों का विकास होता है
5.शरीर में रक्तसंचार तीव्र होता है
6.कफ से मुक्ति मिलती है
7.हृदय की कार्य क्षमता बढ़ती है
8.थकान नहीं रहेगी, अश्व के समान बल आएगा
9.स्मरण शक्ति बढ़ती है
10.शरीर की रक्तवाहिनियां शुद्ध होंगी
11.मधुमेह काबू में रहेगा
12.स्त्रियों में शादी के बाद होने वाली तकलीफें दूर होंगी
13.नपुंसकता दूर होगी, बच्चा होगा वह भी तेजस्वी होगा
14.त्वचा के रंग में निखार आएगा
15.जीवन निरोग, चिंता रहित और स्फूर्तिदायक बनेगातो आप भी आजमा कर देखिए। कई लोगों ने आजमाया और लाभ पाया है।कम से कम दो माह में अपेक्षित परिणाम मिलने लगेंगे।

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Thursday, April 23, 2015

गिलोय एक अमृत बेल Giloy is a nectar

गिलोय Giloy

गिलोय एक अमृत बेल है।इसलिए इसे  अमृता भी कहा जाता है। यह स्वयं भी नहीं मरती है और उसे भी मरने से बचाती है, जो इसका प्रयोग करे। कहा जाता है की देव दानवों के युद्ध में अमृत कलश की बूँदें जहाँ जहाँ पडी, वहां वहां गिलोय उग गई।
यह सभी तरह के व्यक्ति बड़े आराम से ले सकते हैं। ये हर तरह के दोष का नाश करती है।
कैंसर की बीमारी में 6 से 8 इंच की इसकी डंडी लें इसमें wheat grass का जूस और 5-7 पत्ते तुलसी के और 4-5 पत्ते नीम के डालकर सबको कूटकर काढ़ा बना लें।
इसका सेवन खाली पेट करने से aplastic anaemia भी ठीक होता है। इसकी डंडी का ही प्रयोग करते हैं पत्तों का नहीं, उसका लिसलिसा पदार्थ ही दवाई होता है।
डंडी को ऐसे  भी चूस सकते है . चाहे तो डंडी कूटकर, उसमें पानी मिलाकर छान लें, हर प्रकार से गिलोय लाभ पहुंचाएगी।
इसे लेते रहने से रक्त संबंधी विकार नहीं होते . toxins खत्म हो जाते हैं , और बुखार तो बिलकुल नहीं आता। पुराने से पुराना बुखार खत्म हो जाता है।
इससे पेट की बीमारी, दस्त,पेचिश,  आंव, त्वचा की बीमारी, liver की बीमारी, tumor, diabetes, बढ़ा हुआ E S R, टी बी, white discharge, हिचकी की बीमारी आदि ढेरों बीमारियाँ ठीक होती हैं ।
अगर पीलिया है तो इसकी डंडी के साथ-  पुनर्नवा  (साठी,  जिसका गाँवों में साग भी खाते हैं) की जड़ भी कूटकर काढ़ा बनायें और पीयें। kidney के लिए भी यह बहुत बढ़िया है।
गिलोय के नित्य प्रयोग से शरीर में कान्ति रहती है और असमय ही झुर्रियां नहीं पड़ती।
शरीर में गर्मी अधिक है तो इसे कूटकर रात को भिगो दें और सवेरे मसलकर शहद या मिश्री  मिलाकर पी लें।
अगर platelets बहुत कम हो गए हैं, तो चिंता की बात नहीं , aloevera और गिलोय मिलाकर सेवन करने से एकदम platelets बढ़ते हैं।
इसका काढ़ा यूं भी स्वादिष्ट लगता है नहीं तो थोड़ी चीनी या शहद भी मिलाकर ले सकते हैं. इसकी डंडी गन्ने की तरह खडी करके बोई जाती है इसकी लता अगर नीम के पेड़ पर फैली हो तो सोने में सुहागा है।
अन्यथा इसे अपने गमले में उगाकर रस्सी पर चढ़ा दीजिए।
देखिए कितनी अधिक फैलती है यह और जब थोड़ी मोटी हो जाए तो पत्ते तोडकर डंडी का काढ़ा बनाइये या शरबत। दोनों ही लाभकारी हैं।
यह त्रिदोशनाशक  है अर्थात किसी भी प्रकृति के लोग इसे ले सकते हैं।
गिलोय का लिसलिसा पदार्थ सूखा हुआ भी मिलता है। इसे गिलोय सत कहते हैं .
इसका आरिष्ट भी मिलता है जिसे अमृतारिष्ट कहते हैं। अगर ताज़ी गिलोय न मिले तो इन्हें भी ले सकते हैं।
ताजी गिलोय के छोटे-छोटे टुकड़े कर पानी में गला दिया जाता हे, गली हुई टहनियों को हाथ से मसलकर पानी चलनी या कपडे से छान  कर अलग किया जाता हे और स्थिर छोड़ दिया जाता हे अगले दिन तलछट (सेडीमेंट) को निथार कर सुखा लिया जाता हे


यही गिलोय  सत्व होता हे जो ओषधि के कडवेपन से भी मुक्त और पूर्ण लाभकारी होता हे बाज़ार में भी इसी नाम से मिलता हे।

सूखी गिलोय से भी सत्व निकला जा सकता हे पर वह मात्रा में कम निकलता हे,और कुछ कम गुणों वाला हो सकता हे।

गिलोय घन सत्व-शेष बचे हुए पानी को उबाल कर गाडा होने पर धुप में सुखा लिया जाता हे यह गिलोय घन सत्व होता हे यह भी दिव्य औषधि हे।  ये दोनों गिलोय सत्व एवं गिलोय घन सत्व'  बहुत उपयोगी पाउडर है जो  जड़ी बूटी गिलोय  के महान गुण क्षमता रखती हे  सकारात्मक बात यह हे कि इसकी  मामूली मात्रा  भी यह अद्भुत काम करती है। इससे गिलोय चूर्ण के रूप में न केवल अधिक मात्रा बचा जा सकता हे वहीँ कड़वाहट से भी छुटकारा मिल जाता हे।
इसे गुर्च भी कहते हैं । संस्कृत में इसे गुडूची या अमृता कहते हैं । कई जगह इसे छिन्नरूहा भी कहा जाता है क्योंकि यह आत्मा तक को कंपकंपा देने वाले मलेरिया बुखार को छिन्न -भिन्न कर देती है।

यह एक झाडीदार लता है। इसकी बेल की मोटाई एक अंगुली के बराबर होती है इसी को सुखाकर चूर्ण के रूप में दवा के तौर पर प्रयोग करते हैं। बेल को हलके नाखूनों से छीलकर देखिये नीचे आपको हरा,मांसल भाग दिखाई देगा । इसका काढा बनाकर पीजिये । यह शरीर के त्रिदोषों को नष्ट कर देगा । आज के प्रदूषणयुक्त वातावरण में जीने वाले हम लोग हमेशा त्रिदोषों से ग्रसित रहते हैं। त्रिदोषों को अगर मैं सामान्य भाषा में बताने की कोशिश करूं तो यह कहना उचित होगा कि हमारा शरीर कफ ,वात और पित्त द्वारा संचालित होता है । पित्त का संतुलन गडबडाने पर। पीलिया, पेट के रोग जैसी कई परेशानियां सामने आती हैं । कफ का संतुलन बिगडे तो सीने में जकड़न, बुखार आदि दिक्कते पेश आती हैं । वात [वायु] अगर असंतुलित हो गई तो गैस ,जोडों में दर्द ,शरीर का टूटना ,असमय बुढापा जैसी चीजें झेलनी पड़ती हैं । अगर आप वातज विकारों से ग्रसित हैं तो गिलोय का पाँच ग्राम चूर्ण घी के साथ लीजिये । पित्त की बिमारियों में गिलोय का चार ग्राग चूर्ण चीनी या गुड के साथ खालें तथा अगर आप कफ से संचालित किसी बीमारी से परेशान हो गए है तो इसे छः ग्राम कि मात्र में शहद के साथ खाएं । गिलोय एक रसायन एवं शोधक के र्रूप में जानी जाती है जो बुढापे को कभी आपके नजदीक नहीं आने देती है । यह शरीर का कायाकल्प कर देने की क्षमता रखती है। किसी ही प्रकार के रोगाणुओं ,जीवाणुओं आदि से पैदा होने वाली बिमारियों, खून के प्रदूषित होने बहुत पुराने बुखार एवं यकृत की कमजोरी जैसी बिमारियों के लिए यह रामबाण की तरह काम करती है । मलेरिया बुखार से तो इसे जातीय दुश्मनी है। पुराने टायफाइड ,क्षय रोग, कालाजार ,पुराणी खांसी , मधुमेह [शुगर ] ,कुष्ठ रोग तथा पीलिया में इसके प्रयोग से तुंरत लाभ पहुंचता है । बाँझ नर या नारी को गिलोय और अश्वगंधा को दूध में पकाकर खिलाने से वे बाँझपन से मुक्ति पा जाते हैं। इसे सोंठ के साथ खाने से आमवात-जनित बीमारियाँ ठीक हो जाती हैं ।गिलोय तथा ब्राह्मी का मिश्रण सेवन करने से दिल की धड़कन को काबू में लाया जा सकता है।

गिलोय का वैज्ञानिक नाम है--तिनोस्पोरा कार्डीफोलिया । इसे अंग्रेजी में गुलंच कहते हैं। कन्नड़ में अमरदवल्ली, गुजराती में गालो, मराठी में गुलबेल, तेलगू में गोधुची ,तिप्प्तिगा , फारसी में गिलाई,तमिल में शिन्दिल्कोदी आदि नामों से जाना जाता है। गिलोय में ग्लुकोसाइन, गिलो इन, गिलोइनिन, गिलोस्तेराल तथा बर्बेरिन नामक एल्केलाइड पाये जाते हैं। अगर आपके घर के आस-पास नीम का पेड़ हो तो आप वहां गिलोय बो सकते हैं । नीम पर चढी हुई गिलोय उसी का गुड अवशोषित कर लेती है ,इस कारण आयुर्वेद में वही गिलोय श्रेष्ठ मानी गई है जिसकी बेल नीम पर चढी हुई हो ।
किन्तु इसका आवश्यकता से अधिक प्रयोग नही करना चाहिए।

बवासीर एवं बादी मस्सों की दवा


नारियल के जटाओं के रेशे जलाकर कपड़े से छानकर एक काँच की शीशी में रख लें।
अब सुबह बिना कुछ खाए पिए एक छोटी कटोरी दही में एक चाय के चम्मच बराबर भस्म मिला कर घोल देवें।उसमें कुछ भी मसाला शक्कर इत्यादि ना डालें, और उसे पी लें। एक डेढ़ घंटे बाद चाय दूध नाश्ता इत्यादि ले सकते हैं दिन में दो बार भी कर सकते हैं।
दो तीन खुराक में रोग जड़ से मिट जाएगा खून बंद हो जाएगा मस्से की गोलियां अंदर तक की सूख जावेगीं अधिक से अधिक तीन-चार दिनों में तो रोग का नामोनिशान नहीं रहना चाहिए। यह अनुभूत औषधि है।

मधुमेह का इलाज treatment of diabetes


1-जामुन के हरे पत्ते
2-हरे नीम के कड़ुवे पत्ते
3-विल्वपत्र के पत्ते
4-तुलसी के पत्ते
अलग अलग लेकर समभाग में सूखे पत्तों को पीसकर मिलाकर रख लें।
प्रतिदिन प्रातःकाल एक चाय के चम्मच के बराबर चूर्ण प्रतिदिन पानी से लें।10 दिन में आपकी शुगर लगभग नियंत्रण में आ जाएगी।
नियमित रूप से सेवन करते रहना चाहिए।तो रोग हमेशा कम रहेगा।

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