जैसा कि पहले चन्द्रकालानल चक्र में बताया गया है कि हम नक्षत्र के आधार पर कैसे स्वयं अपना राशिफल ज्ञात कर सकते हैं।
इतना ही नहीं आप आगे कितने भी दिन का राशिफल देखकर अपने लक्ष्य या दिनचर्या में अनुकूल परिवर्तन कर सकते हैं
बस आपको अपना जन्म या नाम के नक्षत्र को एक बार याद कर लेना है उसके बाद जिस दिन का राशिफल आपको ज्ञात करना है उस दिन का नक्षत्र आपको ज्ञात करना होगा बड़ा ही आसान है।चन्द्र कालानल चक्र में 28 नक्षत्र लिए गए हैं। जबकि प्रचलन में 27 नक्षत्र ही होते हैं।तो आज हम बात करेंगे 28 वें नक्षत्र की जिसे अभिजित कहा जाता है।
अभिजित नक्षत्र
अभिजित भारतीय ज्योतिष में वर्णित एक नक्षत्र है। वर्तमान खगोलशास्त्र में वेगा नामक तारे को अभिजित की संज्ञा दी जाती है।
ज्योतिष शास्त्र में समस्त आकाश मंडल को 27 भागों में विभक्त कर प्रत्येक भाग का एक नाम(जो नक्षत्र कहा जाता है)रखा गया है। सूक्ष्मता से समझाने के लिए प्रत्येक नक्षत्र के चार भाग किए गए हैं जो चरण कहलाते हैं। अभिजित को 28वां नक्षत्र माना गया है और इसका स्वामी ब्रह्मा को माना गया है। इसमें जन्म लेने वाले लोग मकर राशि के अंतर्गत आते हैं। नक्षत्रों के वर्गीकरण में इसे उत्तराषाढ़ और श्रवण नक्षत्रों के बीच प्रक्षेपित किया जाता है।
अभिजित नक्षत्र उत्तरषाढ़ नक्षत्र का चतुर्थ पद एवं श्रवण नक्षत्र की प्रथम चार घटी से मिलकर बना है।अभिजित नक्षत्र को ज्योतिष शास्त्र में अत्यधिक शुभ माना गया है।
किन्तु तारा विचार, राशि विचार आदि में अभिजित नक्षत्र की गणना नही होती है इसलिए नक्षत्रों की संख्या 27 ही प्रसिद्ध है।
मुहूर्त के रूप में इसे दोपहर बारह बजे, दो घडी के लिए प्रतिदिन, माना जाता है। भगवान श्रीराम का जन्म इसी मुहूर्त में हुआ था।
आइए जानते हैं अभिजित नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक कैसे होते हैं?
अभिजित नक्षत्र में जन्म होने से जातक दृढ़ निश्चयी, उत्साही, प्रयोगवादी, आविष्कारक, शोधकर्ता, निर्भीक, कौशलपूर्ण, यात्रा प्रिय, प्रेमी स्वभाव, उदार हृदय मित्र समूह का अभिलाषी, सामाजिक रुचियों का धनी, अतिथि सत्कार करने में कुशल, सुखानुभूति का इच्छुक, आराम पसंद और विलास प्रेमी, प्रभावशाली व्यक्तित्व का स्वामी,तथा रचनात्मक कार्यों में व्यस्त रहने वाला होता है।
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