चन्द्र कालानल चक्र
chandra kalanala chakra
इस चक्र के द्वारा आप स्वयं अपना दैनिक राशिफल जान सकते हैं।
यह चक्र इक्षित दिन के लाभ और हानि, आराम और जीत आदि का आकलन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। जन्म नक्षत्र के अभिजीत सहित 28 नक्षत्रों उपयोग किया जाता है
इतना ही नही आप आगे कितने भी दिन का राशिफल देखकर अपना लक्ष्य या दिनचर्या में अनुकूल परिवर्तन कर सकते हैं।
बस केवल आपको अपना जन्म या नाम नक्षत्र को एक बार याद कर लेना है।उसके बाद जिस दिन का आपको राशिफल देखना है उस दिन का नक्षत्र आपको ज्ञात करना है।
और इस चक्र के द्वारा उस दिन की स्थिति आपको ज्ञात हो जाती है, की वो दिन आपके लिए कैसा रहेगा आप उसके अनुसार कार्य कर सकते हैं।
ये राशिफल आपका स्वयं अपना होगा ।
बाकी कैलेंडर आदि में सामान्य रूप से राशिफल निकाला जाता है जो पूर्णतया आपके लिए नही होता है, बस राशि अनुसार मिलता-जुलता है।
आइए जानते हैं इस चक्र का प्रयोग कैसे करें?Let's know how to use this cycle?
इस चक्र में त्रिशूल के मध्य जहाँ १ लिखा है वहाँ पर उस दिन का नक्षत्र लिखें फिर क्रमशः १-२-३-४-५ आदि क्रमशः संख्या अनुसार आगे के अभिजित सहित २८ नक्षत्रों के नाम लिखें।
इस तरह आपका विशेषकर जन्म नक्षत्र या नाम नक्षत्र देखिए चक्र के किस भाग में स्थित है।
आपका नक्षत्र यदि त्रिशूल पर मिले तो वह दिन कष्टप्रद, चिन्ता विषयक जाने। त्रिशूल के अलावा नीचे के गोलाकार वर्तुल के बाहर किसी स्थान पर आवे तो वह दिन सामान्य प्रतिफल समझें।
तथा गोलाकार वर्तुल के मध्य किसी स्थान पर आवे तो वह दिन शुभ संज्ञक जानें अर्थात् समस्या समाधान, शुभ संदेश, लाभ,आमदनी-यश सम्पदा, वैचारिक शक्ति विकास इष्ट जन से सहयोग की प्राप्ति,अभिनव दिशा पथ का संचारक प्रतीत होगा।
मूल अभिप्राय यह कि यदि आपका जन्म या नाम नक्षत्र त्रिशूल गत स्थित द्वादश नक्षत्र स्थान २८-१-२-७-८-९-१४-१५-१६-२१-२२-२३ नेष्ट अशुभ फल सूचक हैं।
इसी तरह ३-६-१०-१३-१७-२०-२४-२७ सामान्य फल सूचक हैं।
और ४-५-११-१२-१८-१९-२५-२६ अत्यंत शुभ सूचक हैं।
इस तरह आप अपना या किसी इष्टमित्र का किसी भी दिन का शुभाशुभ फल देख सकते हैं।
इस विषय पर शंका-समाधान आदि के लिए टिप्पणी कर सकते हैं।
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इस चक्र के द्वारा आप स्वयं अपना दैनिक राशिफल जान सकते हैं।
यह चक्र इक्षित दिन के लाभ और हानि, आराम और जीत आदि का आकलन करने के लिए प्रयोग किया जाता है। जन्म नक्षत्र के अभिजीत सहित 28 नक्षत्रों उपयोग किया जाता हैइतना ही नही आप आगे कितने भी दिन का राशिफल देखकर अपना लक्ष्य या दिनचर्या में अनुकूल परिवर्तन कर सकते हैं।
आइए जानते हैं इस चक्र का प्रयोग कैसे करें?Let's know how to use this cycle?
इस चक्र में त्रिशूल के मध्य जहाँ १ लिखा है वहाँ पर उस दिन का नक्षत्र लिखें फिर क्रमशः १-२-३-४-५ आदि क्रमशः संख्या अनुसार आगे के अभिजित सहित २८ नक्षत्रों के नाम लिखें।
इस तरह आपका विशेषकर जन्म नक्षत्र या नाम नक्षत्र देखिए चक्र के किस भाग में स्थित है।
आपका नक्षत्र यदि त्रिशूल पर मिले तो वह दिन कष्टप्रद, चिन्ता विषयक जाने। त्रिशूल के अलावा नीचे के गोलाकार वर्तुल के बाहर किसी स्थान पर आवे तो वह दिन सामान्य प्रतिफल समझें।
तथा गोलाकार वर्तुल के मध्य किसी स्थान पर आवे तो वह दिन शुभ संज्ञक जानें अर्थात् समस्या समाधान, शुभ संदेश, लाभ,आमदनी-यश सम्पदा, वैचारिक शक्ति विकास इष्ट जन से सहयोग की प्राप्ति,अभिनव दिशा पथ का संचारक प्रतीत होगा।
मूल अभिप्राय यह कि यदि आपका जन्म या नाम नक्षत्र त्रिशूल गत स्थित द्वादश नक्षत्र स्थान २८-१-२-७-८-९-१४-१५-१६-२१-२२-२३ नेष्ट अशुभ फल सूचक हैं।
इसी तरह ३-६-१०-१३-१७-२०-२४-२७ सामान्य फल सूचक हैं।
और ४-५-११-१२-१८-१९-२५-२६ अत्यंत शुभ सूचक हैं।
इस तरह आप अपना या किसी इष्टमित्र का किसी भी दिन का शुभाशुभ फल देख सकते हैं।
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