लोहड़ी 2020
Lohri 2020
लोहड़ी का धार्मिक महत्व
Religious importance of Lohri
हेमन्त और शिशिर ऋतु अर्थात् पौष-माघ के महीने में सिहरन पैदा करती ठंड में जलता हुआ अलाव बड़ी शान्ति और सकून देने वाला होता है।
इसी मौसम में किसानों को अपनी फसलों आदि के कामकाज से थोड़े फुर्सत के पल मिल जाते हैं, गेंहूं, सरसों, चने आदि की फसलें लहलहाने लगती हैं, किसानों के सपने सजने लगते हैं, उम्मीदें पलने लगती हैं। किसानों के इस उल्लास को लोहड़ी के दिन देखा जा सकता है। हर्षोल्लास से भरा, जीवन में नई स्फूर्ति, एक नई उर्जा, आपसी भाईचारे को बढ़ाने व अत्याचारी, दुराचारियों की पराजय एवं दीन-दुखियों के नायक, सहायक की विजय का प्रतीक है लोहड़ी का त्यौहार।
लोहड़ी का यह त्यौहार पंजाब के साथ-साथ हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्तमान में देश के अन्य हिस्सों में भी लोहड़ी पर्व लोकप्रिय होने लगा है।
इसी मौसम में किसानों को अपनी फसलों आदि के कामकाज से थोड़े फुर्सत के पल मिल जाते हैं, गेंहूं, सरसों, चने आदि की फसलें लहलहाने लगती हैं, किसानों के सपने सजने लगते हैं, उम्मीदें पलने लगती हैं। किसानों के इस उल्लास को लोहड़ी के दिन देखा जा सकता है। हर्षोल्लास से भरा, जीवन में नई स्फूर्ति, एक नई उर्जा, आपसी भाईचारे को बढ़ाने व अत्याचारी, दुराचारियों की पराजय एवं दीन-दुखियों के नायक, सहायक की विजय का प्रतीक है लोहड़ी का त्यौहार।
लोहड़ी का यह त्यौहार पंजाब के साथ-साथ हरियाणा, दिल्ली, हिमाचल प्रदेश व जम्मू-कश्मीर में भी पूरे उत्साह के साथ मनाया जाता है। वर्तमान में देश के अन्य हिस्सों में भी लोहड़ी पर्व लोकप्रिय होने लगा है।
लोहड़ी की कहानियां
Lohri Stories
Lohri Stories
इस त्योहार के मनाए जाने में वैसे तो कई मान्यताएं हैं, लेकिन सबसे प्रचलित मान्यता दुल्ला भट्टी की है। दुल्ला भट्टी की लोक कथा के अनुसार दुल्ला भट्टी मुगल शासकों के समय का एक बहादुर योद्धा था। एक गरीब ब्राह्मण की दो लड़कियों सुंदरी और मुंदरी के साथ स्थानीय मुगल शासक जबरदस्ती विवाह करना चाहता था, जबकि उनका विवाह पहले से कहीं और तय था। दुल्ला भट्टी ने लड़कियों को मुगल शासक के चंगुल से छुड़वाकर स्वयं उनका विवाह किया। उस समय उसके पास और कुछ नहीं था, इसलिए एक शेर शक्कर उनकी झोली में डाल कर उन्हें विदा किया। इसी कहानी को कई तरीके से पेश किया जाता है। किसी कहानी में दुल्ला भट्टी को अकबर के शासनकाल का योद्धा व पंजाब के नायक की उपाधि से सम्मानित बताया जाता है तो किसी कहानी में डाकू। लेकिन सभी कहानियों में समानता यही है कि दुल्ला भट्टी ने पीड़ित लड़कियों की सहायता कर एक पिता की तरह उनका विवाह किया। दुल्ला भट्टी की कहानी को आज भी पंजाब के लोक-गीतों में सुना जा सकता है।
सुंदरिए मुंदरिए हो.. तेरा कौण बिचारा
हो... दुल्ला भट्टी वाला हो
दुल्ले दी धी ब्याही हो
शेर शक्कर पाई हो...
पौराणिक कथा mythology
पौराणिक कथा के अनुसार, दक्ष प्रजापति की पुत्री सती के योगाग्नि-दहन की याद में यह अग्नि जलाई जाती है।
एक अन्य मान्यता के अनुसार, संत कबीर की पत्नी लोई से भी लोहड़ी को जोड़ा जाता है, जिस कारण पंजाब में कई स्थानों पर लोहड़ी को आज भी लोई कहा जाता है।
कैसे मनाते हैं लोहड़ी का त्यौहार? How do you celebrate the festival of Lohri?
लोहड़ी के दिन लकड़ियों व उपलों का छोटा सा ढेर बनाकर जलाया जाता है जिसमें मूंगफली, रेवड़ी, भुने हुए मक्की के दानों को डाला जाता है। लोग अग्नि के चारों और गीत गाते, नाचते हुए खुशी मनाते हैं व भगवान से अच्छी पैदावार होने की कामना करते हैं। अविवाहित लड़कियां-लड़के टोलियां बनाकर गीत गाते हुए घर-घर जाकर लोहड़ी मांगते हैं, जिसमें प्रत्येक घर से उन्हें मुंगफली रेवड़ी एवं पैसे दिए जाते हैं। जिस घर में बच्चा पैदा होता है उस घर से विशेष रुप से लोहड़ी मांगी जाती है।
दे माए लोहड़ी... जीवे तेरी जोड़ी
खोल माए कुंडा जीवे तेरा मुंडा
2020 में कब है लोहड़ी का त्योहार When is Lohri festival in 2020
सन 2020 में लोहड़ी का त्यौहार 13 जनवरी, सोमवार को पूरी धूम-धाम के साथ मनाया जायेगा।
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