Wednesday, April 1, 2020

माँ दुर्गा के नौ रूप Nine forms of maa durga

माँ दुर्गा के नौ रूप 

Nine forms of maa durga




1-प्रथम शैलपुत्री

आज के दिन का महत्व

नवदुर्गाओं में शैलपुत्री का सर्वाधिक महत्व है। और
इनकी शक्तियां अनन्त हैं।नवरात्र के प्रथम दिन इनकी पूजा की जाती है।पर्वतराज हिमालय के घर माँ भगवती अवतरित हुई, इसलिए इनका नाम शैलपुत्री पड़ा।अगर जातक शैलपुत्री का ही पूजन करें तो उन्हें नौ देवियों की कृपा प्राप्त होती है।इस दिन उपासना में साधक अपने मन को मूलाधार चक्र में स्थित करके साधना करते हैं।
मन्त्र-

वंदे वांछितलाभाय चन्द्रार्द्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम्।।

कौन सी मनोकामनाएं होती हैं पूरी?

शैलपुत्री के पूजन से संतान वृद्धि, धन व ऐश्वर्य की शीघ्र प्राप्ति होती है। माँ सर्व फलप्रदायिनी हैं।
आज का रंग

माता शैलपुत्री को लाल रंग अत्यंत प्रिय है अतः इन्हें लाल रंग की चुनरी, नारियल और मीठा पान भेंट  करें।

किस रंग के वस्त्र धारण करें?

भक्त पूजा के समय लाल और गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।

विशेषतः किस राशि के लिए शुभ है?

माँ शैलपुत्री सभी राशियों के लिए शुभ फल देने वाली हैं।मेष और वृश्चिक के लिए विशेष फलदायी हैं।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप
सम्पूर्ण जड़ पदार्थ भगवती शैलपुत्री का पहला स्वरूप हैं पत्थर मिट्टी जल वायु अग्नि आकाश सब शैल पुत्री का प्रथम रूप हैं। इस पूजन का अर्थ है प्रत्येक जड़ पदार्थ में परमात्मा को अनुभव करना।


2-द्वितीय ब्रह्मचारिणी


आज के दिन का महत्व

भगवती ब्रह्मचारिणी के पूजन से भगवान शिव भी प्रसन्न होते हैं।यम, नियम के बंधन से मुक्ति मिलती है। ब्रह्म को प्राप्त करने के लिए भगवती ने तपस्या की इसलिए उनका नाम ब्रह्मचारिणी पड़ा।
नवरात्र में दूसरे दिन इनकी पूजा अर्चना की जाती है।इस दिन साधक का मन स्वाधिष्ठानचक्र में अवस्थित होता है।इस चक्र में अवस्थित मन वाला योगी उनकी कृपा और भक्ति प्राप्त करता है।

मन्त्र
दधाना करपद्माभ्यामक्षमालाकमण्डलू।
देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा।।

कौन सी  मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

इनके पूजन से जातक को आधि और व्याधि रोगों से मुक्ति मिलती है।

आज का रंग श्वेत
माता को श्वेत रंग अत्यंत प्रिय है अतः भक्त पूजा के समय गुलाबी या श्वेत रंग के वस्त्र धारण करें।

किस राशि के लिए शुभ है?
सभी राशियों के शुभ। मिथुन और कन्या के लिए विशेष शुभ फलप्रदायिनी।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप
ब्रह्मचारिणी- जड़ में ज्ञान का प्रस्फुरण, चेतना का संचार भगवती के दूसरे रूप का प्रादुर्भाव है। जड़ चेतन का संयोग है। प्रत्येक अंकुरण में इसे देख सकते हैं।


3-तृतीय चन्द्रघण्टा


आज का महत्व
नवरात्र के तीसरे दिन इनके श्री विग्रह का पूजन किया जाता है।इनका स्वरूप परम शांति दायक और कल्याण कारी  है।इनके मस्तक पर घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र होने से इन्हें चन्द्रघण्टा कहा जाता है।इनका वाहन सिंह है।
माँ चन्द्रघण्टा के साधक और उपासक जहाँ जाते हैं, लोग उन्हें देखकर शान्ति और सुख का अनुभव करते हैं।नवरात्र के तीसरे दिन साधक का मन  मणिपुर चक्र में प्रविष्ट होता है।इनकी उपासना सद्यः फलदायी है।
इस देवी की कृपा से साधक को अलौकिक वस्तुओं के दर्शन होते हैं। दिव्य सुगंधियों का अनुभव होता है और कई तरह की ध्वनियां सुनाईं देने लगती हैं। इन क्षणों में साधक को बहुत सावधान रहना चाहिए।
देवी की आराधना से साधक में वीरता और निर्भयता के साथ ही सौम्यता और विनम्रता का विकास होता है। इसलिए हमें चाहिए कि मन, वचन और कर्म के साथ ही काया को विहित विधि-विधान के अनुसार परिशुद्ध-पवित्र करके चंद्रघंटा के शरणागत होकर उनकी उपासना-आराधना करना चाहिए।



मन्त्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकैर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चन्द्रघण्टेति विश्रुता।।

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?
माँ चन्द्रघण्टा की साधना से प्रेतबाधा या किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ता है।देवी साधक की सभी प्रकार से रक्षा करती हैं। शरीर में तेज बढ़ता है।अपने कर्मों में विशेष आत्मविश्वास मिलता है।विद्यार्थियों को साक्षात विद्या प्रदान करती हैं।

आज का शुभ रंग नारंगी

नारंगी रंग माता को अत्यंत प्रिय है।
अतः भक्त पूजा के समय सूर्य की आभा के समान रंग के वस्त्र धारण करें।

किस राशि के लिए शुभ 
सभी राशियों के लिए शुभ ।विशेष रूप से धनु और मीन राशि के लिए शुभफलदायी।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

चन्द्रघण्टा भगवती का तीसरा रूप है यहाँ जीव में वाणी प्रकट होती है जिसकी अंतिम परिणिति मनुष्य में बैखरी (वाणी) है।


4-चतुर्थ कूष्माण्डा


आज के दिन का महत्व

माँ दुर्गा के चौथे रूप का नाम कूष्माण्डा है।इनका निवास सूर्यलोक में है।कुम्हड़े की बलि इन्हें सर्वाधिक प्रिय है।इस दिन साधक का मन अनाहत चक्र में अवस्थित होता है।तीनो प्रकार के तापों की मुक्ति के लिए भी इनकी पूजा की जाती है।
भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। यह देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं।

मन्त्र

करोतु  सा  नः  शुभहेतुरीश्वरी।
शुभानि भद्राण्यभिहन्तु चापदः।।
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कुष्मांडा शुभदास्तु मे॥

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती है?
नवरात्र के चौथे दिन माँ कूष्माण्डा का पूजन करने से वंश वृद्धि होती है।उदर  रोग नही होते हैं।भक्तों को सुख समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं।

आज का शुभ रंग
माँ कूष्माण्डा को हरा और पीला रंग अत्यंत प्रिय है।
अतः साधक को काले रंग के वस्त्र छोड़कर कोई भी वस्त्र धारण करना चाहिए।

किस राशि के लिए शुभ?

सभी राशियों के लिए शुभ ।विशेषकर वृष और तुला राशि के लिए शुभ फलदायी हैं।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

कूष्माण्डा अर्थात अंडे को धारण करने वाली; स्त्री ओर पुरुष की गर्भधारण, गर्भाधान शक्ति है जो भगवती की ही शक्ति है, जिसे समस्त प्राणीमात्र में देखा जा सकता है।


5-पंचम स्कन्दमाता

आज के दिन का महत्व
माता के पांचवें स्वरूप को स्कन्दमाता कहा जाता है।इनकी उपासना से स्कन्द(कार्तिक) की उपासना अपने आप हो जाती है।इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में स्थित होता है।इनकी कृपा प्राप्त साधक का मुखमण्डल तेज और कान्ति से चमक उठता है,और उस पर दश महाविद्या और नौ दुर्गा की कृपा प्राप्त हो जाती है।कहते हैं कि इनकी कृपा से मूढ़ भी ज्ञानी हो जाता है।

मन्त्र
सिंघासनगता।  नित्यं   पद्माश्रितकरद्वया।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी।।

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

स्कन्दमाता की पूजा से वंश वेल फलती फूलती रहती है तथा राजभय नही प्राप्त होता है।
इनकी उपासना से भक्त की सारी इच्छाएं पूरी हो जाती हैं। भक्त को मोक्ष मिलता है।
उनकी पूजा से मोक्ष का मार्ग सुलभ होता है। यह देवी विद्वानों और सेवकों को पैदा करने वाली शक्ति है। यानी चेतना का निर्माण करने वालीं हैं।

आज का शुभ रंग 

देवी स्कन्दमाता को लाल व स्वर्ण आभा  वाला रंग प्रिय है।
अतः साधक को चाहिए कि वह पूजा के समय लाल,गुलाबी व पीत रंग के वस्त्रों को धारण करें।

कौन सी राशियों को शुभ ?
सभी राशियों को शुभ।मकर और कुम्भ राशि के लिए विशेष लाभ प्रदान करने वाली।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

स्कन्दमाता- पुत्रवती माता-पिता का स्वरूप है अथवा प्रत्येक पुत्रवान माता-पिता स्कन्द माता के रूप हैं।


6- षष्ठम कात्यायनी

आज के दिन का महत्व
माँ दुर्गा के छठे स्वरूप का नाम कात्यायनी है।कात्यायन ऋषि के यहाँ जन्म लेने के कारण इनका नाम कात्यायनी पड़ा।इन्हें शत्रुहंता भी कहा जाता है।इनकी आराधना से आठो प्रकार की सिद्धि प्राप्त होती है।इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में अवस्थित होता है।
मन्त्र
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा    शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

इनकी पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुन्दर वर की प्राप्ति होती है तथा विवाह में आने वाली समस्त बाधाओं का नाश होता है।इनकी उपासना और आराधना से भक्तों को बड़ी आसानी से अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष चारों फलों की प्राप्ति होती है। उसके रोग, शोक, संताप और भय नष्ट हो जाते हैं। जन्मों के समस्त पाप भी नष्ट हो जाते हैं। इसलिए कहा जाता है कि इस देवी की उपासना करने से परम पद की प्राप्ति होती है।

आज का शुभ रंग
माँ कात्यायनी को हरित और वसन्ती रंग अत्यंत प्रिय है।
अतः भक्त पूजा के समय पिले या सफेद रंग के वस्त्र धारण करें।

किस राशि के लिए शुभ?
सभी राशियों के लिए शुभ।विशेषकर कन्या और मिथुन राशि के लिए फलदायी हैं।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

कात्यायनी- के रूप में वही भगवती कन्या की माता-पिता हैं। यह देवी का छठा स्वरुप है।


7-सप्तम कालरात्रि


आज के दिन का महत्व

माँ दुर्गा की सातवीं शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती है।इनके शरीर का रंग घने अंधकार की तरह एकदम काला है। नाम से ही स्पष्ट है कि इनका रूप भयानक है। सिर के बाल बिखरे हुए हैं और गले में विद्युत की तरह चमकने वाली माला है। अंधकारमय स्थितियों का विनाश करने वाली शक्ति हैं कालरात्रि। काल से भी रक्षा करने वाली यह शक्ति है।
इनका स्वरूप देखने में जितना भयंकर है, ये उतना ही शुभ फल देती हैं।इसलिए इनका नाम शुभंकारी भी है।ये दुष्टों का नाश करने वाली हैं।दानव,दैत्य,भूत, प्रेत,आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं।ये ग्रह बाधाओं को भी दूर कर देती हैं।सातवें दिन इनकी उपासना की जाती है, इस दिन साधक का मन सहस्रार चक्र में स्थित होता है।माँ के इस स्वरूप को अपने हृदय में धारण कर एकनिष्ठ भाव से उनकी आराधना करनी चाहिए

मन्त्र
जयन्ती मंगला काली  भद्रकाली  कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।।
एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।
लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥
वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी॥

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

माँ कालरात्रि का पूजन करने से साधक को किसी तरह का भय व्याप्त नही होता है।उसे कभी आसुरी शक्तियां परेशान नहीं कर सकती हैं।साधक की मति निर्मल और विचार उच्च हो जाते हैं, इस तरह सभी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
कालरात्रि की उपासना करने से ब्रह्मांड की सारी सिद्धियों के दरवाजे खुलने लगते हैं और तमाम असुरी शक्तियां उनके नाम के उच्चारण से ही भयभीत होकर दूर भागने लगती हैं। इसलिए दानव, दैत्य, राक्षस और भूत-प्रेत उनके स्मरण से ही भाग जाते हैं। यह ग्रह बाधाओं को भी दूर करती हैं और अग्नि, जल, जंतु, शत्रु और रात्रि भय दूर हो जाते हैं। इनकी कृपा से भक्त हर तरह के भय से मुक्त हो जाता है।

आज का शुभ रंग

माता कालरात्रि का वस्त्र बाघम्बरी है।उन्हें कृष्ण रंग प्रिय है।
अतः साधक पूजा के समय नीले रंग के वस्त्र धारण करें।

किस राशि के लिए शुभ 
सभी राशियों के लिए शुभ।
मीन और सिंह राशि के लिए विशेष फलप्रदायिनी।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

कालरात्रि- देवी भगवती का सातवां रूप है जिससे सब जड़ चेतन मृत्यु को प्राप्त होते हैं ओर मृत्यु के समय सब प्राणियों को इस स्वरूप का अनुभव होता है।भगवती के इन सात स्वरूपों के दर्शन सबको प्रत्यक्ष सुलभ होते हैं परन्तु आठवां ओर नौवां स्वरूप सुलभ नहीं है।



8-अष्टम महागौरी

आज के दिन का महत्व
माता की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है।नवरात्र के आठवें दिन इनकी पूजा का विधान है।इनकी उपासना से भक्तों के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।भविष्य में पाप-संताप,दैन्य-दुःख उसके पास कभी नहीं आते।इनका ध्यान सर्वाधिक कल्याणकारी है।यह सौभाग्य की सूचक हैं तथा इनके पूजन से सभी नौ देवियाँ प्रसन्न होती हैं।
मन्त्र
श्वेते वृषे समारुढा श्वेताम्बर धरा शुचि:।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।

कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

महागौरी का पूजन करने से स्त्री उपासकों को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।साधक व्याधि मुक्त रहते हैं।यह अमोघ फलदायिनी हैं और इनकी पूजा से भक्तों के तमाम कल्मष धुल जाते हैं। पूर्वसंचित पाप भी नष्ट हो जाते हैं। महागौरी का पूजन-अर्चन, उपासना-आराधना कल्याणकारी है। इनकी कृपा से अलौकिक सिद्धियां भी प्राप्त होती हैं।

आज का शुभ रंग 
माता महागौरी का प्रिय रंग शुभ्र अर्थात् सफेद रंग है।
अतः भक्त पूजा के समय सफेद,पीले या गुलाबी रंग के वस्त्र धारण करें।

किस राशि के लिए शुभ

सभी राशियों के लिए शुभ।विशेषकर कर्क और मीन राशि के लिए  अति उत्तम फलदायी हैं।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

भगवती का आठवां स्वरूप महागौरी गौर वर्ण का है।

9-नवम सिद्धिदात्री

आज के दिन का महत्व
माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री हैं। ये सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली हैं।नवरात्र के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है।
देवी के दाहिनी तरफ नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल का पुष्प है।इनका वाहन सिंह है और यह कमल पुष्प पर आसीन होती हैं।नवरात्र में यह अंतिम देवी हैं। हिमाचल के नंदापर्वत पर इनका प्रसिद्ध तीर्थ है।
मान्यता है कि इनकी पूजा करने से बाकी देवीयों कि उपासना स्वंय ही हो जाती है।
यह देवी सर्व सिद्धियां प्रदान करने वाली देवी हैं। उपासक या भक्त पर इनकी कृपा से कठिन से कठिन कार्य भी आसानी से संभव हो जाते हैं। अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व आठ सिद्धियां होती हैं। इसलिए इस देवी की सच्चे मन से विधि विधान से उपासना-आराधना करने से यह सभी सिद्धियां प्राप्त की जा सकती हैं।
मंत्र:
सिद्ध गन्धर्व यक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।
सेव्यमाना सदा भूयाात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी।।


कौन सी मनोकामनाएं पूरी होती हैं?

साधक को सभी सिद्धियों की प्राप्ति हो जाती है। सृष्टि में कुछ भी उसके लिए अगम्य नहीं रह जाता है। ब्रह्मांड पर पूर्ण विजय प्राप्त करने की सामर्थ्य उसमें आ जाती है।
इनकी साधना करने से लौकिक और परलौकिक सभी प्रकार की कामनाओं की पूर्ति हो जाती है। मां के चरणों में शरणागत होकर हमें निरंतर नियमनिष्ठ रहकर उपासना करनी चाहिए। इस देवी का स्मरण, ध्यान, पूजन हमें इस संसार की असारता का बोध कराते हैं और अमृतत्व की ओर ले जाते हैं।
आज का शुभ रंग
देवी कोटि सूर्य  आभा के समान अनेक वर्णो और अलंकृतो से युक्त हैं।
अतः साधक को चाहिए कि नीले और काले रंग के वस्त्रों को छोड़कर अन्य वस्त्र धारण कर देवी की उपासना करें।


किस राशि के लिए शुभ ?

माता सिद्धिदात्री  सभी राशियों के लिए समान फलप्रदायिनी हैं।सभी का कल्याण करती हैं।
मिथुन राशि के लिए विशेष फलदायी हैं।

प्रकृति में भगवती का स्वरूप

भगवती का नौंवा रूप सिद्धिदात्री है। यह ज्ञान अथवा बोध का प्रतीक है, जिसे जन्म जन्मांतर की साधना से पाया जा सकता है। इसे प्राप्त कर साधक परम सिद्ध हो जाता है। इसलिए इसे सिद्धिदात्री कहा है।


माँ भगवती नवदुर्गा का स्वरूप आयुर्वेद में Mother Bhagwati Navadurga's form in Ayurveda


विद्वत्मतानुसार ब्रह्माजी के दुर्गा कवच में वर्णित नवदुर्गा नौ विशिष्ट औषधियों में भी विद्यमान हैं।

(1) प्रथम शैलपुत्री (हरड़) : कई प्रकार के रोगों में काम आने वाली औषधि हरड़ हिमावती है जो देवी शैलपुत्री का ही एक रूप है। यह आयुर्वेद की प्रधान औषधि है। यह पथया, हरीतिका, अमृता, हेमवती, कायस्थ, चेतकी और श्रेयसी सात प्रकार की होती है। 


(2) ब्रह्मचारिणी (ब्राह्मी) : ब्राह्मी आयु व याददाश्त बढ़ाकर, रक्तविकारों को दूर कर स्वर को मधुर बनाती है। इसलिए इसे सरस्वती भी कहा जाता है।


(3) चन्द्रघण्टा (चंदुसूर) : यह एक ऎसा पौधा है जो धनिए के समान है। यह औषधि मोटापा दूर करने में लाभप्रद है इसलिए इसे चर्महंती भी कहते हैं। 


(4) कूष्माण्डा (कुम्हड़ा, पेठा) : इस औषधि से पेठा मिठाई बनती है। इसलिए इस रूप को पेठा कहते हैं। इसे कुम्हड़ा भी कहते हैं जो रक्त विकार दूर कर पेट को साफ करने में सहायक है। मानसिक रोगों में यह अमृत समान है। 


(5) स्कन्दमाता (अलसी) : देवी स्कन्दमाता औषधि के रूप में अलसी में विद्यमान हैं। यह वात, पित्त व कफ रोगों की नाशक औषधि है। 


(6) कात्यायनी (मोइया) : देवी कात्यायनी को आयुर्वेद में कई नामों से जाना जाता है जैसे अम्बा, अम्बालिका व अम्बिका। इसके अलावा इन्हें मोइया भी कहते हैं। यह औषधि कफ, पित्त व गले के रोगों का नाश करती है।


(7) कालरात्रि (नागदौन) : यह देवी नागदौन औषधि के रूप में जानी जाती हैं। यह सभी प्रकार के रोगों में लाभकारी और विशेषकर मन एवं मस्तिष्क के विकारों को दूर करने वाली औषधि है।


(8) महागौरी (तुलसी) : तुलसी सात प्रकार की होती है सफेद तुलसी, काली तुलसी, मरूता, दवना, कुढेरक, अर्जक और षटपत्र। ये रक्त को साफ कर ह्वदय रोगों का नाश करती है। 


(9) सिद्धिदात्री (शतावरी) : दुर्गा का नौवां रूप सिद्धिदात्री है जिसे नारायणी या शतावरी कहते हैं। यह बल, बुद्धि एवं विवेक के लिए उपयोगी है।


Related topics-

● श्री वन-दुर्गा मन्त्र-विधान Srivan-Durga Mantra-Vidhan

● माँ कात्यायनी देवी ma katyayani devi

● दुर्गा सप्तशती के सात सौ प्रयोग Seven hundred experiments of Durga Saptashati

● नवरात्र Navratra





No comments:

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...