मनुष्य का अर्थ Meaning of human
विकसित मन वाले व्यक्ति को ही मनुष्य कहना चाहिए। जीवन में प्रत्येक पल पर मन का प्रभाव देखा जाता है। मन की प्रधानता होने के कारण ही इस शरीर का नाम मनुष्य है।
मनुष्य अपने विचारों के कारण ही बंधन अथवा मोक्ष में पड़ता है, विचारों को एक उद्देश्य पर केंद्रित करने से ही शक्ति उत्पन्न होती है।
अतः जैसे विचारों का मनन, चिन्तन, या मन में निवास होगा,वैसी ही इच्छा शक्ति उत्पन्न होगी।
यदि आपके विचार नीरसता के,विषय वासना, व्यर्थ खेलकूद, मनोरंजन, सैर सपाटा, क्षणिक आनंद के हैं,तो शक्ति भी वैसी ही होगी।
जिनके विचार क्षण-क्षण बदलते रहते हैं, वे भला कैसे आगे बढ़ेंगे।
जहां विचार दृढ़ और संशय रहित हैं वहाँ शक्ति प्रबल और तीव्र होती है। विचारों में स्थिरता और टिकाऊपन दृढ़ता और श्रद्धा से आता है। इसके लिए मन में सत्वगुण की प्रधानता होनी चाहिए।
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