Monday, January 20, 2020

सूर्यकालानल चक्र Surya kalanal Chakra


सूर्यकालानल चक्र Surya kalanal Chakra


सूर्य कालानल चक्र

 सूर्यकालानल चक्र का प्रयोग हम दैनिक प्रश्न गत यात्रा शत्रु विजय आदि में प्रयोग करते है 
सूर्य काला नल चक्र के द्वारा पिता से सम्बन्ध पिता का सुख सहयोग पिता का स्वास्थ्य अदि का विचार करते है । 
सूर्य कलानल चक्र तर्क, साजिश और युद्ध के परिणामों को जानने और बीमारियों से पीड़ित व्यक्तियों के लिए बनाया गया है।  
इसे हर संक्रांति के दिन बनाया जाना चाहिए यानी जिस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है।
सूर्य कालानल चक्र दो प्रकार से बनते है ।
● प्रथम जन्म कालीन सूर्य काला नल चक्र जो जन्मलग्न, चन्द्रलग्न,और सूर्यलग्न को मिलाकर बनाया जाता है।
●दूसरा प्रश्न कालीन सूर्य काला नल चक्र जो तत्कालीन सूर्य नक्षत्र के अनुसार बनता है
सूर्य कालानल चक्र का फल निम्न प्रकार से है ।
त्रिशूल वाली रेखाओ में नीचे मूल में क्रमशः चिंता, बंधन
दोनों श्रृंगो में पडे तो रोग होने की सम्भावना
तीनो त्रिशूल में पडे तो मृत्यु तुल्य कष्ट और पराजय
अन्य स्थान विजयी व शुभ धन लाभ अभीष्ट की सिद्धि कार्य सफलता ।
ग्रहों का वेध गोचर कालीन कालानल चक्र में त्रिशूल मूल और श्रिंग इत्यादि अशुभ स्थानों में जो ग्रह बैठते है उनका वेध माना जाता है ।
यदि चंद्रमा का वेध होता है तो मनसिक कष्ट, मंगल का वेध होतो धन हानि,शनि का वेध रोग पीड़ा, राहु केतु का वेध मृत्यु तुल्य कष्ट, शुक्र का वेध हो तो रत्न लाभ मित्र लाभ,  गुरु का वेध हो तो धन लाभ, बुध का वेध हो तो सभी प्रकार के सुख लाभ।
सूर्य कलानल चक्र का निर्माण आकृति में किया गया है जैसा चित्र में दिखाया गया है।
नक्षत्र जिसमें सूर्य को अस्त किया जाता है, नंबर 1 पर रखा जाता है
अभिजीत सहित शेष 27 नक्षत्रों को संख्यात्मक क्रम (दक्षिणावर्त) में रखा जाना चाहिए जैसा कि चित्र में दिखाया गया है।
परिणाम जन्म नक्षत्र के अलग-अलग स्थान के लिए सारणीबद्ध किए गए हैं।
सूर्य के नक्षत्र से 1, 2 या 28 वें भाग में जन्म नक्षत्र का अर्थ है कि जातक को भय / चिंता / भय का अनुभव होगा।
और 3,4, 8 वीं, 10 वीं, 20 वीं, 22 वीं, 26 वीं या 27 वीं संख्या में स्थित होने पर  सभी क्षेत्रों में लाभ का अनुभव होगा।
पश्चिम से पूर्व तक के छह नक्षत्र यानी 5 वें, 6 वें, 7 वें, 23 वें, 24 वें और 25 वें दिन भी यही परिणाम आएंगे।अर्थात् शुभ फल प्राप्त होगा।
दो नक्षत्र, अर्थात्, 9 वीं और 21 वीं बीमारी का इलाज करना आदि दर्शाता है।
यदि 11वीं, 12वीं, 13वीं, 14 वीं 15 वीं 16 वीं 17 वीं 18 वीं और 19वीं में दुर्लभ मामलों में मृत्यु की भविष्यवाणी की जा सकती है।  इस तरह के निष्कर्ष पर पहले से सावधानी बरतनी चाहिए।

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