आओ मिलकर बनाये नववर्ष 2020 में सभी को आर्थिक, मानसिक, और सामाजिक रूप से समृद्ध
पञ्चतत्त्व नवग्रह गायत्री के माध्यम से
क्षिति जल पावक गगन समीरा।
ये भारतीय दर्शन में सभी पदार्थों के मूल माने गए हैं। आकाश (Space) , वायु (Quark), अग्नि (Energy), जल (Force) तथा पृथ्वी (Matter) - ये पंचमहाभूत माने गए हैं जिनसे सृष्टि का प्रत्येक पदार्थ बना है।
ये ही हमारे सुख-दुःख का कारण है और इनका संचालन ग्रहों के द्वारा किया जाता है।
कलयुग में गायत्री अर्थात शक्ति ही कारक है इसलिए तत्वक्रम से ग्रहों की गायत्री मंत्र के प्रयोग से इन्हें प्रसन्न कर अपने अनुकूल बनाएं।
जिससे वर्ष भर कोई बाधा या तनाव हमे न सताये यदि वर्तमान में कोई परेशानी हो तो वह अपने आप दूर हो जाए और हम निरंतर उन्नति की ओर अग्रसर होते रहे:-
(रात को सोते समय बिस्तर पर और सो कर उठते समय बिस्तर पर ही पहले प्रार्थना तीन बार पढ़े।)
सर्वप्रथम तीन बार प्रार्थना करें,
प्रार्थना:-
"किसी भी काल मे जाने अनजाने हमसे या हमारे पूर्वजों से कोई गलती हुई हो उसे क्षमा करे हमारी आर्थिक स्थिति सही करे पूरे परिवार को स्वस्थ करे हमे श्राप मुक्त करे हमे ऋण मुक्त करे"
तत्पश्चात पञ्च तत्वक्रमानुसार प्रत्येक गायत्री मंत्र,सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय,विष्णु गायत्री पढ़े।
तथा उद्देश्य विशेष की पूर्ति हेतु 108 बार पढ़े।
पंचतत्व नवग्रह गायत्री मन्त्र
प्रथम् वायु तत्व
राहु गायत्री
ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि; तन्नः राहुः प्रचोदयात् ।
केतु गायत्री
ॐ गदाहस्ताय विद्महे अमृतेशाय धीमहि, तन्नः केतुः प्रचोदयात् ।
शनि गायत्री
ॐ सूर्यपुत्राय विद्महे मृत्युरुपाय धीमहि, तन्नः सौरिः प्रचोदयात् ।
द्वितीय जल तत्व
चन्द्र गायत्री
ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृततत्वाय धीमहि, तन्नश्चन्द्रः प्रचोदयात् ।
शुक्र गायत्री
ॐ भृगुसुताय विद्महे दिव्यदेहाय धीमहि, तन्नः शुक्रः प्रचोदयात् ।
तृतीय अग्नि तत्व
भौम गायत्री
ॐ अङ्गारकाय विद्महे शक्तिहस्ताय धीमहि, तन्नो भौमः प्रचोदयात् ।
सूर्य गायत्री
ॐ भास्कराय विद्महे महातेजाय धीमहि, तन्नः सूर्यः प्रचोदयात् ।
चतुर्थ पृथ्वी तत्व
बुध गायत्री
ॐ सौम्यरुपाय विद्महे बाणेशाय धीमहि, तन्नो बुधः प्रचोदयात्,।
पञ्चम आकाश तत्व
गुरू गायत्री
ॐ आङ्गिरसाय विद्महे दण्डायुधाय धीमहि, तन्नो जीवः प्रचोदयात्।
सञ्जीवनी महामृत्युञ्जय
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
विष्णु गायत्री
ॐ नारायणाय विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।
Related topics-
●नए वर्ष 2020 को बनाएं भाग्यशाली,करें ग्रहों को अपने अनुकूल अपनाएं कुछ साधारण उपाय
● गायत्री संग्रह gaayatree sangrah
● कलियुग में माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए एक चमत्कारी उपाय A miraculous way to get the blessings of Mother Mahalakshmi in Kali Yuga
No comments:
Post a Comment