कलियुग में माता महालक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए एक चमत्कारी उपाय
A miraculous way to get the blessings of Mother Mahalakshmi in Kali Yuga
प्रस्तुत लेख पिछले गायत्री संग्रह नामक शीर्षक में दिया है,उसी का कुछ परिष्कृत अंश प्रस्तुत है।
दीपावली पर्व पर महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए तथा अपने को ऊर्जावान बनाये रखने और जीवन की विभिन्न समस्याओं के निवारण हेतु हम इसका प्रयोग कर सकते है।
दीपावली में मुख्य रूप से गणेश और लक्ष्मी जी का पूजन होता है,इनकी सोना,चाँदी या पीतल की मूर्तियाँ स्थापित करे।साथ ही हनुमान और कुबेरादि का पूजन किया जाता है।अभाव में माटी की मूर्तियाँ रख सकते हैं।
● हनुमान जी असीमित शक्तियों के स्वामी होते हुए भी हमेशा सेवक धर्म का पालन करते रहे अतः इनका पूजन करने से हमारे अन्दर अहंकार की भावना नही आती है,और हम सफलता की नित नई सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं।
● गणेश जी इनके बड़े-बड़े कान और उदर में सब समाहित हो जाता है,अपनी सूंड़ से ये स्थिति को पहले से ही भाँप लेते हैं।और इनका वाहन चूहा छोटी से छोटी और गंदी जगहों में भी चला जाता है।अर्थात् व्यापारी को हमेशा बड़े कान और पेट वाला होना चाहिए, ताकि वो सबकी सुन सके और ग्राहक उससे संतुष्ट हो।साथ ही अवसर को वो दूर से ही भाँप ले।
और छोटी और साधारण जगहों से भी वो व्यापारिक लाभ ले सकें।
और छोटी और साधारण जगहों से भी वो व्यापारिक लाभ ले सकें।
● लक्ष्मी जी अर्थात् लक्ष्य में लगा हो मन जिसका उसी के पास ये आती हैं।
● कुबेर अर्थात् स्थायित्व।लक्ष्मी किसी के पास रुकती नही हैं, उन्हें स्थिर रखने के लिए कुबेर जी की शरण मे जाना पड़ता है।
● और अन्त में संजीवनी अर्थात् स्वास्थ्य की रक्षा तभी हम जीवन के सारे सुखों का रसास्वादन कर पाएंगे।
।।दीपावली पूजन की विशेष विधि ।।
Special method of Deepawali worship
सबसे पहले नवग्रह गायत्री का पाठ कर ले।(देखें गायत्री संग्रह)
दीपावली पूजन:- पांच दियाली रखे।और पांचो में कपूर और एक-एक जोड़ा फूलवाली लौंग रखें।
● पहली दियाली का कपूर जलाकर हनुमान गायत्री का पाठ करे।।कम से कम ग्यारह या एक सौ आठ बार।।
हनुमान गायत्री:-
ॐ रामदूताय च विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो हनुमत् प्रचोदयात्।।
● इसी तरह दूसरी दियाली का कपूर जलाकर गणेश गायत्री ग्यारह या एक सौ आठ बार पढ़ें।।
गणेश गायत्री:-
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्ति:प्रचोदयात्।।
● तीसरी दियाली का कपूर जलाकर लक्ष्मी गायत्री का ग्यारह या एक सौ आठ बार पाठ करें।
लक्ष्मी गायत्री:-
ॐ महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी: प्रचोदयात्।।
● चौथी दियाली का कपूर जलाकर कुबेर गायत्री का ग्यारह या एक सौ आठ बार पाठ करें।।
कुबेर गायत्री:-
ॐ यक्षराजाय विद्महे वैश्रवणाय धीमहि तन्नो कुबेर:प्रचोदयात्।।
● और पांचवी दियाली का कपूर जलाकर सञ्जीवनी महामृत्युंजय का कम से कम ग्यारह या एक सौ आठ बार पाठ करे।
सञ्जीवनी महामृत्युंजय:-
ॐ तत्सवितुर्वरेण्यं त्रयंम्बकंयजामहे भर्गोदेवस्य धीमहि सुगन्धिम्पुष्टिवर्धनम् धियो यो नः प्रचोदयात् ऊर्वारूकमिव बंधनान्मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ।।
दियाली परिवार का हर व्यक्ति अलग-अलग या मिलकर भी जला सकते है।
नोट:- लौंग देवी देवताओं का भोजन है, और कपूर हमारे घर के वास्तु दोषों का नाश कर देता है।
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