हरितालिका तीज व्रत निर्णय
यह व्रत भाद्रपद, शुक्ल,तृतीया हस्त नक्षत्र में किया जाता है।
यदि तृतीया तिथि में सूर्योदय होकर तृतीया के बाद चतुर्थी हो जाए और हस्त नक्षत्र न भी हो तो तृतीया तिथि और चतुर्थी तिथि के योग में व्रत करें लेकिन द्वितीया और तृतीया तिथि के योग में व्रत नहीं करेंगें-
● माधवी में आपस्तम्ब-
चतुर्थी सहिता या तु सा तृतीया फलप्रदा।
अवैधवयकरा स्त्रीणां पुत्रपौत्रप्रवर्धिनी।।
● द्वितीया के साथ दोष-
द्वितीया शेषसंयुक्तां या करोति विमोहिता।
सा वैधव्यमाप्नोति प्रवदन्ति मनीषिणः।।
● व्रतराज एवं निर्णय सिन्धु-
मुहूर्तमात्र सत्वेपि व्रतं गौरी दिने परे।।
अर्थात सूर्योदय के बाद यदि एक मुहूर्त भी तृतीया तिथि है तो गौरी का हरितालिका व्रत उसी दिन किया जाएगा।
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