Sunday, April 9, 2017

एक आस An excursion

विश्वास का सम्बल न टूटे,
साहस मुझसे न रूठे,
थकूँ गिरुं पर उठता रहूँ
हो जाऊँ लहूलुहान,पर मन न हो म्लान,
करता रहूँ संघर्ष,न हो अमर्ष,
तुम्हारी प्रेमपगी दृष्टि ही
दे मुझे आशीर्वाद
मिटें सारे अवसाद,ले सकू संकल्प
करू क्षार-क्षार हर अंधकार-अवरोध
सम्भव हो सके सत्य बोध।
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