Monday, February 11, 2019

जानें- कब होती है कुष्मांडा देवी की पूजा, क्या है पूजा विधि? Know- When is the worship of Kushmanda Devi, what is the worship method?


माँ कूष्माण्डा देवी  भगवती दुर्गा का चौथा स्वरुप हैं।अपनी हल्की हंसी के द्वारा ब्रह्मांड को उत्पन्न करने के कारण इनका नाम कूष्माण्डा हुआ। ये अनाहत चक्र को नियंत्रित करती हैं।
मां की आठ भुजाएं हैं।
अतः ये अष्टभुजा देवी के नाम से भी विख्यात हैं. संस्कृत भाषा में कुष्मांडा  को कुम्हड़ कहते हैं और इन्हें कुम्हड़ा विशेष रूप से प्रिय है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध बुध नामक ग्रह से है।

जानें- कब होती है कूष्माण्डा देवी की पूजा, क्या है पूजा विधि?


Know- When is the worship of Kushmanda Devi, what is the worship method?

नवरात्रि के नौ दिनों में देवी के 9 रूपों की पूजा की जाती है।ये माँ का चौथा रूप है अतः चौथे दिन नवरात्रि में इनका पूजन होता है।

क्या है देवी कूष्माण्डा की पूजा विधि?

What is Goddess Kushmanda worship method?

- हरे वस्त्र धारण करके मां कूष्माण्डा का पूजन करें।
- पूजा के दौरान मां को हरी इलाइची, सौंफ,या कुम्हड़ा अर्पित करें।
- इसके बाद उनके मुख्य मंत्र "ॐ कूष्माण्डा देव्यै नमः" का 108 बार जाप करें।
- सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें।

बुध को मजबूत करने के लिए  करें मां कूष्माण्डा की पूजा?

To strengthen Mercury, worship of Mother Kushmanda?

- मां कूष्माण्डा को  अपने उम्र के वर्षों की सँख्या के अनुसार हरी इलायची अर्पित करें।
- हर इलाइची अर्पित करने के साथ "ॐ बुं बुधाय नमः" और "ॐ कूष्माण्डाय नमः" कहें।
- सारी इलाइचियों को एकत्र करके हरे कपड़े में बांधकर रख लें।
- इन्हें अपने पास अगली नवरात्रि तक सुरक्षित रखें।
-पुनः अगले नवरात्रि में यही क्रिया करें, और पुरानी इलायची को किसी को दान कर दें।

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