श्रावण माह की पूर्णिमा को बहुत ही शुभ व पवित्र मानते हैं।इस दिन रक्षा बंधन का पवित्र त्यौहार भी मनाया जाता है,बहनें अपने भाईयों के हाथ पर राखी बाँधकर उनसे रक्षा का वचन लेेती हैं।
श्रावणी उपाक्रम श्रावण शुक्ल पूर्णिमा को आरम्भ होता है। श्रावणी कर्म का विशेष महत्त्व है इस दिनयज्ञोपवीत के पूजन तथा उपनयन संस्कार का भी विधान है.
ब्राह्मण वर्ग अपनी कर्म शुद्धि के लिए उपक्रम करते हैं।इस दिन यजुर्वेदी द्विजों का उपाकर्म होता है, उत्सर्जन, स्नान-विधि, सप्तॠषि-पूजन तर्पणादि करके नवीनयज्ञोपवीत धारण किया जाता है।
वृत्तिवान ब्राह्मण अपने यजमानों को यज्ञोपवीत तथा राखी देकर दक्षिणा लेते हैं।
पुराणों के अनुसार गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर श्री अमरनाथ की पवित्र छडी यात्रा का शुभारंभ होता है और यह यात्रा श्रावण पूर्णिमा को संपन्न होती है। कांवडियों द्वारा श्रावण पूर्णिमा के दिन ही शिवलिंग पर जल चढया जाता है और उनकी कांवड़ यात्रा संपन्न होती है।
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