Tuesday, August 2, 2016

आज्ञाचक्र aagyaachakra

आज्ञाचक्र aagyaachakra


मनुष्य का शरीर शक्तियों का भण्डार है।
इन शक्तियों को समझ कर इनका भरपूर लाभ उठाया जा सकता हैे। यूँ तो पूरे शरीर में सात चक्र हैं उनमें आज्ञा चक्र भी एक नाम आता है। यह चक्र मस्तक के बीच दोनों भौहों के मध्य में स्थित है, जहाँ सब लोग बिंदी या तिलक लगाया करते हैं।यह अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है।
आज्ञा चक्र के साधक सदा निरोग, सम्मोहक और त्रिकालदर्शी माने जाते हैं। कुंडलिनी के इसी आज्ञा चक्र को योग साधनाओं द्वारा जागृत करके किसी भी स्त्री /पुरुष का भुत भविष्य देखा जा सकता है। वर्तमान/तत्काल वह क्या सोंच रहा है यह आसानी से पता लगाया जा सकता है।
पुरे शरीर में स्थित, लौह तत्व अधिकांश मात्रा मे आज्ञा चक्र पर ही स्थित होता है इस कारण चुम्बकीय प्रभाव भी यही पर होता है।

अतः जब इस चक्र का जब हम ध्यान करते हैं तो हमारे शरीर में एक विशेष चुम्बकीय उर्जा का निर्माण होने लगता है उस उर्जा से हमारे अन्दर के दुर्गुण ख़त्म होकर, आपार एकाग्रता की प्राप्ति होने लगती है। विचारों में दृढ़ता और दृष्टि में चमक पैदा होने लगती है। तत्पश्चात जहाँ कहीं भी अपनी दृष्टि जाती है तो वहां के बारे में या उसके बारे में अंतर्रुपी ढंग से ज्ञान-अनुभव होने लगता है कि, सच्चाई क्या है।सामने वाले पुरुष या स्त्री के मन में क्या है बिना बताये पता लग जाता है।
आपके प्रति उसके अन्दर कैसी भावना है। वह आपके लिए नुकसानदायक है या फायदेमंद। ये सब कुछ जानकारी मिल जाती है और यह जीवन की बहुत बड़ी उपलब्धि होती है, जब आप अपने आज्ञाचक्र को जागृत करने का प्रयत्न करेंगे। सौभाग्य से आपकी आज्ञाचक्र जागृत हो जाता है तो दुनिया में आपके लिए कुछ भी असंभव नहीं रह जाएगा, इसके जागरण से पूरा शरीर सम्मोहन की उर्जा से आप्लावित हो जाता है जिससे किसी बीमार व्यक्ति को स्पर्श करके ही रोग मुक्त कर सकते हैं। किसी अपराधी प्रवृति के युवक या युवती की गलत सोंच को ख़त्म कर उसे सही राह पर लाया जा सकता है। रात दिन तनाव में रहने वाले व्यक्ति को तनावमुक्त जा सकता है। किसी की उलझी हुई गुथियों को सुलझाया जा सकता है। नशा पान करने वालों को पूर्ण स्वस्थ किया जा सकता है।

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