खरमास
सनातन धर्म में खरमास का विशेष महत्व है। इसमें किसी भी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों का अभाव हो जाता है। खरमास के प्रारंभ होते ही हर प्रकार के मांगलिक कार्य भी स्थगित कर दिए जाते हैं।
आइए आज हम जानते हैं क्या होता खरमास और क्या है इसका महत्व....
सूर्य के धनु या फिर मीन राशि में गोचर करने की अवधि खरमास कहलाती है।
कुछ लोग खरमास और मलमास को एक ही समझते हैं, ऐसा नहीं है।
खरमास के दौरान नियमों का पालन करना जरूरी होती है।इस दौरान कुछ चीजों का उल्लेख किया गया है कि क्या करें और क्या न करें?
खरमास में क्या करें-
● खरमास के दिनों में भगवान भास्कर की पूजा और उपासना करने से साधक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
● कहा गया है कि खरमास में भगवान विष्णु की पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है। साथ ही घर में यश-वैभव का आगमन होता है।
● धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इन दिनों में गौमाता, गुरुदेव,सन्तजनों की सेवा और पुराणों का श्रवण करना चाहिए इससे शुभ फल की प्राप्ति होती है।
● खरमास के दौरान नियमित रूप से भगवान भास्कर को लाल रंग युक्त जल का अर्ध्य दें। साथ ही, सूर्य मंत्र का जाप करना लाभदायी है।
● खरमास में गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य अनुसार दान अवश्य करें।
खरमास में क्या न करें-
● इस समयकाल में मांगलिक कार्य नही होते हैं,इसलिए इन दिनों में कोई भी शुभ कार्य न करें।
● तामसिक भोजन से बचें।
● किसी से वाद-विवाद न करें।
● खरमास में बेटी या बहू की विदाई नहीं करनी चाहिए।
●कारोबार/व्यवसाय का श्रीगणेश न करें।
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