Monday, April 19, 2021

तीन गुण और यक्ष प्रश्न

 तीन गुण और यक्ष प्रश्न


अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना बहुत कठिन क्यों लगता है?

क्यों हम अपनी इच्छाओं से उपर नहीं उठ पाते? क्यों छोटी छोटी बातें हम अवसाद से त्रस्त कर देती हैं?

जीवन में हम अपने अलावा चाहकर भी क्यों नहीं सोच पाते?

यौन इच्छाओं को नियंत्रित करना इतना कठिन क्यों है?


यह पूरी पृथ्वी तीन गुणों से घिरी हुई है सतोगुण रजोगुण और तमोगुण अगर विज्ञान की बात करो तो विज्ञान में हमें बताया है कि प्रोटोन न्यूट्रॉन और इलेक्ट्रॉन।


प्रोटोन मतलब सतोगुण -positive


न्यूट्रॉन मतलब रजोगुण -neutral


इलेक्ट्रॉन मतलब तमोगुण-negative


हर किसी में है उसके पुराने जन्मों का कुछ ना कुछ गुण होता है आप उसको बोल सकते हो पॉजिटिव ,नेगेटिव या इक्वल, इसी कारण देखा जाता है कि कोई बचपन से ही बहुत अच्छे स्वभाव का होता है क्योंकि उसमें पॉजिटिव यानी कि सतोगुण होता है


दूसरे नंबर पर आता है रजोगुण और ज्यादातर लोग इसी गुण के अंदर आते हैं जिससे कभी तो हम बहुत अच्छे तरीके से व्यवहार करते हैं यानी कि अध्यात्म की तरफ हमारा मूड बहुत अच्छा लगता है कभी-कभी हम एकदम गंदे काम करने लग जाते हैं।


तीसरा है तमोगुण जितने भी जन्मजात आतंकवादी लड़ाई-झगड़े करने वाले देखे जाते है इनका बचपन से ही लड़ाई झगड़ा मारपीट लूट आदि में ध्यान जाता है यानी कि उसके पिछले जन्म का जो भी हिसाब किताब है उसके कारण उसको तमोगुण बहुत अधिक मिले हुए हैं


और फिर आता है हमारे आसपास के लोग मान लो आप में सतोगुण यानी कि पॉजिटिव में बहुत ज्यादा है पर आपके आसपास जो लोग हैं उनमें नेगेटिव है तो आप भी न्यूट्रल की तरफ हो चले क्योंकि आपका पॉजिटिव और किसी और का नेगेटिव है। तो ऐसे में अगर आप अपने दिमाग को ध्यान से देखोगे तो आपको लगेगा कि मन में कुछ अजीब से ख्याल आ रहे हैं अभी तो मैं बहुत अच्छा था मुझे बहुत अच्छी फीलिंग आ रही थी पर अचानक से यह पता नहीं क्या हो रहा है तो उस समय आपका क्षेत्र (एरिया)खराब है।


अब इसके बाद आता आहार यानी भोजन यह सबसे बड़ा  कारण है कि हमको मतलब कामवासना या ना केवल कामवासना बल्कि हर किसी वासना की तरफ भागे चले जाते हैं क्योंकि हमारा भोजन ठीक नहीं है हर एक भोजन जैसे अगर किसी को मार काट दे तो उसमें तमोगुण आ जाएगा ।


अगर आप किसी का लूट के ले कर आ रहे हो या फिर किसी को ठग के आप कमा रहे हो तो उसमें रजोगुण होता है।


और आप दिन भर मेहनत से कमा कर खा रहे हो, तो उसमें आपका सतोगुण आएगा और तभी बोला जाता है कि इमानदारी से कमाओ और अच्छा खाना खाओ, ताकि आपको अच्छी नींद आ सके।जैसे-जैसे हम अच्छे काम दान पुण्य या अध्यात्म की तरफ चलते रहते हैं तो यह सतोगुण बढ़ता रहता है और अगर बहुत समय तक हम सतोगुण के दायरे में रहे, तो उसके बाद वह इन गुणों के चक्र से बाहर निकल जाता इसी को मोक्ष कहा गया है जो कबीरदास तुलसीदास नानक जी की मस्ती का यही कारण है कि वे गुणों से परे चले गए।


कबीर जी के भजन हैं उससे आप कबीर बाबा की मस्ती समझ सकते हो, -- जो सुख पायो राम भजन में सो सुख नाही अमीरी में ,मन लागो मेरो यार फकीरी में। या

तुम बोलो कागद का लेखा मै बोलूं आखों का देखा।


बहुत समय बाद यह बात पता चलती है कि "जैसा खाओ अन्न वैसा होवे मन" , यह बात ऐसे ही नहीं कही  गई है। अनुभव के बाद ही बात समझ आती है।


Related topic:-

इच्छापूर्ति का सिद्धान्त Wish fulfillment principle


No comments:

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त Mantra theory for suffering peace

कष्ट शान्ति के लिये मन्त्र सिद्धान्त  Mantra theory for suffering peace संसार की समस्त वस्तुयें अनादि प्रकृति का ही रूप है,और वह...