Friday, March 27, 2020

मन्त्रों के दस संस्कार Ten rites of mantras

             मन्त्रों के दस संस्कार 
           Ten rites of mantras

कोई भी मन्त्र छिन्न,रुद्ध, शक्तिहीन, पराङ्मुख, आदि पचास दोषों से बच नहीं सकता।सप्तकोटि मन्त्र हैं, सभी इन दोषों में किसी न किसी दोष से दृष्ट पाये जाते हैं।इन दोषों की निवृत्ति के लिए मन्त्र के निम्नलिखित दस संस्कार करने चाहिए--
1-जनन, 2-दीपन, 3-बोधन, 4-ताडन, 5-अभिषेक, 6-विमलीकरण, 7-जीवन, 8-तर्पण, 9-गोपन और 10-आप्यायन।
जो इन दोषों को जाने बिना जप करता है, उसे सिद्धि नही प्राप्त होती है-

दोषानिमानविज्ञाय यो मन्त्रान् भजते जड:। सिद्धिर्न जायते तस्य कल्पकोटिशतैरपि ।।


1-जनन संस्कार :-भोजपत्र पर गोरोचन, चन्दन, कुमकुम आदि से आत्माभिमुख  त्रिकोण लिखें। फिर तीनों कोणों में छः-छः समान रेखायें खीचें। ऐसा करने से 49 त्रिकोण कोष्ठ बनेंगे, उनमें ईशान कोण से क्रमशः मातृका वर्ण लिखें। फिर देवता को आवाहन-पूजन करके मंत्र के एक-एक वर्ण का उद्धार करके अलग पत्र पर लिखें। ऐसा करने पर "जनन" नामक प्रथम संस्कार होगा।


2- दीपन संस्कारः- ’हंस’ मंत्र से सम्पुटित करके एक हजार बार मंत्र का जप करना चाहिए।यथा-'हंसः रामाय नमः सोहम।'

3- बोधन संस्कारः ’ ह्रूँ 'बीज मंत्र से सम्पुटित करके पाँच हजार बार मंत्र जाप करना चाहिए।
यथा-" ह्रूँ रामाय नमः ह्रूँ।'

4- 'फट्' सम्पुटित मन्त्र का एक हजार  जप करने से ' ताडन' नामक चतुर्थ संस्कार होता है।
यथा-'फट् रामाय नमः फट्।'

5- अभिषेक संस्कार:- मंत्र को भोजपत्र पर लिखकर
 ’ रों हंसः ॐ’ इस मंत्र से अभिमंत्रित करें, तत्पश्चात एक हजार बार जप करते हुए जल से अश्वत्थपत्रादि द्वारा मंत्र का अभिषेक करें।

6- विमलीकरण संस्कारः- ’ ओं त्रों वषट्' इन वर्णों से सम्पुटित  मन्त्र का एक हजार बार  जप करने से विमलीकरण नामक छठा संस्कार होता है।यथा-' ओं त्रों वषट् रामाय नमः वषट् त्रों ओं।'

7- स्वधा-वषट्- सम्पुटित मूलमन्त्र का एक हजार जप करने से' ' जीवन ' नामक सातवाँ संस्कार होता है।यथा-' स्वधा वषट् रामाय नमः वषट् स्वधा।'

8- तर्पण संस्कार:-  मूल मंत्र से दुग्ध ,जल और घृत द्वारा सौ बार तर्पण करना चाहिए।

9- गोपन संस्कार:- मंत्र को ’ ह्रीं ’ बीज से सम्पुटित करके एक हजार बार जप करना चाहिए।यथा-' ह्रीं रामाय नमः ह्रीं।'

10- आप्यायन संस्कार:- ह्रौं -बीज-सम्पुटित एक हजार जप करने से 'आप्यायन ' नामक दसवाँ संस्कार होता है।यथा- ' ह्रौं रामाय नमः ह्रौं।'
इस प्रकार संस्कृत किया हुआ मन्त्र शीघ्र सिद्धिप्रद होता है।

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