जब आप अपने को या अपने किसी परिजन को किसी भी तरह के बन्धन मे पाते हैं।आपके शत्रुओ ने धोखे और बेईमानी से कोर्ट कचहरी के वाद विवाद में उलझा दिया हो,या आपके किसी निर्दोष व मासूम परिजन को झूठे आरॊप लगा कर सजा दिलाई जा रही है।
तथा किसी भी तंत्र मंत्र, टोना टोटका, के प्रभाव से बचने का सरल समाधान है बंदी मोचन मंत्र प्रयोग
अक्सर ऐसा सुनने मे आता है कि किसी निर्दोष और मासूम व्यक्ति को झूठे आरोपों के चलते सजा हो गई है, जिससे सभी परिजन परेशान है, ऐसी स्थिति में बन्दी मोचन प्रयोग बेहद चमत्कारी लाभ देता है, किन्तु इसे कभी भी आप अपने मन से न करे, किसी योग्य आचार्य व गुरु की देख रेख में ही यह मंत्र किया जाना चाहिए ।
।।बन्दी-मोचन-स्तोत्र।।
विनियोगः- ॐ अस्य बन्दी-मोचन-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीकण्व ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, श्रीबन्दी-देवी देवता, ह्रीं वीजं, हूं कीलकं, मम-बन्दी-मोचनार्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि-न्यासः- श्रीकण्व ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीबन्दी-देवी देवतायै नमः हृदि, ह्रीं वीजाय नमः गुह्ये, हूं कीलकाय नमः नाभौ, मम-बन्दी-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ।
मन्त्रः-
“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी-देव्यै नमः ।” (अष्टोत्तर-शतं जप – १०८)
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य, वरदाभय-शोभिनीम् । तदाज्ञां शरणं गच्छत्, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं कमल-पत्राक्षी, लौह-श्रृङ्खला-भञ्जिनीम् । प्रसादं कुरु मे देवि ! रजनी चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं बन्दी त्वं महा-माया, त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती । त्वं देवी रजनी, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
संसार-तारिणी बन्दी, सर्व-काम-प्रदायिनी । सर्व-लोकेश्वरी देवी, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं ह्रीं त्वमीश्वरी देवि, ब्रह्माणी ब्रह्म-वादिनी । त्वं वै कल्प-क्षयं कत्रीं, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
देवी धात्री धरित्री च, धर्म-शास्त्रार्थ-भाषिणी । दुःश्वासाम्ब-रागिनी देवि, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
नमोऽस्तु ते महा-लक्ष्मी, रत्न-कुण्डल-भूषिता । शिवस्यार्धाङ्गिनी चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
नमस्कृत्य महा-दुर्गा, भयात्तु तारिणीं शिवां । महा-दुःख-हरां चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
।। फल-श्रुति ।।
इदं स्तोत्रं महा-पुण्यं, यः पठेन्नित्यमेव च । सर्व-बन्ध-विनिर्मुक्तो, मोक्षं च लभते क्षणात् ।।
मन्त्रः-
“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी-देव्यै नमः ।”
मंगलवार से आरंभ कर लाल वस्त्र धारण कर, देवी के समक्ष 11 माल नित्य 45 दिन तक करे । लाल आसन का प्रयोग करे व लाल चन्दन की माला पर जाप करे।
हवन-विधिः- कमलगट्टा, गाय का घी, शुद्ध शहद, मिश्री, हल्दी एवं लाल-चन्दन के चूर्ण को मिश्रित कर उससे जप-संख्या का दशांश हवन करना चाहिए।
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अक्सर ऐसा सुनने मे आता है कि किसी निर्दोष और मासूम व्यक्ति को झूठे आरोपों के चलते सजा हो गई है, जिससे सभी परिजन परेशान है, ऐसी स्थिति में बन्दी मोचन प्रयोग बेहद चमत्कारी लाभ देता है, किन्तु इसे कभी भी आप अपने मन से न करे, किसी योग्य आचार्य व गुरु की देख रेख में ही यह मंत्र किया जाना चाहिए ।
।।बन्दी-मोचन-स्तोत्र।।
विनियोगः- ॐ अस्य बन्दी-मोचन-स्तोत्र-मन्त्रस्य श्रीकण्व ऋषिः, त्रिष्टुप् छन्दः, श्रीबन्दी-देवी देवता, ह्रीं वीजं, हूं कीलकं, मम-बन्दी-मोचनार्थे जपे विनियोगः ।
ऋष्यादि-न्यासः- श्रीकण्व ऋषये नमः शिरसि, त्रिष्टुप् छन्दसे नमः मुखे, श्रीबन्दी-देवी देवतायै नमः हृदि, ह्रीं वीजाय नमः गुह्ये, हूं कीलकाय नमः नाभौ, मम-बन्दी-मोचनार्थे जपे विनियोगाय नमः सर्वाङ्गे ।
मन्त्रः-
“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी-देव्यै नमः ।” (अष्टोत्तर-शतं जप – १०८)
बन्दी देव्यै नमस्कृत्य, वरदाभय-शोभिनीम् । तदाज्ञां शरणं गच्छत्, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं कमल-पत्राक्षी, लौह-श्रृङ्खला-भञ्जिनीम् । प्रसादं कुरु मे देवि ! रजनी चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं बन्दी त्वं महा-माया, त्वं दुर्गा त्वं सरस्वती । त्वं देवी रजनी, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
संसार-तारिणी बन्दी, सर्व-काम-प्रदायिनी । सर्व-लोकेश्वरी देवी, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
त्वं ह्रीं त्वमीश्वरी देवि, ब्रह्माणी ब्रह्म-वादिनी । त्वं वै कल्प-क्षयं कत्रीं, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
देवी धात्री धरित्री च, धर्म-शास्त्रार्थ-भाषिणी । दुःश्वासाम्ब-रागिनी देवि, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
नमोऽस्तु ते महा-लक्ष्मी, रत्न-कुण्डल-भूषिता । शिवस्यार्धाङ्गिनी चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
नमस्कृत्य महा-दुर्गा, भयात्तु तारिणीं शिवां । महा-दुःख-हरां चैव, शीघ्रं मोचं ददातु मे ।।
।। फल-श्रुति ।।
इदं स्तोत्रं महा-पुण्यं, यः पठेन्नित्यमेव च । सर्व-बन्ध-विनिर्मुक्तो, मोक्षं च लभते क्षणात् ।।
मन्त्रः-
“ॐ ह्रीं ह्रूं बन्दी-देव्यै नमः ।”
मंगलवार से आरंभ कर लाल वस्त्र धारण कर, देवी के समक्ष 11 माल नित्य 45 दिन तक करे । लाल आसन का प्रयोग करे व लाल चन्दन की माला पर जाप करे।
हवन-विधिः- कमलगट्टा, गाय का घी, शुद्ध शहद, मिश्री, हल्दी एवं लाल-चन्दन के चूर्ण को मिश्रित कर उससे जप-संख्या का दशांश हवन करना चाहिए।
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