Thursday, May 5, 2016

अक्षय तृतीया पर करें मातंगी महाविद्या साधना Matangi mahahvidya Sadhana on Akshaya Tritiya

अक्षय तृतीया पर करें मातंगी महाविद्या साधना


भगवती मातंगी दश महाविद्या मे आती हैं।इनकी साधना अत्यंत सौभाग्यप्रद मानी जाती है।
मातंगी महाविद्या दस महाविद्याओं में श्री कुल के अंतर्गत मानी जाने वाले महाविद्या हैं ,इन्हें सरस्वती का रूप भी माना जाता है ।
इनकी साधाना से बुद्धि -विवेक की प्राप्ति ,पांडित्य ,शास्त्र का ज्ञान ,गूढ़ विद्याओं का ज्ञान ,ललित और कलाओं का ज्ञान ,वाक् सिद्धि ,वशीकरण सम्मोहन की शक्ति प्राप्त होती है ।
 इस साधना के बाद जीवन का कोई क्षेत्र अधूरा और शेष रहता ही नहीं है. क्योकि बुद्धि और वाणी के विकास से सबकुछ अनुकूल हो जाता है ।
मातंगी साधना कि सिद्धि पूर्ण श्रद्धा एवं विश्वास पर आधारित है।
अक्षय तृतीया के दिन ''मातंगी जयंती'' होती है और वैशाख पूर्णिमा ''मातंगी सिद्धि दिवस'' होता है.
इन 12 दिनों मे आप चाहे जितना मंत्र जाप कर सकते है। अगर ऐसी कोई साधना आप कर रहे है जिसमे सिद्धि नहीं मिल रही है या फिर सफलता नहीं मिल रही है,तो इन 12 दिनों मे आपकी मनचाही साधना मे सिद्धि प्राप्ति कि इच्छा कीजिये और मातंगी साधना संपन्न कीजिये.सफलता आपकी दासी बन जायेगी।
विनियोग :-
अस्य मंत्रस्य दक्षिणामूर्ति हृषीविराट छंद : मातंगी देवता ह्रीं बीजं हूं शक्तिः क्लीं कीलकं सर्वाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः ।।
ध्यान:-
श्यामांगी शशिशेखरां त्रिनयनां वेदैः करैविर्भ्रतीं ,
पाषं खेटमथामकुशं दृध्मसिं नाशाय भक्त द्विशाम ।
रत्नालंकरण ह्रीं प्रभोज्ज्वलतनुं भास्वत्किरीटाम् शुभां ;
मातंगी मनसा स्मरामि सदयां सर्वार्थसिद्धि प्रदाम ।।
मंत्र :-
"ओम ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट स्वाहा "
इस साधना मे माँ मातंगी का चित्र,यंत्र ,और लाल मूंगा माला का महत्व बताया गया है परन्तु सामग्री उपलब्ध ना हो तो किसी ताँबे की प्लेट मे स्वास्तिक बनाये और उसपे एक सुपारी स्थापित कर दे और उसे ही यंत्र माने,आपके पास मातंगी का चित्र ना हो तो आप '' माताजी ''को ही मातंगी स्वरुप मे पूजन करे,माताजी तो स्वयं ही '' जगदम्बा '' है,और माला कि विषय मे
स्फटिक,लाल हकिक,रुद्राक्ष माला का उपयोग हो सकता है ।
साधना दिखने मे ही साधारण हो सकती है परन्तु बहुत तीव्र है ।कम से कम 11 माला जप आवश्यक है.और कोई 1250 मालाये कर ले तो अतिउत्तम।
आज तक इस साधना मे किसी को असफलता नहीं मिली है।

 यद्यपि यह सौम्य महाविद्या की साधना है और कोई दुष्प्रभाव नहीं उत्पन्न करती किन्तु है तो तंत्र साधना ही और प्रकृति की सर्वोच्च शक्ति महाविद्या की साधना है।अतः किसी योग्य महाविद्या के सिद्ध साधक से मंत्र प्राप्त करना ,उच्चारण समझना ,और विधियों की जानकारी लेना अधिक उपयुक्त होगा जिससे आपको पूर्ण सफलता मिले और आप असफल न हों ।महाविद्या साधना ब्रह्माण्ड की सर्वोच्च साधना होती है अतः इसके लिए योग्य गुरु के मार्गदर्शन में ही साधना करें ,हमारा उद्देश्य उपयुक्त समय और महाविद्या के साधना की सामान्य जानकारी देना मात्र है ।

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1 comment:

Unknown said...

Hello sir pooja satvik vidhi me kese kre aur time aur dishha ka bhi margdarshan kre please

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