Pages

Tuesday, April 14, 2020

मुहुर्त प्रकरण muhurt prakaran

मुहुर्त प्रकरण muhurt prakaran

श्रीमद्भागवत सप्ताह मुहूर्त


आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद,आश्विन शुक्ल पक्ष, कार्तिक और मार्गशीर्ष अत्यन्त श्रेष्ठ, अन्यान्य आचार्यों के मत से चैत्र(मीन संक्रांति) व पौष (धनु संक्रांति) को छोड़कर सभी मास श्रेष्ठ माने जाते हैं।
भद्रा दोष रहित तिथियां 2,3,5,6, 10,11, 12, 15,।
वार सोम, बुध, गुरु, व शुक्र श्रेष्ठ जाने।
रविवार व शनिवार को मध्यम जाने।
नक्षत्र- अश्विनी, मृगशिरा, पुनर्वसु, पुष्य, मघा, हस्त, चित्रा, स्वाती, अनुराधा, श्रवण, धनिष्ठा, पूर्वाभाद्रपद, तथा रेवती श्रेष्ठ है।
पितर मोक्ष के लिए- मृत्यु तिथि, श्राद्ध दिन, अगहन शुक्ल चतुर्दशी अथवा अमावस्या में भागवत कथा का शुभारम्भ होना चाहिए।
*********************************

अखण्डपाठ आरम्भ मुहूर्त


गुरु आश्रित नक्षत्र से श्रीरामचरितमानस पाठ आरम्भ मुहूर्त दिन नक्षत्र तक गिनने पर 16 की संख्या तक अर्थलाभ-सिद्धिप्रद, आगे 24 तक गिरने पर नेष्ट, उपरान्त 27 तक  गिनने पर मोक्षप्रद जानें। शुक्ल पक्ष में देवप्रीत्यर्थ तथा कृष्ण पक्ष में पितर बाधा एवं रोगशान्त्यर्थ श्रेष्ठ रहता है। गोस्वामी जी ने हरिनाम को जैसे भी बने स्मरण कर लिया जाए तो सर्वथा मंगल दायक कहां है।
**********************************

चुनाव में नामांकन मुहूर्त


दोनों पक्ष की शुभ तिथियाँ-2,3,5,7,10,11,12,13,15, और कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि श्रेष्ठ।
शुभ वार- रवि, सोम, बुध एवं शुक्रवार श्रेष्ठ जाने।
शुभ नक्षत्र- अश्विनी, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु, पुष्य, उत्तराफाल्गुनी, हस्त, स्वाति, अनुराधा, उ.षा., श्रवण,धनिष्ठा, उ.भा. और रेवती।
शुभ लग्न- जिससे नवम एवं दशम भाव प्रभावशाली हो अर्थात् कोई पापग्रह न हो और लग्न भी शुभ ग्रह से दृष्ट हो। राशि से चन्द्रमा शुभ स्थान में हो।
सूर्य की होरा-टेंडर लेने, चुनाव लड़ने, नौकरी आदि के फार्म भरने, पर्चा जमा करने, राजकाज का चार्ज लेने, शपथ ग्रहण करने में सर्वश्रेष्ठ रहती है। वार चाहे जो भी हो, सूर्य की होरा या राशीश की होरा में सफलता सुनिश्चित मिलती है।
शपथ ग्रहण- जहां तक हो सके स्थिर लग्न में ही करनी चाहिए।
************************************

वीटोड़ा- काष्ठ संग्रह मुहूर्त


सूर्याश्रित नक्षत्र से चान्द नक्षत्र तक साभीजित् गणना करके देख लें-   6 नक्षत्र श्रेष्ठ,  2 शवदाह नेष्ट,  4 सर्पभय के नेष्ट, 4 श्रेष्ठ,4 रोगभय, 4 असुख और आगे के 4 नक्षत्रों में शुभ रहता है।

दोहा- रवि नक्षत्र से षट्भलो, षट्खोटो शुभ चारि।
     आठ अशुभ शुभ चारि है, उपले धरो विचारि।।
वीटोड़ा(उपले,कण्डे) रखते समय वार(दिन) चाहे जो भी हो, पचकों के(धनिष्ठादि पांच नक्षत्र) छोड़कर भद्रादि कुयोग रहित दिन में विटोड़ा रखने से शुभ होता है।
****************************************
क्रमशः
Related topics:-




No comments:

Post a Comment