चैत्र शुक्ल प्रतिपदा,वैशाख शुक्ल तृतीया,आश्विन शुक्ल दशमी,कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा तथा दीपावली प्रदोष वेला,ये चार स्वयं सिद्ध मुहूर्त है।
इनमें पञ्चांग शुद्धि की आवश्यकता नहीं है।
इनमें से प्रथम तीन मुहूर्त पूर्ण बली तथा चौथा अर्धबली होनें से इन्हें साढ़े तीन मुहूर्त कहतें हैं।
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