रत्रिमान के 15 भाग करने पर तीन भाग तक प्रदोष बेला,
आठवां भाग महानिशीथ काल,
तेरहवां भाग ब्रह्म मुहूर्त,
चौदहवां भाग उषाः काल, और पन्द्रहवां भाग अरुणोदय काल कहलाता है।
प्रातः सन्ध्या सूर्योदय उपरान्त तीन घटी और सायं संध्या सूर्यास्त के पश्चात तीन घटी तक होती है।
आठवां भाग महानिशीथ काल,
तेरहवां भाग ब्रह्म मुहूर्त,
चौदहवां भाग उषाः काल, और पन्द्रहवां भाग अरुणोदय काल कहलाता है।
प्रातः सन्ध्या सूर्योदय उपरान्त तीन घटी और सायं संध्या सूर्यास्त के पश्चात तीन घटी तक होती है।
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